शोभना जैन का ब्लॉग: वुहान से मामल्लापुरम तक चुनौतियों के बीच उम्मीद

By शोभना जैन | Updated: October 11, 2019 09:11 IST2019-10-11T09:11:14+5:302019-10-11T09:11:14+5:30

भारत और चीन के कभी गर्म और कभी सर्द रिश्तों के बीच तमिलनाडु के ऐतिहासिक मामल्लापुरम (महाबलीपुरम) को मोदी-शी जिनपिंग के बीच शुक्रवार से होने वाली दो दिवसीय दूसरी अहम अनौपचारिक शिखर बैठक के लिए सजा संवार दिया गया है

Hopes from Wuhan to Mamallapuram amid challenges | शोभना जैन का ब्लॉग: वुहान से मामल्लापुरम तक चुनौतियों के बीच उम्मीद

शोभना जैन का ब्लॉग: वुहान से मामल्लापुरम तक चुनौतियों के बीच उम्मीद

Highlightsचर्चित मुलाकात से पहले माहौल में तनाव या यूं कहें असहजता भी साफ नजर आ रही हैजम्मू-कश्मीर को ले कर चीन के फौरी आक्र ामक रुख की छाया बैठक पर दिखाई पड़ रही है

भारत और चीन के कभी गर्म और कभी सर्द रिश्तों के बीच तमिलनाडु के  ऐतिहासिक मामल्लापुरम (महाबलीपुरम) को मोदी-शी जिनपिंग के बीच शुक्रवार से होने वाली दो दिवसीय दूसरी अहम अनौपचारिक शिखर बैठक के लिए सजा संवार दिया गया है. लेकिन इस चर्चित मुलाकात से पहले माहौल में तनाव या यूं कहें असहजता भी साफ नजर आ रही है. जम्मू-कश्मीर को ले कर चीन के फौरी आक्र ामक रुख की छाया बैठक पर दिखाई पड़ रही है, हालांकि भारत ने इस बैठक से पूर्व कहा है कि वह दोनों देशों के बीच हुए पहले वुहान शिखर सम्मेलन में बनी सहमति के अनुरूप व्यापक रूप से बेहतर संबंध बनाने की दिशा पर ध्यान देगा.

 बैठक पूर्व इन फौरी तनाव वाले मुद्दों के साथ इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि दोनों देशों के बीच बेहतर रिश्ते बनाने के लिए आपसी समझ-बूझ बढ़ाने के मकसद से ही 27-28 अप्रैल 2018 को चीन के  वुहान में पहली  अनौपचारिक शिखर बैठक हुई यानी इस तरह की अनौपचारिक शिखर बैठक के पीछे  की भावना एक दूसरे के हित, सरोकार समझते हुए, आपसी समझ-बूझ बढ़ाते हुए, मिल कर काम करने की भावना ही थी. लेकिन इस बार मामल्लापुरम से पहले वुहान वाली भावना पूरी तरह से नजर नहीं आ रही है.

हालात भी वे नहीं हैं. इतनी अहम बैठक का औपचारिक ऐलान महज दो दिन पूर्व ही किया गया. वुहान के बाद एक वर्ष में भी अनेक घटनाएं ऐसी रहीं जिन्हें रिश्तों के लिए सकारात्मक नहीं माना जा सकता है. वुहान से ले कर मामल्लापुरम तक आते-आते काफी कुछ गुजर चुका है लेकिन फिर भी उम्मीद तो यही है कि इस बार भी वुहान की ही तरह दोनों शीर्ष नेता आपसी रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए अपनी टीमों को कुछ नए दिशा निर्देश दे सकते हैं.

एक दिलचस्प बात यह है कि 1956 में चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्नी चाउ एन लाई जब ‘हिंदी चीनी भाई-भाई’ के गर्मजोशी भरे रिश्तों के बीच भारत आए तो वह महाबलीपुरम भी गए थे और यहां के मशहूर मंदिर के द्वार पर गहन चिंतन की मुद्रा में खड़े रहे. बहरहाल, तब से दोनों देशों के बीच काफी कुछ घटा है. चीन के रुख के चलते भरोसा टूटा लेकिन फिर भी अगर बहुत पीछे नहीं जाएं तो कुल मिला कर बात यही है कि वुहान से मामल्लापुरम तक की राह अनेक चुनौतियों भरी रही है लेकिन फिर भी दो बड़े पड़ोसी देशों के बीच रिश्ते सहज होने की उम्मीद भी बनी रहती है. ऐसे में चुनौतियों के बीच मामल्लापुरम में वुहान भावना के कुछ आगे बढ़ने की यह उम्मीद तो की ही जा सकती है कि चुनौतियों के बावजूद यह पड़ाव आगे बढ़ेगा.

Web Title: Hopes from Wuhan to Mamallapuram amid challenges

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