ब्लॉग: जंगलों के लिए खतरा बनता जा रहा है रील बनाने का शौक

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: May 9, 2024 10:24 AM2024-05-09T10:24:45+5:302024-05-09T10:26:43+5:30

उत्तराखंड के जंगलों की आग का मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच चुका है और वहां भी बुधवार को राज्य सरकार ने बताया कि यह आग प्राकृतिक कारणों से नहीं बल्कि मानवीय हरकतों के कारण लगी।

Making reels is made very dangerous for Forest Uttarakhand | ब्लॉग: जंगलों के लिए खतरा बनता जा रहा है रील बनाने का शौक

फोटो क्रेडिट- (एक्स)

Highlightsउत्तराखंड में जंगलों का एक हिस्सा आग से धधक रहा हैउत्तराखंड के जंगलों की आग का मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच चुकाबुधवार को राज्य सरकार ने बताया कि यह आग प्राकृतिक कारणों से नहीं..

उत्तराखंड में जंगलों का एक हिस्सा आग से धधक रहा है। पहली नजर में लगा कि यह आग प्रकृतिजन्य है अर्थात भीषण गर्मी के कारण लगी होगी लेकिन जो सच सामने आया, वह वीडियो बनाने के शौक के मानसिक विकृति में तब्दील होने का चौंकाने वाला तथ्य उजागर करता है। रेल पटरी पर, वाहनों पर चढ़कर या अन्य खतरनाक तरीकों से वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालने का शौक तो जानलेवा बन चुका है मगर लोग अपने शौक की खातिर प्रकृति से भी भयानक छेड़छाड़ करने लगे हैं। उत्तराखंड के जंगलों की ताजा आग शौक के लिए रील बनाने की विकृत मानसिकता का नतीजा है। 

उत्तराखंड के जंगलों की आग का मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच चुका है और वहां भी बुधवार को राज्य सरकार ने बताया कि यह आग प्राकृतिक कारणों से नहीं बल्कि मानवीय हरकतों के कारण लगी। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार के मुताबिक यह आग कुछ लोगों ने रील बनाने के लिए लगाई है और इस संबंध में दस मामले दर्ज किए जा चुके हैं। 

चार लोग गिरफ्तार  किए गए हैं और शेष छह लोगों की पहचान करने का प्रयास किया जा रहा है। उत्तराखंड में इस वक्त गढ़वाल से कुमाऊं के बीच जंगल आग से धधक रहे हैं। यह आग इतनी विकराल नहीं हुई है कि निवासी क्षेत्रों को किसी प्रकार का खतरा हो लेकिन उस पर शीघ्र काबू पाया नहीं गया तो मानव बस्तियां भी उसकी चपेट में आ सकती हैं। जब से कैमरे का आविष्कार हुआ है, मनुष्य में एक नई रचनात्मक प्रवृत्ति का जन्म हुआ. हजारों वर्षों से मनुष्य तस्वीरें बनाकर अपने कलात्मक शौक को पूरा करता था। जब कैमरे का आविष्कार हुआ तो पेंटिंग्स की जगह फोटो ने ले ली। 

फिर वीडियो का जमाना आया तो रील बनाने का शौक बढ़ा और अब यह शौक जानलेवा बनता जा रहा है। लोग पेड़ों, प्राकृतिक स्थलों से छेड़छाड़ करने लगे हैं. रील बनाने के लिए आग लगाने से बड़ी दुर्घटनाओं की आशंका से लोग बेफिक्र रहते हैं। उत्तराखंड के जंगलों की आग तो आंख खोल देने वाली है। हाल के समय में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, इटली, अर्जेंटीना, मैक्सिको में जंगलों में लगी आग शहरों तक पहुंची जिससे संपत्ति के साथ-साथ मानव जीवन को भी क्षति पहुंची। इन देशों के जंगलों में असामान्य गर्मी के कारण जंगल आग की चपेट में आए।

भारत में भी जंगलों में आग लगने की घटनाएं होती रहती हैं। हमारे देश में जंगलों में आग की घटनाएं मार्च से मई के बीच ज्यादा होती हैं। इन तीन महीनों में तेज गर्मी पड़ती है. तापमान अधिक होने से सूखे पेड़ों की शाखाओं के आपस में रगड़ने से होने वाले घर्षण से आमतौर पर आग लगती है। उत्तराखंड के जंगलों की ताजा आग को भी इसी नजरिये से देखा गया लेकिन जब जांच हुई तो पता चला कि रील बनाने के शौक के मानसिक विकृति में तब्दील हो जाने के कारण यह आग लगी है। 

राज्य सरकार ने बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि पिछले छह महीनों में प्रदेश के जंगलों में आग लगने की 398 घटनाएं हुईं और इनमें से एक के लिए भी अधिक तापमान या अन्य कोई प्राकृतिक कारण जिम्मेदार नहीं है। ये आग मनुष्यों द्वारा लगाई गई है और धधकते जंगल को वीडियो में कैद कर सोशल मीडिया पर अपलोड करने का शौक इसके लिए जिम्मेदार है। 

आग लगाने के लिए 350 आपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं और दोषी लोगों की तलाश कर उन्हें दंडित करने का प्रयास किया जा रहा है। जंगल की आग तो बुझ जाएगी लेकिन उसने रील बनाने के शौक को गंभीर अपराध न बनने देने के लिए सख्त कानून की जरूरत महसूस करवा दी है। अभी सिर्फ कुछ नियम बने हैं जिनमें कठोर दंड का प्रावधान नहीं है, लेकिन उत्तराखंड सरकार या अन्य राज्य सरकारें अपने स्तर पर कड़ा कानून बना सकती हैं। चुनाव के बाद केंद्र में जो भी नई सरकार आए, उसे इस ओर ध्यान देना होगा।

Web Title: Making reels is made very dangerous for Forest Uttarakhand

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