हरीश गुप्ता का ब्लॉग: पीएम मोदी के ‘गुजराती कौशल’ ने केंद्र के अरबों रुपए बचाए

By हरीश गुप्ता | Published: May 27, 2021 01:39 PM2021-05-27T13:39:59+5:302021-05-27T13:41:52+5:30

कोरोना वैक्सीन को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी की गणना के पीछे का रहस्य अब खुल रहा है. यह बात सामने आई है कि टीकाकरण में मौजूदा मंदी का कारण प्रधानमंत्री द्वारा किए गए दो महत्वपूर्ण नीतिगत परिवर्तन भी हैं.

Harish Gupta blog: How PM Narendra Modi Gujarati skills saved billions rupees of govt | हरीश गुप्ता का ब्लॉग: पीएम मोदी के ‘गुजराती कौशल’ ने केंद्र के अरबों रुपए बचाए

‘गुजराती कौशल’ ने केंद्र के अरबों रुपए बचाए! (फाइल फोटो)

प्राथमिकता समूह के लोगों का टीकाकरण करने के लिए केंद्र कितना पैसा खर्च करेगा? कई अर्थशास्त्रियों ने शुरू में कहा था कि इस पर कई लाख करोड़ रु. खर्च होंगे. लेकिन पीएम मोदी ने अपना असली ‘गुजराती’ कौशल दिखाया जब उन्होंने 16 जनवरी को टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया.   

मोदी ने खुद एक बार दावा किया था कि एक गुजराती किफायत की कला जानता है. उन्होंने अपनी बात साबित की क्योंकि केंद्र की टीकाकरण की लागत दुनिया में सबसे कम होगी. 

मोदी की गणना के पीछे का रहस्य अब खुल रहा है. यह बात सामने आई है कि टीकाकरण में मौजूदा मंदी का कारण मोदी द्वारा किए गए दो महत्वपूर्ण नीतिगत परिवर्तन भी हैं; पहला, राज्य 18-44 वर्ष आयु वर्ग के टीकाकरण की लागत वहन करेंगे और 1 मई से सीधे निर्माताओं से वैक्सीन खरीदेंगे. केंद्र 30 करोड़ लोगों के टीकाकरण के लिए पूरी निधि देगा और 60 करोड़ खुराक की आपूर्ति करेगा. 

दूसरा नीतिगत बदलाव यह था कि राज्य गैर-प्राथमिकता वाले समूहों के लिए 70:30 के अनुपात में केंद्रीय आपूर्ति का उपयोग कर सकते हैं. इसका मतलब है कि 100 खुराकों में से 70 खुराक 45+ वर्ष के लोगों और स्वास्थ्य व फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को दी जाएगी, जबकि 30 का उपयोग दूसरों के लिए किया जा सकता है. 

इसने राज्यों पर निर्माताओं से सीधे टीके खरीदने के लिए भारी दबाव डाला. लेकिन अब उनके पास शायद ही कोई आपूर्ति हो. सीरम ने केंद्र और राज्यों के लिए कोविशील्ड की 400 रु. प्रति खुराक कीमत तय की, जबकि भारत बायोटेक लिमिटेड (बीबीएल) ने केंद्र के लिए कोवैक्सीन की कीमत 150 रु. प्रति खुराक और राज्यों के लिए 600 रु. प्रति खुराक तय की. 

इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं था कि सरकारों के लिए इस दोहरी दर की अनुमति क्यों दी गई जब कोवैक्सीन बीबीएल-आईसीएमआर का एक संयुक्त उद्यम है. केंद्र पहले ही सीरम और बीबीएल से 157.50 की दर से 22 करोड़ खुराक खरीद चुका है, जिसकी लागत लगभग 4000 करोड़ रु. आई है. वह 300 रु. प्रति खुराक की औसत दर से 12000 करोड़ रु. की लागत से 40 करोड़ खुराक और खरीदेगा. इस तरह मोदी 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने के लिए सिर्फ 16000 करोड़ रु. खर्च करेंगे.

अमित शाह-किशोर के बीच फिर मुकाबला!

राजनीतिक पंडित भाजपा के चाणक्य और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा स्वतंत्र चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर जिन्हें ‘पीके’ के नाम से जाना जाता है, के बीच अगले दौर के मुकाबले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. ममता बनर्जी के साथ अनुबंध खत्म होने के बाद अब ‘पीके’ आजाद हैं. वे दिल्ली में बसने की तैयारी कर रहे हैं और उनकी भविष्य की योजनाओं के बारे में कोई नहीं जानता. 

प. बंगाल में ममता बनर्जी की जीत ने ‘पीके’ को एक मास्टर रणनीतिकार के रूप में स्थापित कर दिया है और वे विशेष रूप से 2014 में मोदी खेमे से जाने के बाद अमित शाह के साथ लंबे समय से चली आ रही लड़ाई में हिसाब बराबर करके खुश हैं. 

हालांकि उन्हें कई जीतों का श्रेय हासिल है, जिसमें दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप, 2015 में नीतीश कुमार, 2017 में पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह, आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी और तमिलनाडु में एम. के. स्टालिन की जीत शामिल है. लेकिन प. बंगाल की जीत खास है क्योंकि उन्होंने प्रचार से बहुत पहले खुली चुनौती दी थी कि भाजपा 100 सीटों का आंकड़ा पार नहीं कर पाएगी. जबकि अमित शाह ने भाजपा के 200 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया था. 

अब यूपी और गुजरात सहित 7 राज्यों में चुनाव होने हैं जो भाजपा के उत्तराखंड, गोवा के अलावा मुख्य आधार हैं. भाजपा की चिंता साफ नजर आ रही है और वह प. बंगाल में अपनी हार के बाद चीजों को हल्के में नहीं ले सकती. ‘पीके’ किसके पक्ष में जाएंगे, यह जानने के लिए इंतजार करना होगा!

केजरीवाल की बढ़ती महत्वाकांक्षा

अगर ममता बनर्जी राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य के क्षितिज पर नई खिलाड़ी हैं, तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अपने प्रयासों को नहीं छोड़ा है. अतीत में अपने कई असफल प्रयासों के बाद भी, वे अलग-अलग सुर अलापते  रहते हैं. उन्होंने मोदी के खिलाफ संयुक्त विपक्षी दल में शामिल होने से इनकार कर दिया, जबकि 2014 से खुद को उनके खिलाफ खड़ा करना जारी रखा है.  

केजरीवाल उत्तराखंड, गोवा और गुजरात में अपनी पार्टी के विस्तार पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हैरानी की बात है कि वे उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जहां कांग्रेस की जड़ें मजबूत हैं, न कि गढ़वाल में जिसे भाजपा की जागीर माना जाता है. 

जानकारों का कहना है कि मनीष सिसोदिया को वहां प्रतिनियुक्त किया गया है और आम आदमी पार्टी इस प्रक्रिया में कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकती है. आप गोवा में कड़ी मेहनत कर रही है, जहां उसने 2017 में कांग्रेस को जीतने से रोका था. यही खेल गुजरात में भी खेला जा सकता है.

 

Web Title: Harish Gupta blog: How PM Narendra Modi Gujarati skills saved billions rupees of govt

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे