Modi-Trump: देशभक्ति, परंपरावाद और राष्ट्रीय पहचान में विश्वास?, मोदी और ट्रम्प के बीच हैं अद्भुत समानताएं!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 13, 2024 05:21 IST2024-11-13T05:21:18+5:302024-11-13T05:21:18+5:30

Modi & Trump: पीएम मोदी ने दिल्ली के ड्रॉइंग रूम में बैठने वाले कुलीनों को हटाने की शपथ ली थी, तो ट्रम्प ने वाशिंगटन के राजनीतिक दिग्गजों को मात देने की कसम खाई थी.

Modi & Trump Made for each other pm narendra modi Donald Trump elected 47th president US patriotism, traditionalism and national identity | Modi-Trump: देशभक्ति, परंपरावाद और राष्ट्रीय पहचान में विश्वास?, मोदी और ट्रम्प के बीच हैं अद्भुत समानताएं!

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Highlightsफिलिस्तीन के खिलाफ सख्त रुख से ट्रम्प की दबदबे वाली छवि बनी.मोदी और ट्रम्प, दोनों राष्ट्रीय राजनीति में अपेक्षाकृत नए खिलाड़ी माने जाते हैं. व्हाइट हाउस को ज्यादा शक्तिशाली बनाने की क्षमता रखते हैं.

प्रभु चावला

विश्व में अगर ऐसा कोई नेता है, जिसे जितने प्रेम करने वाले हैं, उतने ही घृणा करने वाले, तो वह ट्रम्प हैं, जो अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति चुने गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ट्रम्प की ही तरह देशभक्ति, परंपरावाद और राष्ट्रीय पहचान में विश्वास करते हैं. वामपंथी मीडिया, हॉलीवुड की सहिष्णु शख्सियतें और यूरोप के उदारवादी ट्रम्प से घृणा करते हैं. ऐसे ही लुटियंस के बौने लोग और लगभग विलुप्त होते जा रहे धर्मनिरपेक्षता के सिपहसालार नरेंद्र मोदी के आक्रामक राष्ट्रवाद पर टूट पड़ते हैं. ट्रम्प और मोदी दोनों नई विश्व व्यवस्था में वर्चस्ववादी भूमिका में हैं. अमेरिकियों ने गैरकानूनी प्रवासन पर ट्रम्प की आक्रामक मुद्रा और देश को पहली प्राथमिकता देने के पक्ष में वोट दिया. फिलिस्तीन के खिलाफ सख्त रुख से ट्रम्प की दबदबे वाली छवि बनी.

मोदी और ट्रम्प, दोनों राष्ट्रीय राजनीति में अपेक्षाकृत नए खिलाड़ी माने जाते हैं. मोदी ने दिल्ली के ड्रॉइंग रूम में बैठने वाले कुलीनों को हटाने की शपथ ली थी, तो ट्रम्प ने वाशिंगटन के राजनीतिक दिग्गजों को मात देने की कसम खाई थी. यह अरबपति रियल एस्टेट डेवलपर अमेरिका के उम्रदराज राष्ट्रपति हो सकते हैं, पर इनमें रैंबो जैसी ऊर्जा है और वह व्हाइट हाउस को ज्यादा शक्तिशाली बनाने की क्षमता रखते हैं.

नई दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय भी सब कुछ तय करता है. अपने नजरिये और लक्ष्य को मूर्त रूप देने के लिए मोदी ने शक्तियों का केंद्रीकरण किया है. वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी की और 2024 में डोनाल्ड ट्रम्प की चुनावी जीत निरंकुश एजेंडे, देशभक्ति को प्रमुखता देने और अधिनायकवादियों से आत्मीयता की भावना को प्रतिंबिबित करती है. दोनों एक-दूसरे से 12,000 किलोमीटर दूर हैं, पर अपने नजरिये के प्रति प्रबल आस्था दोनों को जोड़ती है. दोनों का कद अपनी पार्टियों से बड़ा है. दोनों चाहते हैं कि मंच पर वे अकेले ही छाये रहें. दोनों में अद्भुत समानताएं हैं.

राष्ट्रवाद और देशभक्ति : अमेरिका को फिर से महान बनाने का नारा गढ़कर ट्रम्प ने राष्ट्रपति चुनाव जीता है. चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने अपने समर्थकों और तटस्थ मतदाताओं को चेताया था कि अगर डेमोक्रेटिक पार्टी सत्ता में आई तो अमेरिका अपना वैश्विक महत्व खो देगा. उन्होंने नाटो की फंडिंग घटाने की भी बात कही, क्योंकि उनका मानना है कि नाटो के जरिये अमेरिका की तुलना में यूरोप को अधिक लाभ मिलता है. विभाजित भारत को एकजुट करने के लिए मोदी ने भी सुरक्षित भारत की बात कही थी.

प्रवासन विरोध : ट्रम्प ने जिस सख्ती के साथ गैरकानूनी प्रवासन का विरोध किया, वही चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की जीत का आधार बना. ट्रम्प ने कहा था, ‘कमला हैरिस के पक्ष में वोट का मतलब होगा और चार-पांच करोड़ अवैध प्रवासी हमारी सीमा से प्रवेश करेंगे. वे हमारा पैसा, हमारी नौकरी और हमारा जीवन चुरा लेंगे.’ वर्ष 2014 के अपने चुनाव प्रचार में मोदी ने अवैध प्रवासियों का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था.

