मोदी सरकार का गृहिणियों को बड़ी राहत देने का फैसला
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: August 31, 2023 08:52 AM2023-08-31T08:52:39+5:302023-08-31T08:58:32+5:30
इसे मोदी सरकार की चुनावी रणनीति कह लें या नेकनीयत से उठाया गया कदम, एक बात तो साफ है कि रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में कटौती से आम आदमी ने राहत की सांस ली है।
इसे मोदी सरकार की चुनावी रणनीति कह लें या नेकनीयत से उठाया गया कदम, एक बात तो साफ है कि रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में कटौती से आम आदमी ने राहत की सांस ली है। रक्षाबंधन के एक दिन पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस फैसले ने इस साल के अंत में कुछ महत्वपूर्ण राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव तथा अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के पूर्व विपक्ष के हाथ से एक बड़ा हथियार छीन लिया है।
महिला मतदाताओं को आकर्षित करने वाले इस फैसले से नए बने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की रणनीति गड़बड़ा जाए तो आश्चर्य नहीं। भारत में पिछले कुछ दशकों से हो रहे चुनावों में भ्रष्टाचार के साथ महंगाई भी एक बड़ा मसला रहा है। पिछली सदी के अंत में दिल्ली विधानसभा के चुनाव में प्याज की आसमान छूती कीमतों ने उस वक्त केंद्रशासित प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा को हार का स्वाद चखा दिया था।
2014 में कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण महंगाई भी था। उस वक्त भी रसोई गैस सिलेंडर के दाम बढ़ा दिए गए थे और तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सब्सिडी वाले गैस सिलेंडरों की संख्या साल में 6 कर दी थी। इससे मध्यम तथा निम्न मध्यम वर्ग विशेषकर महिलाएं नाराज हो गई थीं। पिछले कुछ वर्षों में रसोई गैस सिलेंडर की कीमतें लगातार बढ़ती गई हैं।
गैस सब्सिडी को मात्र 40 रुपये तक सीमित कर दिया गया। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए उज्ज्वला योजना शुरू की गई। इसके तहत 10 करोड़ से ज्यादा एलपीजी कनेक्शन मुफ्त दिए गए लेकिन सिलेंडर के दाम इतने अधिक बढ़ गए कि लाभार्थी परिवार चूल्हे की शरण में ही रहे।
रसोई गैस की कीमतों ने हाल के विधानसभा चुनावों में हार-जीत तय करने में अहम भूमिका अदा की। कांग्रेस ने मुफ्त बिजली के साथ-साथ 500 रुपया में रसोई गैस सिलेंडर देने का वादा कर कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में चुनाव जीत लिया। छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में है। इन राज्यों में इस वर्ष के अंत में होनेवाले विधानसभा चुनाव में फिर से सत्ता हासिल करने के लिए कांग्रेस सरकारों ने 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर देने की योजना शुरू कर दी है।
पिछले कुछ समय से महंगाई केंद्र सरकार के लिए गंभीर समस्या बन गई थी। खाद्य तेलों के साथ-साथ चावल, दाल, गेहूं और उसके बाद सब्जियों खासकर प्याज अैर टमाटर ने आम आदमी के बजट को गड़बड़ा दिया था। आयात-निर्यात के मोर्चे पर कुछ सख्त कदम उठाकर मोदी सरकार चावल, गेहूं, दाल तथा खाद्य तेलों की कीमतों पर अंकुश पाने में सफल रही।
प्याज के निर्यात पर टैक्स लगाकर तथा टमाटर का आयात कर सरकार ने उनकी कीमतों पर भी अंकुश लगा दिया है। जो टमाटर ढाई सौ रुपये किलो तक पहुंच गया था, अब खुदरा बाजार में 40 रुपये किलो के भाव से बिकने लगा है। खाद्य तेलों की कीमतों में भी 10 रुपये लीटर की कमी आई है।
महंगाई को लेकर हाल के महीनों में विपक्ष बहुत आक्रामक रहा है। निकट भविष्य में होनेवाले विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव में महंगाई विपक्षी दलों का प्रमुख हथियार रहने वाली है लेकिन महंगाई के मोर्चे पर काफी हद तक सफलता पाकर प्रधानमंत्री मोदी ने इस हथियार की धार कुंद कर दी है।
विपक्ष खासकर कांग्रेस अब भी यह कह सकती है कि उसके द्वारा शासित राज्यों में रसोई गैस सिलेंडर 500 रुपये में दिया जा रहा है। अब भाजपा के पास भी पलटवार करने के लिए ठोस तर्क हैं। कांग्रेस शासित राज्यों में सस्ता रसोई गैस सिलेंडर वर्ग विशेष को मिल रहा है। जनता के सभी वर्ग उससे लाभान्वित नहीं हो रहे हैं। जबकि मंगलवार को मोदी सरकार के फैसले से जनता के सभी वर्गों को राहत मिलेगी।
उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को तो ज्यादा फायदा होगा क्योंकि उसे अब प्रति सिलेंडर 400 रुपये की सब्सिडी मिलेगी। उज्ज्वला के 75 लाख नए कनेक्शन देने से योजना का दायरा बढ़ जाएगा। महंगाई निश्चित रूप से सभी के लिए चिंता का विषय है। उसके लिए घरेलू तथा वैश्विक दोनों कारक जिम्मेदार होते हैं। महंगाई जैसी समस्याओं पर राजनीति करने के बजाय पक्ष-विपक्ष को मिलकर काम करना चाहिए, जनता भी यही चाहती है।