ब्लॉग: जहर में परिवर्तित होता जीवनदायी जल
By पंकज चतुर्वेदी | Updated: May 28, 2024 11:08 IST2024-05-28T11:08:08+5:302024-05-28T11:08:34+5:30
कर्नाटक के मुख्यमंत्री के अपने जिले में दूषित जल से एक युवक मारा गया जबकि सैकड़ों बीमार हो गए। एक तरफ देश के हर हिस्से में बढ़ता तापमान समस्या बना है तो उसके साथ गर्मी से राहत का एकमात्र सहारा जल ही जहर बन गया है।

ब्लॉग: जहर में परिवर्तित होता जीवनदायी जल
वैसे तो इंदिरपुरम का वैभव खंड गाजियाबाद में आता है लेकिन इसकी दिल्ली से दूरी बमुश्किल तीन किमी है। यहां साया गोल्ड एवेन्यू में दूषित पानी के कारण 762 लोगों को अब तक डायरिया हो चुका है। नहाने से त्वचा रोग के मरीज लगभग हर घर में हैं। यहां हंगामा हुआ, पुलिस आई तो बात सभी के सामने खुल गई। गाजियाबाद-नोएडा-गुरुग्राम आदि में यह हाल लगभग हर ऊंची इमारतों वाली सोसायटी का है।
अधिकांश में जल आपूर्ति भूमिगत जल से है और पीने के जल का आश्रय या तो बोतल बंद पानी है या फिर खुद का आर ओ. छत्तीसगढ़ के कबीरधाम के कोयलारी गांव में कुएं का दूषित पानी पीकर एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई। वहीं, 50 से अधिक लोग डायरिया की चपेट में आ गए। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर से भी कई बच्चों के दूषित जल पीने से बीमार होने की खबर है।
प्यास के लिए कुख्यात बुंदेलखंड के टीकमगढ़ जिले के नयारा गांव में खुले कुएं का पानी पीने से एक बच्ची की मौत हो गई जबकि 50 से अधिक को अस्पताल में भरती होना पड़ा। कर्नाटक के मुख्यमंत्री के अपने जिले में दूषित जल से एक युवक मारा गया जबकि सैकड़ों बीमार हो गए। एक तरफ देश के हर हिस्से में बढ़ता तापमान समस्या बना है तो उसके साथ गर्मी से राहत का एकमात्र सहारा जल ही जहर बन गया है।
पूरी दुनिया में, खासकर विकासशील देशों में जलजनित रोग एक बड़ी चुनौती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनिसेफ का अनुमान है कि अकेले भारत में हर रोज 3000 से अधिक लोग दूषित पानी से उपजने वाली बीमारियों का शिकार होकर जान गंवा रहे हैं। गंदा पानी पीने से दस्त और आंत्रशोथ, पेट में दर्द और ऐंठन, टाइफाइड, हैजा, हेपेटाइटिस जैसे रोग अनजाने में शरीर में घर बना लेते हैं।
यह भयावह आंकड़े सरकार के ही हैं कि भारत में करीब 1.4 लाख बच्चे हर साल गंदे पानी से उपजी बीमारियों के चलते मर जाते हैं। देश के 639 में से 158 जिलों के कई हिस्सों में भूजल खारा हो चुका है और उनमें प्रदूषण का स्तर सरकारी सुरक्षा मानकों को पार कर गया है। हमारे देश में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले तकरीब 6.3 करोड़ लोगों को पीने का साफ पानी तक मयस्सर नहीं है।
देश के पेयजल से जहर के प्रभाव को शून्य करने के लिए जरूरी है कि पानी के लिए भूजल पर निर्भरता कम हो और नदी-तालाब आदि सतही जल में गंदगी मिलने से रोका जाए। भूजल के अंधाधुंध इस्तेमाल को रोकने के लिए कानून बनाए गए हैं, लेकिन भूजल को दूषित करने वालों पर अंकुश के कानून किताबों से बाहर नहीं आ पाए हैं।