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पवन ऊर्जा की सप्लाई चेन में निवेश जरूरी, नीति-निर्माता इस बिंदु पर करें काम

By निशांत | Updated: March 30, 2023 16:38 IST

पवन ऊर्जा की सप्लाई चेन में रुकावट की वजह से 2030 के जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में बाधा आ सकती है और इसके चलते-2050 तक नेट-जीरो तक पहुंचने की दुनिया की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है।

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पवन बिजली उद्योग 2025 तक, ऑनशोर या तटवर्ती और ऑफशोर या अपतटीय, दोनों बाजारों में तेजी से आगे बढ़ते हुए वर्ष 2027 तक 680 गीगावाट की रिकॉर्ड स्थापना की उम्मीद कर रहा है। सप्लाई चेन की रुकावटों को दूर करने के लिए नीति-निर्माताओं को 2026 से काम करने की जरूरत है।

इसकी सप्लाई चेन में रुकावट की वजह से 2030 के जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में बाधा आ सकती है और इसके चलते-2050 तक नेट-जीरो तक पहुंचने की दुनिया की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। साथ ही 2022 एक निराश करने वाले साल के बाद, अब आने वाले वर्षों में पवन बिजली उद्योग प्रतिवर्ष 136 गीगावाट स्थापित करने के लिए तैयार है।

इन बातों का पता चलता है ग्लोबल विंड रिपोर्ट से, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि दुनिया में आपूर्ति श्रृंखला में निवेश बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है। ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल की मैपिंग से पता चलता है कि यूएस और यूरोप, जल्द ही दोनों में 2025 से टर्बाइनों और घटकों के लिए आपूर्ति की बाधाएं सामने आने की संभावना है, जबकि चीन में पवन बिजली उद्योग तेजी से निर्माण करता दिख रहा है और बड़े विकासशील देश अपनी पवन ऊर्जा तैनाती में तेजी ला रहे हैं।

नीति निर्माताओं द्वारा सही कदम उठाने और इसकी आपूर्ति के लिए उठाए गए प्रभावी कदमों का पवन ऊर्जा में बढ़ोत्तरी पर साफ असर होगा क्योंकि दुनिया वक्त रहते, अपनी जीवाश्म ईंधन पर ऊर्जा की जरूरतों को कम करने में सक्षम होगी और इसकी जगह साफ-सुथरी ऊर्जा के रास्ते पर आगे बढ़ेगी।

ऐसे में अब आपूर्ति श्रृंखलाओं में निवेश को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय जरूरत के अनुरूप इसे लचीला बनाए जाने का वक्त है क्योंकि संरक्षणवादी व्यापार उपायों को लागू करने के प्रयासों से लागत ऊंची होने के साथ-साथ पवन और रिन्युएबल बिजली के विस्तार में देरी का जोखिम है। जो ग्लोबल वार्मिंग के 1.5 डिग्री तक पहुंच जाने के खतरे की संजीदगी को देखते हुए सही नहीं है।

टॅग्स :Energy DepartmentGreen Energy
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