ब्लॉग: नए उद्योगों की स्थापना के प्रस्तावों को हरी झंडी...70 हजार करोड़ का निवेश, महाराष्ट्र में विकास को गति प्रदान करने वाला कदम
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: December 15, 2022 01:16 PM2022-12-15T13:16:31+5:302022-12-15T13:16:55+5:30
औद्योगिक विकास के लिए पूंजी निवेश आकर्षित करने के लिहाज से राज्यों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा चल रही है. महाराष्ट्र को भी और आकर्षक औद्योगिक नीति बनानी होगी.
महाराष्ट्र में भाजपा तथा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्ववाली शिवसेना की गठबंधन सरकार ने राज्य के विकास के लिए मंगलवार को बड़े उद्योगों की स्थापना से जुड़े बेहद महत्वपूर्ण फैसले लिए. इससे राज्य में औद्योगिक विकास को गति मिलेगी तथा रोजगार के हजारों अवसर पैदा होंगे. मंगलवार को उद्योगों से संबंधित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक हुई. इसमें राज्य में एक दर्जन से ज्यादा नए उद्योगों की स्थापना के प्रस्तावों को हरी झंडी दे दी गई.
प्रस्तावित उद्योगों पर सत्तर हजार करोड़ रु. का निवेश होगा. यह सच है कि सत्तर हजार करोड़ रु. में से आधे से ज्यादा पूंजी निवेश विदर्भ के दो बेहद पिछड़े तथा नक्सल प्रभावित जिलों गढ़चिरोली और चंद्रपुर में होगा. कुछ निवेश नागपुर एवं अमरावती जिलों में भी होगा. एक तरह से शिंदे सरकार ने विदर्भ के औद्योगिक विकास के लिहाज से महत्वपूर्ण तथा दूरगामी फैसला लिया है लेकिन उसने राज्य के अन्य क्षेत्रों की उपेक्षा नहीं की.
सरकार के फैसले से पश्चिम महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र तथा मराठवाड़ा में भी नई औद्योगिक इकाइयां स्थापित होंगी. इन इलाकों में भी नए उद्योग की स्थापना पर 25 हजार करोड़ रु. से ज्यादा का निवेश होगा. महाराष्ट्र औद्योगिक विकास के लिहाज से देश में हमेशा अग्रणी रहा है.
सन् 1960 में राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से ही महाराष्ट्र की विभिन्न सरकारों ने औद्योगिक क्षेत्र में पूंजी निवेश को आकर्षित करने के लिए कई ठोस कदम उठाए. इसके अलावा महाराष्ट्र में कानून और व्यवस्था की स्थिति भी बहुत अच्छी रही है और कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो ट्रेड यूनियनों ने भी उद्योगों के विकास में बाधा नहीं डाली. बीच के कुछ अंतराल को छोड़ दिया जाए तो महाराष्ट्र में बिजली उत्पादन तथा आपूर्ति की स्थिति भी अन्य राज्यों के मुकाबले अच्छी रही है.
कोविड-19 महामारी के कारण दो वर्षों तक राज्य में औद्योगिक विकास का पहिया लगभग थम सा गया था. इन दो वर्षों में राज्य में नए पूंजी निवेश का अकाल रहा लेकिन अब हालात सामान्य हो गए हैं. इसी बीच कुछ उद्योगों के महाराष्ट्र से गुजरात चले जाने के कारण राज्य की छवि को नुकसान जरूर पहुंचा मगर यह आघात क्षणिक साबित हुआ. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तथा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में गठबंधन सरकार ने राज्य के औद्योगिक विकास को पटरी पर लाने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति का परिचय दिया है.
दो माह पूर्व ही राज्य सरकार ने 25 हजार करोड़ रु. के निवेश प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की और अब उसके बाद 13 दिसंबर को 70 हजार करोड़ रु. की लागत से नए उद्योगों की स्थापना के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई. इससे स्पष्ट है कि सरकार राज्य के विकास को लेकर गंभीर है और वह फैसले लेने में तेजी दिखा रही है. मंगलवार को निवेश के नए प्रस्तावों को मंजूरी देते वक्त सरकार ने राज्य के बेहद पिछड़े इलाकों का विशेष ध्यान रखा है.
पिछड़ेपन से उपजी घोर गरीबी ने विदर्भ में नक्सलवाद को पनपने में मदद की. गढ़चिरोली तथा चंद्रपुर में नक्सलवाद ने सबसे गहरी जड़ें जमाईं. नक्सलवाद के कारण पहले से पिछड़े इन दो जिलों से विकास की रोशनी और दूर होती गई. लेकिन अब नक्सलवाद दम तोड़ रहा है और गढ़चिरोली तथा चंद्रपुर जिले विकास की मुख्य धारा में शामिल होने की राह पर हैं. मंगलवार के फैसलों से उन आलोचकों को भी जवाब मिल जाएगा जो एक-दो उद्योग अन्यत्र चले जाने पर राज्य के औद्योगिक निवेश के माहौल को नकारात्मक बता रहे थे.
औद्योगिक विकास के लिए पूंजी निवेश आकर्षित करने के लिहाज से राज्यों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा चल रही है. गुजरात, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक ज्यादा से ज्यादा सुविधाओं की पेशकश कर रहे हैं. इसके लिए वे सस्ती बिजली तथा जमीन के साथ-साथ करों में भी छूट दे रहे हैं. महाराष्ट्र को इस प्रतिस्पर्धा में खुद को और मजबूत बनाने के लिए आकर्षक औद्योगिक नीति बनानी होगी.