लोकसभा चुनाव 2019: बीजेपी को बेगुसराय सीट पर केवल गिरिराज सिंह ही जीत दिला सकते हैं!

By विकास कुमार | Updated: March 27, 2019 17:32 IST2019-03-27T17:32:12+5:302019-03-27T17:32:12+5:30

गिरिराज सिंह हाल के वर्षों में बिहार में भूमिहारों के अकेले बड़े नेता माने जाते रहे हैं. और उन्हें प्रदेश में राजनीति का लंबा अनुभव भी है. इसके विपरीत कन्हैया कुमार जेएनयू में छात्र संघ की राजनीति से उभरे हैं और मीडिया के द्वारा स्थापित चेहरा कहा जाता है.

LOK SABHA ELECTION 2019: BJP will win from begusarai seat only beacause of Giriraj SIngh and AMIT SHAH | लोकसभा चुनाव 2019: बीजेपी को बेगुसराय सीट पर केवल गिरिराज सिंह ही जीत दिला सकते हैं!

लोकसभा चुनाव 2019: बीजेपी को बेगुसराय सीट पर केवल गिरिराज सिंह ही जीत दिला सकते हैं!

Highlightsगिरिराज सिंह का राजनीतिक अनुभव और उनकी छवि इस सीट पर उन्हें बीजेपी का सबसे मजबूत उम्मीदवार बनाती है. हिन्दू ह्रदय सम्राट और राष्ट्रवादी छवि होने का फायदा उन्हें मिल सकता है.नवादा सीट से सांसद बनने के बाद गिरिराज सिंह ने इस क्षेत्र में विकास के कई कार्य किए हैं.

नवादा से बेगुसराय भेजे जाने के कारण बिहार बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह की नाराजगी अब कुछ थमने लगी है. अमित शाह के ट्वीट के बाद गिरिराज सिंह कुछ नर्म पड़े हैं. अमित शाह ने उन्हें इस सीट पर पार्टी और संगठन की तरफ से हर मदद देने का वादा किया है.

नवादा से मोह का कारण 

नवादा सीट से सांसद बनने के बाद गिरिराज सिंह ने इस क्षेत्र में विकास के कई कार्य किए हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक, नवादा में 2014 के बाद एमएसएमई सेक्टर के 4 उद्योग लगाये गए हैं जिससे स्थानीय लोगों को रोज़गार मुहैया करवाया गया है. नवादा से पहली बार दिल्ली तक के लिए सीधी रेल सेवा शुरू की गई है. मनोज सिन्हा से नजदीकी के कारण गिरिराज सिंह ने रेलवे के कई प्रोजेक्ट नवादा क्षेत्र में पास करवाया है. गिरिराज सिंह नवादा सीट से अपनी जीत को लेकर इस बार आश्वस्त दिख रहे थे. 

गिरिराज सिंह की छवि 

गिरिराज सिंह बिहार में इकलौते ऐसे नेता हैं जिनकी नरेन्द्र मोदी से नजदीकी 2004-05 से रही है. हिन्दू ह्रदय सम्राट और राष्ट्रवादी छवि होने का फायदा उन्हें मिल सकता है. इसके विपरीत कन्हैया कुमार की छवि जेएनयू में लगे कथित देशविरोधी नारों के कारण हमेशा संदेहों के घेरे में आ जाती है. दिल्ली पुलिस उन पर इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल करने वाली है. इस सीट पर पीएम मोदी की रैली के बाद राजनीतिक हवा गिरिराज सिंह के पक्ष में घूम सकती है. 

गिरिराज सिंह बिहार में भूमिहारों के अकेले बड़े नेता माने जाते रहे हैं. और उन्हें प्रदेश में राजनीति का लंबा अनुभव भी है. इसके विपरीत कन्हैया कुमार जेएनयू में छात्र संघ की राजनीति से उभरे हैं और मीडिया के द्वारा स्थापित चेहरा माने जाते हैं. काडर आधारित वोट और भाषण कला में निपुणता के कारण कन्हैया कुमार की दावेदारी भी मजबूत दिख रही है. 

गिरिराज सिंह का राजनीतिक अनुभव और उनकी छवि इस सीट पर उन्हें बीजेपी का सबसे मजबूत उम्मीदवार बनाती है. केंद्रीय नेतृत्व को ये मालूम है कि वामपंथ के गढ़ रहे बेगुसराय में इस बार भगवा झन्डा केवल गिरिराज सिंह ही फहरा सकते हैं. 

बेगुसराय वामपंथ का परंपरागत गढ़ 

बेगुसराय सीट परंपरागत रूप से वामपंथ का गढ़ रहा है, भूमिहारों ने ही इसे बिहार में वामपंथ का सबसे मजबूत किला बनाया. लेकिन लालू यादव के मुख्यमंत्री रहते माले और रणवीर सेना के बीच हुए लगातार संघर्षों के कारण यहां के लोगों का सीपीएम से मोहभंग होता चला गया. इसके बावजूद सीपीआई इस सीट पर मजबूत रही है और काडर वोट होने के कारण पिछले चुनाव में सीपीआई के प्रत्याशी राजेंद्र प्रसाद सिंह को 1 लाख 92 हजार वोट मिले. 2009 में भी सीपीआई प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे. 

जातीय समीकरण 

बेगुसराय सीट पर भूमिहार वोटरों की संख्या 4 लाख 75 हजार, मुस्लिम वोट 2 लाख 50 हजार और यादव वोट 1 लाख 50 हजार हैं. मुस्लिम और यादव वोट की बहुलता के कारण यह सीट आरजेडी के उम्मीदवार तनवीर हसन के लिए भी मुफीद मानी जा रही है. क्योंकि कन्हैया कुमार के आने से भूमिहार वोट बंट सकते हैं. तनवीर हसन ने 2014 में इस सीट से चुनाव लड़ा था और उन्हें साढ़े तीन लाख से ज़्यादा वोट मिले थे. बीजेपी के उम्मीदवार से 58 हजार वोटों के मुकाबले हारने के कारण उनकी दावेदारी भी इस बार काफी मजबूत है. 
 

Web Title: LOK SABHA ELECTION 2019: BJP will win from begusarai seat only beacause of Giriraj SIngh and AMIT SHAH