भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: नई तकनीकों में निवेश करें
By भरत झुनझुनवाला | Published: January 11, 2019 06:49 PM2019-01-11T18:49:20+5:302019-01-11T18:49:20+5:30
द्वितीय विश्व युद्ध के समय अमेरिका में एटम बम का निर्माण हुआ जो कि बाद में परमाणु ऊर्जा के रूप में विकसित हुआ। सत्तर के दशक में अमेरिका में कम्प्यूटर का आविष्कार हुआ।
रामायण में प्रसंग आता है कि भगवान राम पुष्पक विमान पर आरूढ़ होकर लंका से अयोध्या पहुंचे। यह शोध का विषय है कि यह विमान आकाश में चलने वाला वायुयान था अथवा पानी पर चलने वाला जहाज। बहरहाल, पूर्व में भारत में वायुयान चलते भी हों तो भी इस तथ्य को नहीं नकारा जा सकता कि बीती दो शताब्दी में तकनीकी दृष्टि से हम बहुत पीछे रह गए हैं। पिछली शताब्दी के प्रमुख तकनीकी आविष्कार अमेरिका में हुए हैं।
द्वितीय विश्व युद्ध के समय अमेरिका में एटम बम का निर्माण हुआ जो कि बाद में परमाणु ऊर्जा के रूप में विकसित हुआ। सत्तर के दशक में अमेरिका में कम्प्यूटर का आविष्कार हुआ। नब्बे के दशक में इंटरनेट का आविष्कार हुआ। इन आविष्कारों की बदौलत अमेरिका आज विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बन चुका है। अपने नए तकनीकी आविष्कारों को महंगा बेचकर अमेरिका भारी रकम कमा रहा है। जैसे अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विंडोज सॉफ्टवेयर बनाने में लागत एक डॉलर से भी कम आती है जबकि वह कंपनी विश्व बाजार में लगभग दस डॉलर में बेच रही है। अपने उच्च तकनीकी माल को महंगा बेचकर और भारत से बासमती चावल और गलीचों को सस्ता खरीदकर अमेरिका समृद्ध हो गया है। इस विपरीत परिस्थिति में फिर भी विश्व बाजार में भारत टिका हुआ है क्योंकि भारत में गरीबी है और श्रम सस्ता है। कुछ माल में श्रम का हिस्सा ज्यादा होता है जैसे बासमती चावल अथवा गलीचों के उत्पादन में श्रम अधिक लगता है।
इन श्रम-सघन माल की उत्पादन लागत भारत में कम आती है। इन माल को भारत बेचता है। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार अमेरिका की उच्च तकनीकों और भारत के सस्ते वेतन पर अबतक टिका हुआ है। अमेरिका उच्च तकनीकों के माल हमें बेचता है और हम सस्ते वेतन से बने माल अमेरिका को बेचते हैं। वर्तमान तकनीकी आविष्कारों से भारत के सस्ते वेतन का जो लाभ है वह समाप्तप्राय होता जा रहा है। अमेरिका एवं विकसित देशों में रोबोट का प्रचलन बढ़ रहा है। चीन में एक फैक्ट्री बनी है जिसमें एक भी श्रमिक नहीं हैं। सभी काम रोबोट द्वारा किए जाते हैं। अपने देश में वैज्ञानिकों के वेतन न्यून हैं। अत: नई तकनीकों का आविष्कार करने में भारत में लागत कम आएगी।