शोभना जैन का ब्लॉगः चीन के सुलह के स्वर पर भरोसा कैसे हो!
By शोभना जैन | Updated: June 2, 2020 06:30 IST2020-06-02T06:30:33+5:302020-06-02T06:30:33+5:30
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने गत दिनों पार्टी सम्मेलन में चीन की विदेश नीति की विस्तृत चर्चा करते हुए भारत चीन संबंधों या यूं कहें इस तनाव की कोई चर्चा नहीं की, वहीं चीन के भारत स्थित राजदूत सुन वेइडोंग ने कहा है कि चीन और भारत को अपने मतभेदों का असर कभी भी उनके दूसरे द्विपक्षीय संबंधों पर नहीं पड़ने देना चाहिए और आपसी विश्वास को बढ़ाया जाना चाहिए.

चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास भारी तादाद में लामबंदी की है. (फाइल फोटो)
भारत सहित पूरी दुनिया भयावह कोरोना महामारी से जूझ रही है और उधर चीन कोरोना महामारी की शुरूआती खबरें दुनिया भर से छिपाने को लेकर अमेरिका सहित दुनिया की बडी ताकतों का कोप भाजन बना हुआ है. ऐसी विषम परिस्थितियों के बावजूद चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारतीय भू-क्षेत्र वाले अनेक क्षेत्रों में भारी तादाद में लामबंदी की है, दोनों के सैनिकों के बीच सैन्य झड़पें हुई हैं. लेकिन फिलहाल कहा जा सकता है कि स्थितियां बिगड़ी नहीं हैं.
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने गत दिनों पार्टी सम्मेलन में चीन की विदेश नीति की विस्तृत चर्चा करते हुए भारत चीन संबंधों या यूं कहें इस तनाव की कोई चर्चा नहीं की, वहीं चीन के भारत स्थित राजदूत सुन वेइडोंग ने कहा है कि चीन और भारत को अपने मतभेदों का असर कभी भी उनके दूसरे द्विपक्षीय संबंधों पर नहीं पड़ने देना चाहिए और आपसी विश्वास को बढ़ाया जाना चाहिए.
बहरहाल, जब तक वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बहाल नहीं हो जाती, पूर्व स्थित बहाल नहीं हो जाती, चीन के इन उद्गारों पर उसके पिछले ट्रैक रिकार्ड को देखते हुए कितना भरोसा किया जा सकता है, इस का जवाब हमेशा ही संदेह के घेरे में रहा है. सवाल उठना लाजिमी है कि एक तरफ युद्ध के तेवर दिखाने वाले तो दूसरी और सुलह की भाषा बोलने वाले चीन की आखिर मंशा क्या है? विदेश नीति से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि गलवान क्षेत्र पर दोनों पक्षों में कोई विवाद नहीं है, इसलिए चीन द्वारा यहां अतिक्रमण किया जाना चिंता की बात है.
भारत का प्रयास है कि इस मामले को तूल नहीं दे कर बातचीत के जरिये हल कर लिया जाए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने घुसपैठ के लिए चीनी सैनिकों को जिम्मेवार ठहराते हुए कहा कि भारत चीन सीमा क्षेत्र में भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा के एलायनमेंट से भलीभांति अवगत है, और इसका पूरी तरह से पालन करती है. उधर चीन के राजदूत कहते हैं कि ‘दोनों देशों को अपने मतभेद बातचीत के जरिए सुलझाने चाहिए और इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें एक-दूसरे से खतरा नहीं है. हमें अपने मतभेदों को सही ढंग से देखना चाहिए और द्विपक्षीय सहयोग पर इन मतभेदों का असर नहीं पड़ने देना चाहिए. हमें असल तथ्य का पालन करना चाहिए कि चीन और भारत के पास एक-दूसरे के लिए अवसर हैं और एक-दूसरे के लिए कोई खतरा नहीं है.’
राजदूत का मत द्विपक्षीय संबंधों के लिए बेहतरीन करार दिया जा सकता है, लेकिन सवाल फिर वही है कि जब तक चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति सामान्य करने के प्रयास में कथनी-करनी का फर्क नहीं मिटाता तब तक आपसी संबंधों में भरोसा कैसे हो?