इन मुस्लिम देशों में भी बैन है ट्रिपल तलाक, फिर भारत में कानून का विरोध क्यों?

By आदित्य द्विवेदी | Updated: December 29, 2017 15:35 IST2017-12-29T13:10:31+5:302017-12-29T15:35:54+5:30

मौजूदा विधेयक के अनुसार इंस्टैंट ट्रिपल तलाक 'गैरकानूनी व अमान्य' होगा और इसके तहत पति को 3 साल तक जेल की सजा हो सकती है।

Instant Triple Talaq is banned in Other Muslim countries, Why questions being raised in India | इन मुस्लिम देशों में भी बैन है ट्रिपल तलाक, फिर भारत में कानून का विरोध क्यों?

इन मुस्लिम देशों में भी बैन है ट्रिपल तलाक, फिर भारत में कानून का विरोध क्यों?

Highlightsइंस्टैंट ट्रिपल तलाक को पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत कई मुस्लिम देशों ने बैन कर रखा हैअभी तक तलाक का मामला सिविल एक्ट के तहत आता है जिसे मौजूदा बिल पेश होने के बाद क्रिमिनल एक्ट बना दिया जाएगायह प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा।

ट्रिपल तलाक को क्रिमिनल एक्ट करार देने वाला विधेयक लोकसभा में पारित कर दिया गया है। 'मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों का संरक्षण) विधेयक-2017' को बीजेपी समेत सभी सहयोगी दलों ने अपना समर्थन दिया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसे ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में भी इंस्टैंट ट्रिपल तलाक पर बैन है। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि जब दुनिया के 20 देशों ने इसपर बैन लगा रखा है तो फिर भारत में इस पर कानून का विरोध क्यों हो रहा है?

राष्ट्रीय जनता दल, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलिमीन (एआईएमआईएम), भारतीय यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), बीजू जनता दल के सदस्यों व कुछ दूसरी पार्टियों ने इस विधेयक को पेश किए जाने का विरोध किया। राजनैतिक दलों से इतर कई मुस्लिम संगठनों में भी इस विधेयक को लेकर अलग-अलग राय है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी ने लोकसभा में बिल पारित होने के बाद कहा, 'हम इस मसौदे को सुधारने के लिए लोकतांत्रिक तरीका अपनाएंगे। फिलहाल इसको लेकर अदालत जाने की कोई योजना नहीं है। ऐसा लगता है कि यह विधेयक किसी हड़बड़ी में लाया गया है।' शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने लोकमत से बात-चीत में कहा कि ट्रिपल तलाक को क्रिमिनल एक्ट बनाने वाले कानून का स्वागत है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विधेयक में तीन साल की सजा का प्रावधान किया है जबकि हम चाहते हैं कि इसके लिए 10 साल की सजा हो।

इन देशों में इंस्टैंट ट्रिपल तलाक पर है बैन

इंस्टैंट ट्रिपल तलाक को कई मुस्लिम देशों ने बैन कर रखा है। इन देशों का जिक्र सुप्रीम कोर्ट में ट्रिपल तलाक पर बने पैनल ने भी किया था। पैनल ने ताहिर महमूद और सैफ महमूद की किताब मुस्लिम लॉ इन इंडिया का जिक्र किया। इसमें अरब के देशों में तीन तलाक को समाप्त किए जाने की बात कही है। इसके अलावा इंस्टैंट ट्रिपल तलाक को अल्जीरिया, मिस्र, इराक, जॉर्डन, कुवैत, लेबनान, लीबिया, मोरक्को, सूडान, सीरिया, ट्यूनीशिया, संयुक्त अरब अमीरात और यमन में भी कोई जगह नहीं है। इसके अलावा इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देश तलाक के लिए सख्त कानून रखते हैं। भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में भी इंस्टैंट ट्रिपल तलाक के लिए कोई जगह नहीं है।

...फिर भारत में क्यों हो रहा है कानून का विरोध?

ट्रिपल तलाक पर सबसे बड़ी आपत्ति इसको क्रिमिनल एक्ट बनाने को लेकर है। अभी तक तलाक का मामला सिविल एक्ट के तहत आता है जिसे मौजूदा बिल पेश होने के बाद क्रिमिनल एक्ट बना दिया जाएगा। इसके तहत किसी भी तरह से दिया गया इंसटैंट ट्रिपल तलाक (बोलकर या लिखकर या ईमेल, एसएमएस, वॉट्सऐप आदि के जरिए) 'गैरकानूनी और अमान्य' होगा और पति को 3 साल तक जेल की सजा हो सकती है।

असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि इस्लाम में तलाक-ए-बिद्दत और देश में घरेलू हिंसा कानून पहले से लागू है। ऐसे में देश को नए कानून की क्या जरूरत है? औवेसी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि केंद्र सरकार तीन तलाक पर जो बिल ला रही है, वह सविंधान में दिए गए मूल अधिकारों का हनन है। इसमें कई ऐसे प्रावधान हैं, जो कानूनसंगत नहीं हैं।

सदन में ओवैसी ने एक बंदर और मछली की कहानी भी सुनाई, कहा कि बचपन में हम एक कहानी सुनते थे कि एक नदी में बहुत सारी मछलियां तैर रही हैं और मजे कर रही हैं। किनारे पर एक बंदर बैठा है और वो इन मछलियों को एक-एक कर नदी से निकालता है और किनारे रखता है। किनारे आने से ये मछलियां पानी के लिए तड़प-तड़पकर मर गईं। जब बंदर से पूछा गया कि उसने इन मछलियों को क्यों बाहर निकाला तो उसने जवाब दिया कि वो इन मछलियों को पानी में डूबने से बचा रहा था। ओवैसी ने कहा कि सरकार के मुस्लिम महिलाओं को लेकर किया जा रहा ये प्रयास उस बंदर जैसा ही है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा कि यह बिल मौलिक अधिकारों का हनन है। सरकार को मुस्लिम औरतों से कोई लेना देना नहीं है, सियासी फायदे के लिए इस बिल को पास कराया गया है। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा, 'सरकार यह बिल संकीर्ण राजनीतिक फायदे के लिए लेकर आई है। इससे मुस्लिम महिलाओं को फायदा नहीं होगा।

आम मुसलमानों की आवाज नहीं है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी का कहना है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड देश के आम मुसलमान की आवाज नहीं है। ये हमेशा सरकार के फैसलों के खिलाफ रहते हैं चाहे वो फैसला मुसलमानों के हित में ही क्यों ना हो। उन्होंने लोकमत से बात करते हुए कहा कि इंस्टैंट ट्रिपल तलाक का किसी मजहब या कुरान से कोई वास्ता नहीं है। यह महिलाओं पर पितृसत्तात्मक सोच ने लादा था जिसे खत्म करना जरूरी था। रिज़वी का मानना है कि विधेयक में सिर्फ तीन साल की सजा का प्रावधान है जबकि कम से कम 10 साल की सजा दी जानी चाहिए।

ऐसा है प्रस्तावित बिल

- तीन बार तलाक चाहे बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से कहना गैरकानूनी होगा।

- अगर किसी पति ने ऐसा किया तो तीन साल की जेल की सजा हो सकती है। यह गैर-जमानती अपराध होगा।

- यह कानून सिर्फ 'तलाक ए बिद्दत' यानी एक साथ तीन बार तलाक बोलने पर लागू होगा।

- तलाक की पीड़िता अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से अपील कर सकेगी।

- पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के रक्षण का भी अनुरोध कर सकती है। मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे।

- यह प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा है।

विपक्षी दलों ने गिनाई खामियां

- इस प्रस्तावित विधेयक में मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देने की बात पेश की गई है, लेकिन उस गुजारे भत्ते के निर्धारण का तौर तरीका नहीं बताया गया है। 1986 के मुस्लिम महिला संबंधी एक कानून के तहत तलाक पाने वाली महिलाओं को गुजारा भत्ता मिल रहा है। इस कानून के आ जाने से पुराने कानून के जरिए मिलने वाला भत्ता बंद हो सकता है।

- इस कानून के लागू होने के बाद इसका दुरुपयोग मुस्लिम पुरुषों  के खिलाफ होने की आशंका भी है। क्योंकि विधेयक में ट्रिपल तलाक साबित करने की जिम्मेदारी केवल महिला पर है। महिलाएं के साथ अगर पुरुषों को भी इसको साबित करने की जिम्मेदारी दी जाती है तो कानून ज्यादा सख्त होगा ।

- सरकार ने अभी तक इस विधेयक में कोई विशेष निधि नहीं बनाई है। इसमें केवल महिला सशक्तिकरण को पेश किया गया है, लेकिन अभी तक महिला आरक्षण बिल सरकार नहीं लाई।

Final Comment: इंस्टैंट ट्रिपल तलाक किसी भी धर्म को मानने वाली महिला के लिए अमानवीय है। इसे खत्म करने के लिए कानून बेहद जरूरी था इस दिशा में बीजेपी ने सराहनीय कदम उठाया है। हालांकि 'मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों का संरक्षण) विधेयक-2017' के कुछ प्रावधानों और उनकी कमियों पर बहस हो सकती है लेकिन इसे सिरे से खारिज करने वाले मुस्लिम महिलाओं के सच्चे हितैषी नहीं हो सकते।

Web Title: Instant Triple Talaq is banned in Other Muslim countries, Why questions being raised in India

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