ब्लॉग: हम तो डूबे सनम, तुमको भी ले डूबे

By रंगनाथ सिंह | Updated: March 11, 2020 18:45 IST2020-03-11T18:35:06+5:302020-03-11T18:45:13+5:30

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, विनय सहस्रबुद्धे, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इत्यादि नेताओं की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। सिंधिया ने बीजेपी में शामिल होते हुए पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का आभार जताया।

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ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार साल 2002 में मध्यप्रदेश के गुना संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतकर लोक सभा पहुंचे थे। (photo- lokmat news)

बुधवार दोपहर ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के साथ ही डेढ़ साल से जारी अटकलबाजी पर विराम लग गया। कल तक कांग्रेस के होनहार भविष्य समझे जाने वाले ज्योतिरादित्य आज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के मजबूत नेतृत्व में जनसेवा करेंगे। 

राजनीतिक गलियारों में चहलकदमी करने वाले पत्रकारों की मानें सिंधिया कांग्रेस में अपनी उपेक्षा से आहत थे। कहा जा रहा है कि 2018 में हुए मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सबसे बड़े दल बनकर उभरने के बावजूद मुख्यमंत्री न बनाए जाने के बाद से ही सिंधिया के मन में कांग्रेस से ब्रेकअप करने के विचार पनपने लगे थे।

ख़बरों के अनुसार जब सीएम पद नहीं मिला तो सिंधिया मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बनना चाहते थे। कांग्रेस आलाकमान ने उनकी यह ख़्वाहिश भी पूरी नहीं की। यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने गुना लोकसभा सीट से चुनाव हारने वाले सिंधिया को मध्यप्रदेश से राज्यसभा भेजने से भी मना कर दिया जिसकी वजह से सिंधिया ने अपने पिता और अपनी पुरानी पार्टी से नाता तोड़ने का कड़ा और बड़ा फैसला कर लिया।

राहुल गांधी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर पार्टी में फिलहाल कौन सी भूमिका निभा रहे हैं यह साफ नहीं है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस महासचिव (यूपी पूर्व) बनाई गई प्रियंका गांधी अपना पूरा ध्यान उत्तरप्रदेश पर लगा रही हैं। इस समय कांग्रेस की कमान पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों में है।

आज सोनिया गांधी ने कर्नाटक और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्षों के नाम की घोषणा की। राहुल गांधी ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम होने के बावजूद भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम में कमी न आने को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को घेरा। प्रियंका गांधी ने उन्नाव में एक नौ साल की बच्ची के सामूहिक बलात्कार और मृत्यु को लेकर यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार पर सवाल खड़े किये!

<a href='https://www.lokmatnews.in/topics/jyotiraditya-madhavrao-scindia/'>ज्योतिरादित्य सिंधिया</a> मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री रहे थे। (photo- lokmat news)
ज्योतिरादित्य सिंधिया मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री रहे थे। (photo- lokmat news)
सोनिया, राहुल और प्रियंका के 10 और 11 मार्च को जिस तरह सिंधिया के मुद्दे पर कोई कमेंट नहीं किया उससे साफ जाहिर है कि गांधी परिवार इस मुद्दे को ज्यादा तवज्जो नहीं देना चाह रहा है। इससे उन विश्लेषकों की बात को बल मिलता है जिनका दावा है कि सोनिया गांधी ने सिंधिया के सामने पार्टी छोड़ने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं छोड़ा था।

ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी में आकर क्या मिलेगा?

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सिंधिया को बीजेपी में शामिल कराते समय उनकी दादी विजयराजे सिंधिया की याद दिलायी जो भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में थीं। सिंधिया का बीजेपी यह पारिवारिक नाता जगजाहिर ही रहा है। उनकी बुआ वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे भी बीजेपी में हैं। लेकिन क्या यह पारिवारिक नाता सिंधिया को बीजेपी में वह सत्ता सुख दिला सकेगा जो उन्हें कांग्रेस में नहीं मिला?

बीजेपी में शामिल होने के बाद सिंधिया के मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने की ख़्वाहिश पूरी हो सकती है इसकी उम्मीद उनके सबसे कट्टर समर्थकों को भी नहीं होगी। 

यह भी संभव नहीं लगता कि बीजेपी जैसी कैडर आधारित पार्टी सिंधिया को मध्यप्रदेश बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी। 

बुधवार शाम ही बीजेपी ने सिंधिया को राज्यसभा उम्मीदवार बनाकर साफ कर दिया कि वो उन्हें उच्च सदन में भेज रही है। राजनीतिक पत्रकारों के अनुसार उन्हें केंद्रीय मंत्रीमण्डल में भी जगह दी जा सकती है। सिंधिया मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री रह चुके हैं तो जाहिर है कि मोदी कैबिनेट में जगह पाना अधिक से अधिक सांत्वना पुरस्कार ही माना जा सकता है। 

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले ही मीडिया में खबरें आने लगी थीं कि सिंधिया, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच प्रदेश की सत्ता को लेकर रस्साकशी जारी है। चुनाव के बाद जब कांग्रेस सबसे बड़ा दल बनकर उभरी तो कमलनाथ और दिग्विजय एक पाले में नजर आए और सिंधिया को अलग-थलग कर दिया गया।  

खबरों की मानें तो कांग्रेस आलाकमान कमलनाथ और दिग्वजिय के खिलाफ सिंधिया को समर्थन नहीं दे रहा था इसलिए वो ज्यादा नाराज थे। ऐसे में सिंधिया को बीजेपी में आने के बाद सबसे बड़ा सुख यही मिलना है कि शायद वो मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार गिरा दें। कमलनाथ सरकार गिर गई तो इससे सिंधिया को कोई बड़ा सीधा फायदा नहीं होगा लेकिन वो कमलनाथ और दिग्विजय से यह जरूर कह सकेंगे कि 'हम तो डूबे सनम तुमको भी ले डूबे।'

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