'साइलेंट वोटर' की थ्योरी हल हो गई!
By विकास कुमार | Updated: May 23, 2019 11:54 IST2019-05-23T10:54:20+5:302019-05-23T11:54:34+5:30
पॉलिटिकल पंडितों ने साइलेंट वोटर को ऐसा वर्ग मान लिया था जो मोदी सरकार के कामकाज से या तो दुखी था या तथाकथित असहिष्णु माहौल का पीड़ित, जो खुल कर अपनी भावनाओं का इज़हार नहीं करना चाह रहा था.

मोदी-शाह की जोड़ी ने साइलेंट थ्योरी को हल कर दिया है.
हिंदी हार्टलैंड माने जाने वाले मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने बड़ी बढ़त बना ली है. लोग 'एक बार फिर मोदी सरकार' के नारे के साथ जाते हुए दिख रहे हैं. एग्जिट पोल के नतीजे सही साबित हो रहे हैं. साइलेंट वोटर की थ्योरी पूरी तरह से हल हो चुकी है. विपक्ष कुछ सीटों के बढ़त की उम्मीद कर सकता है लेकिन शुरूआती नतीजों ने तय कर दिया है कि नरेन्द्र दामोदर दास मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं.
मोदी-शाह के लिए साइलेंट वोटर
इस चुनाव में एक थ्योरी बहुत सुनने को मिली थी. विपक्ष ने एग्जिट पोल के नतीजों को साइलेंट वोटर की थ्योरी से किल करने का भरसक प्रयास किया था लेकिन रुझान ने यह थ्योरी सौल्व कर दिया है. साइलेंट वोटर ने इस बार मोदी को साइलेंटली वोट डाला है जिसका असर नतीजों पर दिख रहा है. आम चर्चा में भी लोग इस थ्योरी को लेकर चर्चा कर रहे थे और समर्थक भी जीत को लेकर आशंकित थे. खुद बीजेपी इस थ्योरी के कारण परेशान हो गई थी और उनके नेताओं के चेहरों पर एक अप्रत्याशित डर दिख रहा था. लेकिन फिलहाल नतीजे तो इस थ्योरी को मोदी-शाह की तरफ ही मोड़ रहे हैं.
'साइलेंट वोटर की थ्योरी'
पॉलिटिकल पंडितों ने साइलेंट वोटर को ऐसा वर्ग मान लिया था जो मोदी सरकार के कामकाज से या तो दुखी था या तथाकथित असहिष्णु माहौल का पीड़ित, जो खुल कर अपनी भावनाओं का इज़हार नहीं करना चाह रहा था. लेकिन इन्हीं साइलेंट वोटरों के दम पर बीजेपी अपने पुराने प्रदर्शन को दोहरा रही है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार होते हुए भी यह वर्ग बीजेपी को वोट डाल गया.
इसमें कोई शक नहीं है कि यह थ्योरी विपक्ष को ही उल्टा पड़ गया है. साइलेंट वोटर को मोदी-शाह की जोड़ी ने चुपके से अपना बना लिया है. खैर, इंतजार अब फाइनल नतीजों का है जो इसकी प्रासंगिकता पर और वृहत रूप से प्रकाश डालेगा.