ब्लॉग: युद्ध के पारंपरिक क्षेत्रों की तरह नए क्षेत्रों में भी दक्षता जरूरी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: July 6, 2024 10:55 IST2024-07-06T10:55:26+5:302024-07-06T10:55:34+5:30
जनरल चौहान ने बिल्कुल सही कहा है कि कई हथियारों के बेहतर प्रौद्योगिकी से उन्नत होने के साथ ही युक्तियां और रणनीतियां भी बदल गई हैं और अब यह बहुत तेजी से हो रहा है।

ब्लॉग: युद्ध के पारंपरिक क्षेत्रों की तरह नए क्षेत्रों में भी दक्षता जरूरी
दुनिया जितनी तेजी से तरक्की कर रही है, उतनी ही तेजी से हर चीज बदल रही है और इसमें युद्धों के तौर-तरीकों में होने वाला बदलाव भी शामिल है। इसलिए प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान का यह कहना बिल्कुल सही है कि तकनीकी प्रगति के कारण युद्ध का स्वरूप तेजी से बदल रहा है और देश की सशस्त्र सेनाओं को इस बदलाव को स्वीकार करने के लिए तैयार रहना होगा।
1999 में कारगिल युद्ध के दौरान तोलोलिंग और टाइगर हिल की लड़ाई के 25 साल पूरे होने के मौके पर गुरुवार को जनरल चौहान ने कहा, ‘पहले यह पाया गया कि युद्ध जीतने के लिए वीरता एक आवश्यक तत्व है, लेकिन भविष्य के युद्धों में केवल वीरता ही पर्याप्त नहीं है, हमें लचीलापन रखना होगा तथा खुला दिमाग रखना होगा.’ आदिम युग में शारीरिक बल को ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता था।
इसके बाद इंसान जैसे-जैसे औजारों का आविष्कार करता गया, युद्धों में जीत इस बात पर निर्भर करने लगी कि किस पक्ष के औजार ज्यादा परिष्कृत हैं। औजारों में पहले शस्त्रों का आविष्कार हुआ, जैसे लाठी, तलवार, गदा, फरसा आदि. इसमें दुश्मन के एकदम करीब होकर लड़ना पड़ता था। इससे बचने के लिए अस्त्रों का आविष्कार हुआ जिन्हें दूर से फेंक कर मारा जा सकता था, जैसे धनुष-बाण। आज के अधिकांश हथियार अस्त्र की श्रेणी में ही आते हैं, जैसे बंदूक, तोप, मिसाइलें आदि।
इतिहास गवाह है कि जीत उसी की होती रही है जो आधुनिक हथियारों के आविष्कार में अव्वल रहा। अब लेकिन लड़ाई एक अलग ही दौर में प्रवेश कर गई है। जनरल चौहान ने बिल्कुल सही कहा है कि कई हथियारों के बेहतर प्रौद्योगिकी से उन्नत होने के साथ ही युक्तियां और रणनीतियां भी बदल गई हैं और अब यह बहुत तेजी से हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज हम कई क्षेत्रों में युद्ध की बात कर रहे हैं।
केवल पारंपरिक क्षेत्रों जैसे कि जमीन, समुद्र और वायु के बजाय हमारी सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए साइबर, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम और अंतरिक्ष क्षेत्र भी जोड़े गए हैं। इसलिए अब सिर्फ पारंपरिक क्षेत्रों में ही मजबूत होना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि नए क्षेत्रों में भी उतनी ही दक्षता हासिल करनी होगी।
हमारी सीमाओं पर नजरें गड़ाए रखने वाला चीन जिस तरह से अत्याधुनिक तकनीक के क्षेत्र में दुनिया में सबसे आगे निकलने की कोशिश कर रहा है, उसके मद्देनजर हमारे लिए ऐसा करना और भी जरूरी हो जाता है।