लाइव न्यूज़ :

अपनी भाषा और बोली से प्यार कीजिए वर्ना...

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: March 1, 2025 06:43 IST

ऐसी स्मृतियों के मुद्दे को आप इस तरह समझ सकते हैं कि भाषाओं का इतिहास 70 हजार साल से भी ज्यादा पुराना है जबकि लेखन तो बहुत बाद में शुरू हुआ.

Open in App

प्रख्यात शायर और गीतकार जावेद अख्तर ने बड़ी सही बात की है कि भाषा से संपर्क टूटा तो संस्कृति से नाता टूट जाएगा. संदर्भ हालांकि उन्होंने मराठी भाषा का दिया है लेकिन उनकी चेतावनी को सभी भाषाओं के संदर्भ में स्वीकार किया जाना चाहिए. दरअसल बोलियों के जन्म के पीछे भावनाओं की बड़ी भूमिका रही होगी क्योंकि बोलियां भावनाओं की अभिव्यक्ति ही तो हैं.

बोलियां ही विकसित होकर भाषाओं के रूप में स्थापित हुईं लेकिन अब बोलियों का सृजन समाप्त हो चुका है और मनुष्य ने जिन बोलियों को जन्म दिया वो बोलियां बड़ी तेजी से लुप्त होती जा रही हैं. जाहिर सी बात है कि जब अपनी भाषा के साथ नई पीढ़ी का संपर्क नहीं रहेगा या कम होता जाएगा तो हमारी मातृभाषा भी संकट में आएगी ही. इसीलिए जावेद अख्तर ने कहा कि हर मां को अपने बच्चे से मातृभाषा में बात करनी चाहिए.

इसका आशय है कि बचपन में ही अपनी मातृभाषा के प्रति बच्चे में लगाव हो जाए. ध्यान रहे कि मां बच्चे की पहली शिक्षक भी होती है.  लेकिन आज हो क्या रहा है. अपनी बोली तो पता नहीं कहां पीछे छूट गई और मां के मुंह से अंग्रेजी झड़ने लगी. एक भाषा के रूप में अंग्रेजी सम्माननीय है लेकिन ध्यान रखिए कि आपकी मातृभाषा के अलावा दूसरी कोई भी भाषा अपकी भावनाओं को सटीक तरीके से अभिव्क्त नहीं कर सकती क्योंकि सोचते तो आप अपनी भाषा में ही हैं!

अंग्रेज इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि भाषा का सीधा संबंध स्थानीय संस्कृति से होता है और जो समाज सांस्कृतिक रूप से मजबूत होता है, उसे काबू में करना बड़ा मुश्किल है. तो अंग्रेजों ने भारतीय लोगों के मन में यह बात भरी कि अंग्रेजी श्रेष्ठ है. आप अंग्रेजी जानते हैं तो आपकी महत्ता है. यह बात जेहन में इस तरह बैठा दी गई कि अंग्रेज चले गए लेकिन अंग्रेजियत हम पर हावी रही.

वैश्विक संपर्क की भाषा होने के कारण अंग्रेजी भी हमें जाननी चाहिए लेकिन अपनी भाषा में हमें पारंगत होने की जरूरत है. इस मामले में हम पिछड़ रहे हैं और जावेद अख्तर के कथन में यही भय समाया हुआ है कि यदि हम अपनी भाषा से दूर चले जाएंगे तो निश्चित रूप से अपनी संस्कृति से कट जाएंगे. इसे आप भारत का दुर्भाग्य कह सकते हैं कि पिछले पांच दशक में 20 प्रतिशत से अधिक भारतीय भाषाएं लुप्त हो गई हैं.

यह भी विशेषज्ञों का एक अंदाजा ही है. सटीक रूप से कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.  जानकारों का मानना है कि दो तरह की भाषाएं समाप्त हुई हैं. एक तो तटीय इलाकों और वहां के जंगलों में रहने वाले लोगों की भाषा लुप्त हुई क्योंकि विकास की धारा के साथ वे दूसरे कस्बों और शहरों से प्रभावित हो गए. जो घुमंतू जातियां थीं, उनमें अलग-अलग भाषाएं बोली जाती थीं जो अब खत्म हो रही हैं.

माना जा रहा है कि 190 से ज्यादा समुदायों की भाषाएं लुप्त हो गई हैं. जब कोई भाषा समाप्त होती है तो उससे जुड़ी ऐतिहासिक स्मृतियां भी लुप्त हो जाती हैं. ऐसी स्मृतियों के मुद्दे को आप इस तरह समझ सकते हैं कि भाषाओं का इतिहास 70 हजार साल से भी ज्यादा पुराना है जबकि लेखन तो बहुत बाद में शुरू हुआ.

बहुत सी भाषाएं लिखी ही नहीं गई इसलिए वे बोली में भी समाप्त हो जाती हैं तो इसका मतलब है कि सांस्कृतिक कालखंड का एक पूरा अध्याय विलुप्त हो जाता है. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि भाषाओं को बचाए रखने के लिए माइक्रोप्लानिंग होनी चाहिए. हम भाषाएं पैदा नहीं कर सकते लेकिन बचा तो सकते हैं!

टॅग्स :हिंदी साहित्यजावेद अख्तरहिन्दीMarathi Publishers Council
Open in App

संबंधित खबरें

भारतछत्तीसगढ़: हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती

भारतअपनी शब्दों की गहराई से दिल को छूता साहित्य, भावनात्मक सौंदर्य को और निखारकर अमर बना देती कला?

भारतसेपियंस से इनसान की प्रवृत्ति समझाते हरारी, सांकृत्यायन और नेहरू

भारतभाषा के नाम पर बांटने की कोशिश ठीक नहीं 

भारतHindi Diwas 2025: भारत ही नहीं, इन देशों में भी हिंदी का बोलबाला, वजह जान हैरान रह जाएंगे आप

भारत अधिक खबरें

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की