अश्विनी महाजन का ब्लॉगः बदलती विश्व युद्ध रणनीति के बीच 'अग्निपथ' से कितना मजूबत होगी भारतीय सेना

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 18, 2022 02:20 PM2022-07-18T14:20:55+5:302022-07-18T14:23:01+5:30

अग्निपथ योजना एक ऐसा ही प्रयास प्रतीत होता है। इस योजना से राजकोष पर कम प्रभाव के साथ सेना का इष्टतम आकार प्राप्त करना संभव हो सकता है। हालांकि हमारे सशस्त्र बलों के आकार को कम करने की दिशा में नहीं, बल्कि भविष्य में आवश्यकतानुसार देश की सेना के आकार को संतुलित करने हेतु अवसर देने का प्रयास है।

How strong will the Indian army be with Agneepath amidst the changing world war strategy | अश्विनी महाजन का ब्लॉगः बदलती विश्व युद्ध रणनीति के बीच 'अग्निपथ' से कितना मजूबत होगी भारतीय सेना

अश्विनी महाजन का ब्लॉगः बदलती विश्व युद्ध रणनीति के बीच 'अग्निपथ' से कितना मजूबत होगी भारतीय सेना

14 जून 2022 को घोषित ‘अग्निपथ योजना’, जिसमें चयन की प्रक्रिया 24 जून से प्रारंभ हुई है, युवा पुरुषों और महिलाओं, जिन्हें अग्निवीर कहा जाएगा, को एक निश्चित अवधि के लिए अधिकारियों से नीचे की रैंक हेतु सशस्त्र बलों में शामिल करने का प्रावधान है। इसके बारे में देश में काफी बहस चल रही है। अग्निवीरों के लिए कुल 4 वर्षों की कार्यावधि निर्धारित की गई है, जिसमें 17.5 से 23 वर्ष की आयु के बीच के युवा सशस्त्र बलों में अपनी सेवाएं देंगे। इस योजना से 46000 सैनिकों की भर्ती भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना में की जानी है।

यदि संख्या के रूप में देखें तो भारतीय सेना की कुल संख्या 14 लाख है, और इसके अलावा 1.25 लाख पद खाली हैं। हालांकि सरकारों की उदासीनता सेना में बड़ी रिक्तियों को न भरने के लिए जिम्मेदार हो सकती है, लेकिन इस मुद्दे से अवगत लोगों द्वारा एक और बात रखी जाती है कि सैन्यकर्मियों के लिए कठोर शर्तों के कारण भी इन रिक्तियों को नहीं भरा जा सका। पूर्व में, सेना के अधिकारियों के पदों को भरने के लिए, कई शर्तों में ढील भी दी गई थी, और भर्ती के लिए अभियान भी चलाए गए, इसके बावजूद 9 हजार अधिकारियों के पद अभी भी खाली हैं।

वर्ष 2022-23 के बजट अनुमानों के अनुसार, भारत का रक्षा बजट 5.25 लाख करोड़ रुपए का है। इस व्यय में वेतन और पेंशन, स्थापना और प्रशासन, रक्षा उपकरणों की खरीद आदि सभी शामिल हैं। हाल ही में, सभी अच्छे इरादों के साथ सरकार ने पिछले पांच वर्षों में लगभग 47700 करोड़ रुपए के अतिरिक्त व्यय के साथ सभी रैंक में सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों की पेंशन बढ़ाने का फैसला किया था। यदि सभी रिक्तियों को भरा जाता है (जिसकी बहुत ही कम संभावना है), तो उस पर खर्च सरकार की बजटीय सीमा से परे है। हमें यह देखना होगा कि अन्य विभागों में भी जबकि विभिन्न स्तरों पर (आमतौर पर वर्ग 3 और वर्ग 4 के स्तर पर) रिक्तियां संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) कर्मचारियों द्वारा भरी जा रही हैं। इन कर्मचारियों के अधिकार तो न्यूनतम होते ही हैं, यह रोजगार पूरी तरह से तदर्थ यानी एड-हॉक रहता है। इससे सरकारी विभागों में काम की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

 हाल ही में सरकार ने अनुबंधित कर्मचारियों की तुलना में कुछ बेहतर कार्य स्थितियों के साथ निजी क्षेत्र में निश्चित अवधि के रोजगार के प्रावधान को शुरू करने के अपने इरादे की घोषणा की है। इसी तरह, सरकारी क्षेत्र के लिए भी यह योजना लाई जा सकती है, जिससे संविदात्मक रोजगार की तुलना में कर्मिकों के जीवन को बेहतर बनाने की संभावना हो सकती है। चूंकि, सेना में मापदंड कठोर होते हैं इसलिए इस प्रकार का संविदात्मक रोजगार कभी भी संभव नहीं रहा है। वे दिन गए, जब युद्ध मुख्य रूप से जमीन पर लड़ा जाता था। इन दिनों, युद्ध कम्प्यूटर रूम में लड़े जाते हैं, तकनीकी रूप आदि युद्ध के मुख्य तरीके बन चुके हैं इसलिए, उस दृष्टिकोण से, हमें सेना के इष्टतम आकार पर काम करने की आवश्यकता है। हमारी जैसी स्थिति वाले अन्य देश अपनी सेना का आकार छोटा करते हुए, तकनीकी युद्ध, मिसाइलों, लड़ाकू विमानों और यहां तक कि छद्म रूप से जैविक युद्ध के माध्यम से भी अपनी रणनीति बनाकर स्वयं को सैन्य रूप से अधिक मजबूत बना रहे हैं।

अग्निपथ योजना एक ऐसा ही प्रयास प्रतीत होता है। इस योजना से राजकोष पर कम प्रभाव के साथ सेना का इष्टतम आकार प्राप्त करना संभव हो सकता है। हालांकि हमारे सशस्त्र बलों के आकार को कम करने की दिशा में नहीं, बल्कि भविष्य में आवश्यकतानुसार देश की सेना के आकार को संतुलित करने हेतु अवसर देने का प्रयास है।

Web Title: How strong will the Indian army be with Agneepath amidst the changing world war strategy

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