वेद प्रताप वैदिक का ब्लॉग: अंग्रेजी के वर्चस्व को अमित शाह की चुनौती

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: April 11, 2022 16:22 IST2022-04-11T16:18:05+5:302022-04-11T16:22:20+5:30

आपको बता दें कि उत्तर भारत और दक्षिण भारत के करोड़ों ग्रामीण, किसान, मजदूर, महिलाएं, हिंदू-मुस्लिम तीर्थयात्नी और पर्यटक जब एक-दूसरे के प्रदेशों में जाते हैं तो क्या वे अंग्रेजी में संवाद करते हैं?

Home Minister Amit Shah the contact language of India should be Hindi not English mahatma gandhi dayanad ram manohar lohia | वेद प्रताप वैदिक का ब्लॉग: अंग्रेजी के वर्चस्व को अमित शाह की चुनौती

वेद प्रताप वैदिक का ब्लॉग: अंग्रेजी के वर्चस्व को अमित शाह की चुनौती

Highlightsगृह मंत्नी अमित शाह के मुताबिक, भारत की संपर्क भाषा अंग्रेजी नहीं, हिंदी होनी चाहिए।भारत को आजाद हुए 75 साल हो रहे हैं और हम अभी भी अंग्रेजी की गुलामी कर रहे हैं।भारत का कानून, न्याय, राजकाज, उच्च शिक्षण, शोध, चिकित्सा- सब कुछ अंग्रेजी में होता है।

गृह मंत्नी अमित शाह ने वह बात कह दी, जो भारत के लिए महर्षि दयानंद, महात्मा गांधी और डॉ. राममनोहर लोहिया कहा करते थे. शाह ने संसदीय राजभाषा समिति की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के नागरिकों को परस्पर संवाद के लिए अंग्रेजी की जगह हिंदी का इस्तेमाल करना चाहिए. यानी भारत की संपर्क भाषा अंग्रेजी नहीं, हिंदी होनी चाहिए! 

इसमें उन्होंने गलत क्या कहा? भारत को आजाद हुए 75 साल हो रहे हैं और हम अभी भी अंग्रेजी की गुलामी कर रहे हैं. अब भी सरकार के सारे महत्वपूर्ण काम अंग्रेजी में होते हैं. भारत का कानून, न्याय, राजकाज, उच्च शिक्षण, शोध, चिकित्सा- सब कुछ अंग्रेजी में होता है.

इस स्थिति को बदलने का काम हिंदी लाओ नहीं, अंग्रेजी हटाओ के नारे से होगा. अमित शाह को मैं बधाई दूंगा कि वे भारत के ऐसे पहले गृह मंत्नी हैं, जिन्होंने दो-टूक शब्दों में अंग्रेजी हटाओ का नारा दिया है.

अंग्रेजी हटाओ का मतलब यह नहीं है कि अंग्रेजी मिटाओ. जो स्वेच्छा से अंग्रेजी तो क्या, कोई भी विदेशी भाषा पढ़ना चाहे, उसमें काम करना चाहे, जरूर करे लेकिन वह थोपी नहीं जाए. यदि अंग्रेजी हट गई तो देश के गरीब, ग्रामीण, पिछड़े, वंचित लोगों के लिए उच्च शिक्षा, उच्च सेवा, उच्च पदों, उच्च आय और उच्च जीवन के मार्ग खुल जाएंगे. 

अंग्रेजों के जमाने से बंद इन दरवाजों के खुलते ही देश में समतामूलक क्रांति का सूत्नपात अपने आप हो जाएगा. भारत में सच्चा लोकतंत्न कायम हो जाएगा. लोकभाषाओं को आपस में कौनसी भाषा जोड़ सकती है? वह हिंदी ही हो सकती है. जो संपर्क भाषा के तौर पर हिंदी का विरोध करते हैं, वे अपनी भाषा बोलनेवालों के पक्के दुश्मन हैं. 

गैर-हिंदी प्रदेशों की आम जनता का अंग्रेजी से कुछ लेना-देना नहीं है. यह सिर्फ उनके तथाकथित भद्रलोक का रोना है. उत्तर भारत और दक्षिण भारत के करोड़ों ग्रामीण, किसान, मजदूर, महिलाएं, हिंदू-मुस्लिम तीर्थयात्नी और पर्यटक जब एक-दूसरे के प्रदेशों में जाते हैं तो क्या वे अंग्रेजी में संवाद करते हैं? वे हिंदी में करते हैं. अंग्रेजी रौब जमाने की भाषा है और हिंदी प्रेम की भाषा है. वह सहज है.
 

Web Title: Home Minister Amit Shah the contact language of India should be Hindi not English mahatma gandhi dayanad ram manohar lohia

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