India-Pakistan ceasefire Updates: पाकिस्तान को सैन्य कार्रवाई से उत्तर, देश और विश्व को दी जाने वाली जानकारी में नए रूप में भारत सामने आया है. 7 मई को आतंकवादी अड्डे ध्वस्त किए जाने के बाद सेना की दो महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह भारत की प्रवक्ता के रूप में सामने आईं और साथ विक्रम मिसरी आते रहे. संघर्ष रुकने के बारे में भी उनके माध्यम से ही देश ने अपना पक्ष सुना. हालांकि भारत जैसे परिपक्व और भविष्य की महाशक्ति की योजना से आगे बढ़ने वाला देश कोई हल्का वक्तव्य नहीं दे सकता.
कर्नल सोफिया कुरैशी ने जो कहा उससे भारत का रक्षा स्टैंड काफी हद तक स्पष्ट होता है. भारत दीर्घकालीन युद्ध की सोच से पाकिस्तान की सीमा में आतंकवादी केंद्रों को ध्वस्त करने नहीं गया था. देश में वातावरण इस कारण बना क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने जैसा पराक्रम दिखाया है, उसको तार्किक परिणति या निर्णायक अवस्था में ले जाने की सामूहिक अपेक्षा पैदा हो गई.
हालांकि पहलगाम आतंकी हमले के पहले किसी ने नहीं कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर के लिए हमला करिए या पाकिस्तान पर हमला करिए. प्रश्न है कि क्या सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने सरकार से पाक अधिकृत कश्मीर लेने या पाकिस्तान से अंतिम सीमा तक युद्ध करने की मांग की थी? क्या सरकार ने ऐसी कोई बात कही थी?
पाकिस्तान और आतंकवाद के विरुद्ध इतनी बड़ी विजय और सफलता के साथ ही भारत ने स्पष्ट कर दिया कि कोई भी आतंकवादी घटना एक्ट ऑफ वार यानी युद्ध का कदम माना जाएगा तो उसमें राजनीतिक नेतृत्व से बातचीत की गुंजाइश बचती नहीं है. इसका अर्थ हुआ कि अगर आतंकवादी हमला हुआ तो अभी हम केवल आतंकवादी केंद्रों को निशाना बनाने के लिए मिसाइल के साथ घुसे, उसके बाद हमला मानकर पाकिस्तान से सीधे टकराएंगे. इससे स्पष्ट मुखर और आक्रामक नीति तथा वक्तव्य कुछ हो ही नहीं सकता.
इस बार सैन्य कार्रवाई से संबंधित सभी निर्णयों में राजनीतिक नेतृत्व के साथ सेना के तीनों प्रमुखों और सीडीएस सम्मिलित रहे. संघर्ष रोकने की घोषणा के पहले भी प्रधानमंत्री ने उनके साथ बैठकें की और सैन्य बलों ने क्या किया क्यों किया, कैसे किया, क्या सोचती है और क्या करेगी, यही बदले भारत काे दिखाता है और देश को इस पर विश्वास करना चाहिए.