कृष्ण प्रताप सिंह का ब्लॉग: इन मौतों को रोकने पर भी ध्यान दें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 6, 2020 13:04 IST2020-04-06T13:04:28+5:302020-04-06T13:04:28+5:30

मेडिकल जर्नल ‘लांसेट’ की वर्ष 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में कोई 4300 लोग प्रतिदिन अस्पतालों में समुचित देखरेख के अभाव में अथवा डॉक्टरों की गलतियों व लापरवाहियों के चलते दम तोड़ देते हैं. साल भर में यह संख्या सोलह लाख तक पहुंच जाती है.

Krishna Pratap Singh blog on Coronavirus: Focus on preventing these deaths | कृष्ण प्रताप सिंह का ब्लॉग: इन मौतों को रोकने पर भी ध्यान दें

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

इन दिनों कोरोना वायरस से पूरी दुनिया थर्राई हुई है और हमारे देश में भी लॉकडाउन है. लेकिन कोरोना के अलावा भी ऐसी अनेक मौतें होती हैं जिन्हें रोकने की कोशिश की जाती तो देश और दुनिया का रूप ही कुछ और होता.

इसे यों समझ सकते हैं कि हमारे देश में हर घंटे 17 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं यानी हर रोज चार सौ और साल भर में डेढ़ लाख से ज्यादा.

मेडिकल जर्नल ‘लांसेट’ की वर्ष 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में कोई 4300 लोग प्रतिदिन अस्पतालों में समुचित देखरेख के अभाव में अथवा डॉक्टरों की गलतियों व लापरवाहियों के चलते दम तोड़ देते हैं. साल भर में यह संख्या सोलह लाख तक पहुंच जाती है.

रिपोर्ट में इसका बड़ा कारण देशवासियों की गरीबी को बताया गया है, जिसके कारण कई बार उनकी अच्छे अस्पतालों व डॉक्टरों तक पहुंच ही संभव नहीं होती.  इतना ही नहीं, देश में हर साल पैंतालीस हजार से ज्यादा गर्भवती स्त्रियां शिशुओं के प्रजनन के वक्त जान गंवा देती हैं.

हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है. लांसेट की रिपोर्ट के अनुसार यह बीमारी हर साल दो लाख पांच हजार भारतीयों की जान ले लेती है और देश के ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर पूर्व के त्रिपुरा व मेघालय जैसे राज्यों में प्राय: हर साल इसका कहर टूटता है.

उत्तर प्रदेश और बिहार के कई क्षेत्नों में मस्तिष्क और चमकी ज्वरों से बच्चों की जानें जाने लगती हैं तो उनका सिलसिला भी जल्दी टूटने को नहीं आता.

कोरोना से घबराने वालों की जानकारी के लिए एक बड़ा तथ्य यह भी है कि कोरोना संक्रमितों के मुकाबले एचआईवी, चेचक और खसरे के संक्रमितों की जीवन प्रत्याशा कई गुना कम हुआ करती थी. वे महामारियां ज्यादातर अपने शिकारों से निर्ममता बरतने में बच्चों-बूढ़ों और जवानों में कोई फर्क नहीं करती थीं, जबकि कोरोना ज्यादातर कमजोर इम्युनिटी वालों के लिए ही जानलेवा सिद्ध हो रहा है.

इन तथ्यों से वाकिफ रहकर आप कोरोना के अंधेरे या निराशा का कहीं ज्यादा आत्मविश्वासपूर्वक और ज्यादा सार्थक प्रतिकार कर सकेंगे.

Web Title: Krishna Pratap Singh blog on Coronavirus: Focus on preventing these deaths

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे