जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: भारत के पास कोरोना वैक्सीन का वैश्विक हब बनने का मौका

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: April 30, 2021 12:30 PM2021-04-30T12:30:37+5:302021-04-30T12:34:08+5:30

भारत इस समय कोरोना की दूसरी लहर के बीच फंसा है और इससे बाहर निकलने के लिए जूझ रहा है. इसी बीच उसके पास कोरोना वैक्सीन निर्माण के नए मुकाम पर भी पहुंचने का मौका है.

Jayantilal Bhandari's Blog: India Oppotunity to bacome Global Hub for Corona Vaccine | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: भारत के पास कोरोना वैक्सीन का वैश्विक हब बनने का मौका

कोरोना वैक्सीन के क्षेत्र में भारत की भूमिका अहम (फाइल फोटो)

हाल ही में 26 अप्रैल को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच टेलीफोन वार्ता में जो बाइडेन ने कहा कि अमेरिका भारत के लिए कोरोना वैक्सीन के उत्पादन से संबंधित आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति पर लगी रोक को हटाते हुए इसकी सरल आपूर्ति सुनिश्चित करेगा. 

बाइडेन ने यह भी कहा कि जिस तरह महामारी की शुरुआत में भारत ने अमेरिका को मदद भेजी थी, उसी तरह अब अमेरिका भी भारत की मदद के लिए कटिबद्ध है.

निस्संदेह इस समय जब कोरोना की दूसरी घातक लहर के बीच देश में स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति दिखाई दे रही है, तब देश और दुनिया की कोरोना वैक्सीन की जरूरतों की पूर्ति के लिए रणनीतिपूर्वक आगे बढ़ रहे भारत के लिए अमेरिका की नई मदद महत्वपूर्ण है. 

इससे भारत कोरोना वैक्सीन निर्माण के नए मुकाम की ओर तेजी से आगे बढ़ते हुए वैश्विक मानव कल्याण में अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई दे सकेगा.

गौरतलब है कि कोई एक साल पहले जब फरवरी-मार्च 2020 में देश में कोरोना संक्रमण की पहली लहर शुरू हुई थी, तब देश में कोरोना की रोकथाम के लिए कोरोना वैक्सीन से संबंधित शोध और उत्पादन के विचार आने शुरू हुए थे. 

सामान्य तौर पर किसी बीमारी का टीका बनाने में कई वर्ष लगते हैं, लेकिन भारत में कोरोना वायरस की चुनौती के मद्देनजर कुछ महीनों के अंदर कोरोना का टीका बनाने का कठिन लक्ष्य पूरा किया गया और बड़े पैमाने पर सफलतापूर्वक वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर दिया गया.

यह भी महत्वपूर्ण है कि देश में कोरोना वैक्सीन के दाम दुनिया में सबसे कम हैं. देश में सीरम इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया की ‘कोविशील्ड’ तथा स्वदेश में विकसित भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ का उपयोग 16 जनवरी से शुरू हुए देशव्यापी टीकाकरण अभियान में किया जा रहा है. 

देश में 26 अप्रैल तक कोरोना वैक्सीन की 14 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी है. कोविड-19 टीकाकरण के लिए भारत का डिजिटल बुनियादी ढांचा वरदान बन गया है. सभी को टीकाकरण का तुरंत डिजिटल प्रमाण पत्र दिया जाता है, जिसे ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन कहीं भी सत्यापित किया जा सकता है.

उल्लेखनीय है कि 20 अप्रैल को केंद्र सरकार ने टीका वितरण के जो नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, वे कोरोना से रोकथाम और अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद हैं. इसके तहत 1 मई से 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी भारतीयों को टीका लगाया जा सकेगा. 

सरकार स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति पर काम करने वालों के नि:शुल्क टीकाकरण का 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के दायित्व बनाए रखेगी. राज्य सरकारों को यह अधिकार दिया गया है कि वे अपनी उपयुक्तता के अनुरूप कोरोना टीका उत्पादक देशी या विदेशी कंपनियों से टीके की खरीद तथा अपने प्रदेश में टीका लगाने संबंधी उपयुक्त निर्णय ले सकेंगी. 

यह भी महत्वपूर्ण है कि 26 अप्रैल को केंद्र सरकार ने कोरोना की वैक्सीन बनाने वाली देश की दोनों कंपनियों से कहा कि वे वैक्सीन की कीमत घटाएं. कोविशील्ड बना रही सीरम इंस्टीट्यूट ने 28 अप्रैल को कोरोना वैक्सीन की कीमतें राज्य सरकारों के लिए कम कर दी हैं. 

अब राज्यों को वैक्सीन की एक डोज 400 रु. की जगह 300 रु. में दी जाएगी. निस्संदेह केंद्र सरकार की कोरोना टीका उत्पादन व वितरण की नई नीति से जहां टीका विनिर्माता कंपनियों के लिए बड़ा बाजार खुल गया है, वहीं मानव कल्याण के मद्देनजर भारत कोरोना वैक्सीन का वैश्विक उत्पादक देश बनने की डगर पर भी आगे बढ़ा है. 

देश में सरकार के समर्थन से दुनिया की सबसे बड़ी टीका विनिर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया अपनी मासिक उत्पादन क्षमता और बढ़ा सकती है. भारत बायोटेक सालाना 70 करोड़ खुराक की उत्पादन क्षमता तथा जाइडस कैडिला सालाना उत्पादन क्षमता 24 करोड़ खुराक करने की डगर पर आगे बढ़ सकती है. 

यह बात भी महत्वपूर्ण है कि सरकार ने कोरोना टीकाकरण में अहम भूमिका निभाने वाली दो भारतीय टीका निर्माता कंपनियों सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक को क्रमश: 3,000 करोड़ रु. और 1,500 करोड़ रु. की अग्रिम राशि दिया जाना सुनिश्चित किया है.

स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि भारत कोरोना वैक्सीन का वैश्विक स्तर पर बड़ा सप्लायर बनने की तैयारी कर रहा है. इस दिशा में नीतिगत स्तर पर 15 अप्रैल को सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशंस की तरफ से कई अहम फैसले लिए गए हैं. 

भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की इमरजेंसी यूज लिस्टिंग में सूचीबद्ध कोरोना वैक्सीन के भारत में आने का रास्ता साफ कर दिया है, जिससे तत्काल विदेशी वैक्सीन का आयात किया जा सकेगा. 

वैक्सीन उत्पादन से जुड़े कच्चे माल का आयात करके बड़ी मात्रा में कोरोना वैक्सीन का निर्यात भी किया जा सकेगा. अब शीघ्र ही विदेशी कंपनियां भारत में अपनी सब्सिडियरी या फिर अपने अधिकृत एजेंट के माध्यम से वैक्सीन का उत्पादन कर सकेंगी.

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