ब्लॉग: मणिपुर में हिंसा का इतिहास दोहराना ठीक नहीं

By शशिधर खान | Published: May 11, 2023 01:58 PM2023-05-11T13:58:45+5:302023-05-11T13:59:32+5:30

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह अगर समय से चेत जाते और अपने राजनीतिक हित के बजाय सामाजिक सद्भाव को ज्यादा महत्व देते तो हालात इस तरह बेकाबू शायद न हो पाते.

Manipur Voilence could be stopped, reasons and history behind it | ब्लॉग: मणिपुर में हिंसा का इतिहास दोहराना ठीक नहीं

ब्लॉग: मणिपुर में हिंसा का इतिहास दोहराना ठीक नहीं

मणिपुर में हिंसा कोई नई बात नहीं है. पूर्वोत्तर के सबसे ज्यादा हिंसाग्रस्त इस राज्य का इतिहास बताता है कि कबीलाई मानसिकता वाले उग्रवादी गुट क्षेत्रीय रसूख और दबदबा कायम करने के पीछे कभी-कभार ही शांति रहने देते हैं. मौजूदा हिंसा उसी का ताजा संस्करण है, जिसमें राज्य सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठ रहे हैं.

स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है. सेना और अर्द्धसैनिक बलों ने कानून व व्यवस्था की कमान अपने हाथ में ले ली है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं. लेकिन हालात सामान्य होने में समय लग सकता है क्योंकि तनावपूर्ण शांति मणिपुर के जनजीवन का अमूमन स्थायी हिस्सा बन चुकी है. अभी भी जातीय और सांप्रदायिक हिंसा टाली जा सकती  थी. ऐसी हिंसा लगभग तीन दशकों के बाद मणिपुर में उफनी है. 

भाजपा मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह अगर समय से चेत जाते और अपने राजनीतिक हित के बजाय सामाजिक सद्भाव को ज्यादा महत्व देते तो हालात इस तरह बेकाबू शायद न हो पाते. केंद्र सरकार को मणिपुर में अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ कानून व व्यवस्था बनाए रखने में विफल होने के कारण संविधान की धारा-355 लागू करनी पड़ी. हिंसा के अनियंत्रित होने के पीछे जितने तथ्य अभी तक मणिपुर से दिल्ली तक के सूत्रों से सामने आए हैं. उनमें केंद्र और राज्य सरकार के मतभेद की भी चर्चा है.

हिंसा भड़कने का कारण मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश का कुकी समुदाय द्वारा प्रबल विरोध बताया जा रहा है. दोनों ही समुदाय कई गुटों में बंटे हैं. मैतेई हिंदू आस्था वाले हैं और कुकी अपने बिरादर जोमी की तरह ईसाई हैं. अभी सीधा टकराव कुकी का मैतेई समुदाय के लोगों के साथ हुआ है. 

दोनों समुदायों की भौगोलिक के साथ-साथ आर्थिक और राजनीतिक हैसियत में भी फर्क है. मैतेई लोगों का राजनीति में बोलबाला है और इनकी सामाजिक पहचान कुकी के मुकाबले बेहतर है. कुकी आदिवासी समुदायों को एसटी का दर्जा प्राप्त है. उन्हीं की तरह मैतेई को एसटी का दर्जा देने की मांग पर राज्य सरकार का नरम रवैया और कुकी लोगों का गरम होना हिंसा का बैकग्राउंड है.

Web Title: Manipur Voilence could be stopped, reasons and history behind it

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