भारत-फिनलैंड साझेदारी: सतत भविष्य की ओर

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: May 6, 2025 07:11 IST2025-05-06T07:10:54+5:302025-05-06T07:11:21+5:30

इसके साथ ही, निर्माण, वस्त्र और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में सर्कुलर बिजनेस मॉडल को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं बनाई जा रही हैं.

India-Finland partnership Towards sustainable future | भारत-फिनलैंड साझेदारी: सतत भविष्य की ओर

भारत-फिनलैंड साझेदारी: सतत भविष्य की ओर

हेमंत एच. कोटलवार

6 दिसंबर 1983 को दक्षिणी महासागर की ठंडी हवाओं के बीच, फिनलैंड के बर्फ तोड़ जहाज ‘फिनपोलारिस’ पर प्रतीकात्मक समारोह आयोजित हुआ. फिनलैंड के एक क्रू सदस्य ने समुद्र के पौराणिक देवता नेपच्यून का वेश पहनकर अंटार्कटिका जा रहे 81 भारतीय वैज्ञानिकों और सहायक कर्मियों को ‘बपतिस्मा प्रमाण पत्र’ दिए. ये सभी भारत का पहला वैज्ञानिक केंद्र स्थापित करने जा रहे थे. इसी दौरान समुद्र के बीच भारतीयों और फिनलैंडवासियों ने मिलकर फिनलैंड का स्वतंत्रता दिवस मनाया.

यह प्रसंग भारत-फिनलैंड के आपसी सहयोग और पारस्परिक सम्मान की भावना को दर्शाता है. भारत और फिनलैंड ने 2024 में अपने राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे किए और दोनों देशों के बीच सहयोग का एक सुंदर उदाहरण है अंटार्कटिका में भारत का पहला स्थायी वैज्ञानिक केंद्र ‘दक्षिण गंगोत्री’. इसे 1984 में संयुक्त प्रयास से स्थापित किया गया था.

उस दौर में जब दुनिया के कुछ ही देश दक्षिणी महाद्वीप की बर्फीली भूमि तक पहुंचे थे, अंटार्कटिका में स्थायी उपस्थिति दर्ज कराने का भारत का सपना साहसी और अग्रणी सोच का प्रतीक था. इस सपने को साकार करने में फिनलैंड की तकनीकी सहायता और लॉजिस्टिक साझेदारी ने अहम भूमिका निभाई. इस वजह से भारत के वैज्ञानिक और ध्रुवीय अन्वेषण इतिहास का एक गौरवपूर्ण अध्याय शुरू किया.

भारत फिनलैंड को एक अग्रणी तकनीकी शक्ति मानता है और यह धारणा फिनलैंड की नोकिया, वार्टसिला, कोने, लिंडस्ट्रॉम जैसी कंपनियों के योगदान से और भी मजबूत हुई है. इन्होंने भारत के विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाने और देशवासियों की आकांक्षाओं को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

फिनलैंड की उन्नत तकनीकी व्यवस्था में 30 हजार से अधिक की भारतीय प्रवासी और प्रमुख भारतीय आईटी कंपनियों की मौजूदगी ने दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूती दी है. इस जीवंत साझेदारी को हर साल लगभग 3 अरब यूरो के सशक्त व्यापार और वैश्विक व तकनीकी चुनौतियों से निपटने के बढ़ते सहयोग से और भी बल मिला है.

जैसे-जैसे भारत जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों का सामना कर रहा है और 2070 तक कार्बन तटस्थता का महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, फिनलैंड के साथ उसकी साझेदारी को नई रणनीतिक अहमियत मिल गई है. अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए किए गए बड़े निवेशों के साथ, भारत एक परिवर्तनकारी ऊर्जा परिवर्तन की अगुवाई कर रहा है. इससे जो परिवहन, ऊर्जा उत्पादन और संसाधन प्रबंधन में बदलाव आ रहा है.

