लोकमत संपादकीय: जल्द पहुंचे रेल, ताकि विकास से जुड़ें किसान

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 3, 2019 04:59 AM2019-02-03T04:59:39+5:302019-02-03T04:59:39+5:30

इस नए रेल मार्ग को मंजूरी दिलाने से लेकर इसे विशेष परियोजना का दर्जा प्राप्त करवाने तक अथक प्रयास हुए और अंतत: 11 फरवरी 2009 को तत्कालीन रेल मंत्री लालूप्रसाद यादव के हाथों इस परियोजना का भूमिपूजन किया गया.

Lokmat Editorial: Train arrived soon, so join the development farmers | लोकमत संपादकीय: जल्द पहुंचे रेल, ताकि विकास से जुड़ें किसान

फाइल फोटो

बहुप्रतीक्षित वर्धा-यवतमाल-नांदेड़ रेलमार्ग के लिए अंतरिम बजट में केंद्र सरकार ने 350 करोड़ रुपए का प्रावधान किया, जो स्वागत योग्य है.  औद्योगिक विकास के लिए मील का पत्थर साबित होने वाली इस रेल लाइन का कार्य प्रगति पथ पर है. लेकिन, गति थोड़ी धीमी है. जिसे तेजी प्रदान करने की आवश्यकता है, ताकि ये पिछड़े क्षेत्र विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकें. कभी कपास और संतरा उत्पादन के लिए पहचाना जाने वाला यह इलाका अब किसान आत्महत्याओं के लिए अधिक जाना जाता है. 270 किलोमीटर के वर्धा-यवतमाल-नांदेड़ रेलमार्ग के प्रस्ताव मात्र ने क्षेत्र के किसानों में आशा की किरण जगा दी थी.

इस नए रेल मार्ग को मंजूरी दिलाने से लेकर इसे विशेष परियोजना का दर्जा प्राप्त करवाने तक अथक प्रयास हुए और अंतत: 11 फरवरी 2009 को तत्कालीन रेल मंत्री लालूप्रसाद यादव के हाथों इस परियोजना का भूमिपूजन किया गया. लेकिन, इस घटनाक्रम को बीते एक दशक पूरा हो चुका है. हालांकि हाल ही में राज्य सरकार ने भी रेल परियोजना के लिए अपने हिस्से की राशि में से 100 करोड़ रुपए जारी किए थे तथा इस मार्ग के लिए रेल विभाग द्वारा विविध स्थानों पर रेलवे स्टेशन के लिए टेंडर भी निकाले जा चुके हैं.

लेकिन क्षेत्र के किसानों के लिए विकास के नए मार्ग खोलने वाली इस रेल लाइन का कार्य जल्द से जल्द पूरा होना बेहद जरूरी है. 2501 करोड़ रुपए के वर्धा-यवतमाल-नांदेड़ रेल प्रोजेक्ट के लिए 60 राशि केंद्र सरकार और 40} राशि राज्य सरकार को वहन करनी है. ताजा आंकड़े बताते हैं कि राज्य सरकार अपने हिस्से के 1042 करोड़ में से अब तक 424.6 करोड़ रुपए इस रेल परियोजना को दे चुकी है, जबकि रेल मंत्रलय वर्ष 2018 तक वर्धा-यवतमाल-नांदेड़ रेल प्रोजेक्ट पर 603.67 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है.

रेल मंत्री और कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल द्वारा किए गए 350 करोड़ रुपए के ताजा प्रावधान ने कार्य को गति मिलने की उम्मीद को कायम रखा है, जो समय के साथ जरूरी भी है. क्योंकि कई परियोजनाओं में ऐसा देखने में आया है कि समय के साथ पूरा नहीं होने पर प्रोजेक्ट की लागत तो बढ़ ही जाती है, कई बार वे ठंडे बस्ते का शिकार भी हो जाते हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि वर्धा-यवतमाल-नांदेड़ रेलमार्ग का निर्माण कार्य जल्द से जल्द पूरा होगा और क्षेत्र के बदहाल किसानों के जीवन में खुशहाली आएगी.

Web Title: Lokmat Editorial: Train arrived soon, so join the development farmers

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