रमेश ठाकुर का ब्लॉग: वन्य जीवों को लीलता ऑस्ट्रेलिया का दावानल

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 8, 2020 13:16 IST2020-01-08T13:16:11+5:302020-01-08T13:16:11+5:30

ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स के जंगलों में आग बीते सितंबर माह से ही लगी हुई है, जो धीरे-धीरे अब कई हिस्सों में फैल चुकी है. आग में पक्षियों के अलावा अभी तक दर्जनों स्थानीय लोगों के भी मरने की खबर है. कुछ बचावकर्मी भी झुलसे हैं.

Millions of animals are dying from the Australian fires | रमेश ठाकुर का ब्लॉग: वन्य जीवों को लीलता ऑस्ट्रेलिया का दावानल

रमेश ठाकुर का ब्लॉग: वन्य जीवों को लीलता ऑस्ट्रेलिया का दावानल

ऑस्ट्रेलियाई जंगलों में वास करने वाले जीवों के हिस्से कुदरत ने जैसी मौत बांटी है, उसे देखकर दिल दहल जाता है. जंगलों में धधकती आग में हजारों, लाखों नहीं बल्कि करोड़ों की संख्या में बेजुबान पशु-पक्षी स्वाहा हो गए हैं. जानवरों के निकलने वाले सभी रास्तों को आग ने अपनी चपेट में ले लिया है. जान बचाकर भागने वाले जानवरों के झुंड के झुंड आग में समाकर जिंदा जल रहे हैं. आग का तांडव इस कदर है कि उन्हें बचाने में किसी का बस नहीं चल रहा. ऑस्ट्रेलियाई फॉरेस्ट में पहले भी आग लगने की घटनाएं हुई हैं, पर मौजूदा दावानल को अब तक की सबसे बड़ी त्रसदी बताया जा रहा है.

ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स के जंगलों में आग बीते सितंबर माह से ही लगी हुई है, जो धीरे-धीरे अब कई हिस्सों में फैल चुकी है. आग में पक्षियों के अलावा अभी तक दर्जनों स्थानीय लोगों के भी मरने की खबर है. कुछ बचावकर्मी भी झुलसे हैं. बावजूद इसके आग बुझाने की हरसंभव कोशिशें जारी हैं. हादसे के पूरे क्षेत्र को रेस्क्यू किया जा रहा है. लेकिन आग शांत नहीं हो रही है. आग से मरने वाले बेजुबान जीवों की कुछ तस्वीरें वहां से सोशल मीडिया में वायरल हो रही हैं जो मन को  विचलित करने वाली हैं. पशुओं के शव सड़कों के किनारे सुरक्षा के लिए लगाए गए तारों से चिपके हुए दिखाई दे रहे हैं. बड़े जानवर, जैसे हाथियों के पूरे के पूरे झुंड आग में खाक हो गए हैं.

इसी माह 13 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन भारत दौरे पर आने वाले थे. लेकिन घटना के बाद उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया है. उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्यापक द्विपक्षीय संबंधों पर विशेष वार्ता करनी थी.  ऑस्ट्रेलिया में इन्हीं दिनों कुछ और ग्लोबल स्तर की बैठकें भी प्रस्तावित थीं. उन्हें भी रद्द कर दिया गया है. ऑस्ट्रेलिया इस वक्त भीषण आग के संकट से जूझ रहा है.

ऑस्ट्रेलिया की इस घटना में अभी कोई मानवीय हिमाकत सामने नहीं आई है. फिलहाल, आग लगने  का मुख्य कारण तापमान में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी और गंभीर सूखे को माना गया है. अनुमान है कि आग से नब्बे लाख हेक्टेयर से ज्यादा का जंगल जल चुका है जिसमें करीब पचास करोड़ पशु-पक्षी मर चुके हैं.

 पिछले हादसों पर नजर डालें तो सन् 1967 से लेकर 2013 के बीच तीन बार आग लगने की बड़ी घटनाएं घटीं जिनमें हजारों लोगों की मौतें हुई थीं. लेकिन बेजुबान जीव उनमें इतनी बड़ी संख्या में नहीं मारे गए थे. मौजूदा घटना में 29 लोगों के अलावा ज्यादातर वन्यजीव ही हताहत हुए हैं. आग कब बुङोगी, इसका अंदाजा किसी को नहीं है. वहां का तापमान दूसरे मुल्कों के मुकाबले गर्म रहता है. इसलिए वहां प्राकृतिक आपदाओं के आने का संकट हमेशा बना रहता है. सार्वजनिक तौर पर आग लगाना वहां पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है.

Web Title: Millions of animals are dying from the Australian fires

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