सांस्कृतिक एकरूपता : मोदी और ट्रम्प, दोनों सांस्कृतिक एकरूपता के प्रबल समर्थक हैं. वर्ष 2017 में ‘पॉलिटिको’ मैग्जीन ने ट्रम्प को ‘सांस्कृतिक युद्ध के राष्ट्रपति’ के रूप में संबोधित किया था. इस चुनाव में 50 फीसदी से अधिक पॉपुलर वोट हासिल कर उन्होंने सांस्कृतिक युद्ध जीत लिया है. मोदी भी ‘भारतीयता’ को महत्व देने के लिए लगातार काम कर रहे हैं.

सीमित पूंजीवाद : ट्रम्प को कारोबार और उद्योग की विरासत बचपन में मिली. इसी तरह मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद कहा था, ‘मैं एक गुजराती हूं, जो यह जानता है कि व्यापार कैसे किया जाता है’. ट्रम्प टैक्स की दर और सरकार का आकार घटाने की बात कहते रहे हैं. वैसे ही मोदी अकेले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने भारतीय कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स घटाकर 25 प्रतिशत किया. उद्यमियों को मोदी ‘संपत्ति निर्माता’ कहते हैं, और इनकी सरकार व्यापारियों की बेहतरी का ध्यान रखती है.

चीन विरोधी और इजराइल समर्थक : व्यक्तिगत रूप से और वैचारिक स्तर पर चीन पर न तो ट्रम्प भरोसा करते हैं, न मोदी. पिछले राष्ट्रपति काल में ट्रम्प ने अनेक चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया था, और इस बार भी वह चीनी आयातों पर 60 प्रतिशत सीमा शुल्क लगाने की धमकी दे रहे हैं. भौगोलिक हकीकत भारत को चीन से आशंकित रखती है और 1962 से ही वह अपने क्षेत्रों को चीन से बचाने में लगा है.

इजराइल भी ट्रम्प और मोदी को जोड़ता है. ट्रम्प ने येरुशलम को इजराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दी थी, जबकि मोदी इजराइल का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं. दोनों नेता छात्र आंदोलन का विरोध करते हैं. ट्रम्प ने अमेरिकी विश्वविद्यालयों के कैंपसों में आतंकी हिंसा का समर्थन करने वालों को देश से बाहर करने की धमकी दी, तो मोदी ने नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ छात्र आंदोलन व जेएनयू में हुए आंदोलन पर सख्ती बरती थी. सोशल मीडिया आज के नेताओं का ऑक्सीजन है.

मोदी मर्यादा की उम्मीद करती भारतीय सोच को समझते हैं, इसलिए अपने फॉलोवर्स को संबोधित उनकी पोस्ट सूचनापरक और व्याख्यात्मक होती है. विपक्ष और विरोधियों को निशाना बनाने का काम वह आइटी सेल और अपने क्रोधोन्मत्त अनुयायियों पर छोड़ देते हैं. अमेरिका की संस्कृति अलग है, इसलिए सोशल मीडिया पर ट्रम्प की पोस्ट आक्रामक व एकतरफा होती है.

गाली-गलौज भरे ट्वीट के कारण एक्स (ट्विटर) ने ट्रम्प पर प्रतिबंध लगा दिया था. इन समानताओं ने मोदी और ट्रम्प को एक दूसरे का दोस्त बना दिया है. मोदी इकलौते भारतीय प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने चार साल में आठ बार अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प से मुलाकात की थी टेक्सास में ‘हाउडी मोदी’ और अहमदाबाद में ‘नमस्ते ट्रम्प’ जैसा आयोजन इन दोनों की दोस्ती के बारे में बताने के लिए काफी था.

मोदी की टेक्सास रैली में ट्रम्प को आमंत्रित किया गया था, जहां भारतीय प्रधानमंत्री ने भाजपा के नारे को बदलकर नया नारा दिया था, ‘अबकी बार, ट्रम्प सरकार.’ ट्रम्प हालांकि 2019 का चुनाव हार गए थे, उसके बाद महाभियोग, आर्थिक दंड, रीयल एस्टेट में हुए नुकसान, दोषसिद्धि और न्यायिक लड़ाई के बावजूद उन्होंने अपनी राजनीतिक मुहिम जारी रखी.

‘द एप्रेंटिस’ नाम के रियलिटी टीवी शो ने ट्रम्प को घर-घर में चर्चित बना दिया. एप्रेंटिस का अर्थ प्रशिक्षु होता है. लेकिन प्रचलित अर्थ में न तो ट्रम्प राजनीतिक प्रशिक्षु हैं, न ही मोदी. ये दोनों उस राष्ट्रवादी भीड़ के नायक हैं, जो उदारवादी विमर्श को परे कर नया इतिहास लिख रहे हैं.

Web Title: Modi & Trump Made for each other pm narendra modi Donald Trump elected 47th president US patriotism, traditionalism and national identity

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