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) का तेजी से बढ़ता चलन दोहरे उद्देश्य की पूर्ति कर रहा. पहला पर्यावरणीय प्रदूषण को कम करना और दूसरा ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना. 2030 तक दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक वाहन बाजार बनने का लक्ष्य रखते हुए भारत सरकार ने मजबूत समर्थन तंत्र तैयार किया है.

इसमें एफएएमई (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) और पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव्स) योजनाएं शामिल हैं. एफएएमई इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को तेज करता है और चार्जिंग नेटवर्क को बढ़ाता है, जबकि पीएलआई घरेलू स्तर पर वाहनों, बैटरियों और घटकों के निर्माण को बढ़ावा देता है.

इन रणनीतिक निवेशों से पहले ही प्रभावशाली परिणाम मिल रहे हैं. 2020 में सभी वाहनों का केवल 0.8 प्रतिशत इलेक्ट्रिक था, जो 2024 में बढ़कर 8 प्रतिशत हो गया है, जिससे भारतीय सड़कों पर 5.7 मिलियन से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन आ चुके हैं.

परिवहन के अलावा भारत अपनी ऊर्जा उत्पादन व्यवस्था को क्रांतिकारी बनाने के लिए साहसिक कदम उठा रहा है. जनवरी 2024 में, भारत ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन शुरू किया, जिसके लिए 2.5 बिलियन डॉलर का बड़ा निवेश किया गया. यह पहल भारत को हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धी बनाती है, जिसमें हाइड्रोजन के उत्पादन, घरेलू उपयोग और निर्यात पर ध्यान दिया गया है.

इसी के साथ, फरवरी 2025 में न्यूक्लियर एनर्जी मिशन शुरू किया गया, जिसमें छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर के शोध और विकास के लिए 2.5 बिलियन डॉलर का समान निवेश किया गया. ये पहल पहले से हुए काम पर आधारित हैं और भारत ने 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिसमें अब तक लगभग 200 गीगावॉट सौर, पवन, जल और परमाणु ऊर्जा जैसी स्वच्छ ऊर्जा क्षमता स्थापित की जा चुकी है. भारत इंटरमिटेंट नवीकरणीय ऊर्जा के समायोजन की चुनौतियों को हल करने के लिए उन्नत ग्रिड स्थिरीकरण तकनीकों में निवेश कर रहा है.

भारत के टिकाऊ विकास दृष्टिकोण में सर्कुलर इकोनॉमी पर जोर दिया गया है, जिसका उद्देश्य संसाधनों के उपयोग को फिर से सोचना और प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक कचरे, बैटरी पुनर्चक्रण और उत्पादक की जिम्मेदारी जैसी समस्याओं का समाधान करना है. इसके साथ ही, निर्माण, वस्त्र और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में सर्कुलर बिजनेस मॉडल को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं बनाई जा रही हैं.

भारत-फिनलैंड साझेदारी यह दर्शाती है कि कैसे अंतरराष्ट्रीय गठबंधन वैश्विक स्थिरता प्रयासों को गति दे सकते हैं. फिनलैंड की तकनीकी ताकतों को भारत की बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन क्षमता के साथ मिलाकर, दोनों देश सतत विकास के लिए स्केलेबल मॉडल बना रहे हैं.

ज्ञान साझा करने और संयुक्त उपक्रमों के माध्यम से उनका बढ़ता सहयोग यह दर्शाता है कि विकास के विभिन्न चरणों में स्थित देश कैसे मिलकर सामान्य पर्यावरणीय चुनौतियों का प्रभावी रूप से समाधान कर सकते हैं. यह बहुआयामी सहयोग एक सशक्त, कम-कार्बन भविष्य की दिशा में रास्ता तैयार कर रहा है, साथ ही आर्थिक अवसर उत्पन्न कर जीवन स्तर को बेहतर भी बना रहा है.

Web Title: India-Finland partnership Towards sustainable future

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