गठबंधन और कांग्रेस की रणनीति
By वेद प्रताप वैदिक | Published: July 24, 2018 03:19 PM2018-07-24T15:19:15+5:302018-07-24T15:19:44+5:30
किसी ने कहा कि हमको 150 सीटें तो मिलेंगी ही मिलेंगी और गठबंधन-पार्टियों को भी 150 मिल जाएंगी। जब तीन सौ सीटें होंगी और कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी होगी तो आप ही सोचिए कि गठबंधन और अगली सरकार का नेता कौन होगा।
राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की जो पहली बैठक हुई, उसमें राहुल को क्या सलाह दी गई? सारे बहस-मुबाहिसे का सार यह निकला कि देश का अगला प्रधानमंत्नी राहुल गांधी को बनाएंगे। राहुल ने यह बात कर्नाटक के चुनाव में साफ-साफ कह दी थी क्योंकि वह सरल-हृदय नौजवान हैं जबकि कांग्रेस के अनुभवी नेताओं ने इस मुद्दे पर काफी सक्रियता दिखाई।
किसी ने कहा कि हमको 150 सीटें तो मिलेंगी ही मिलेंगी और गठबंधन-पार्टियों को भी 150 मिल जाएंगी। जब तीन सौ सीटें होंगी और कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी होगी तो आप ही सोचिए कि गठबंधन और अगली सरकार का नेता कौन होगा। उनसे किसी ने यह नहीं पूछा कि कर्नाटक में मुख्यमंत्नी कौन हैं? किसी ने यह नहीं बताया कि कांग्रेस को अब से तीन या चार गुना सीटें कैसे मिलेंगी? यदि प्रांतीय पार्टियों से गठबंधन हो गया तो वे कांग्रेस को 200 सीटों पर भी नहीं लड़ने देंगी। यदि राष्ट्रीय पार्टियां इस गठबंधन में शामिल हो गईं तो वे अपनी कीमत वसूलेंगी।
सबसे बड़ी समस्या यह है कि विभिन्न राष्ट्रीय और प्रांतीय पार्टियों के नेता राहुल गांधी को अपना नेता कैसे मान लेंगे? हां, राहुल यदि कांग्रेस के वयोवृद्ध नेताओं को इस काम पर लगवाएं और खुद को गठबंधन का नेता या प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित न करें तो कुछ बात बन सकती है। इसमें शक नहीं कि अविश्वास प्रस्ताव में राहुल ने मोदी को पछाड़ दिया है लेकिन इस वक्त सारा देश बहुत परेशान है।
इस समय देश में गंभीर और अनुभवी नेतृत्व की जरूरत है। देश की इस सख्त जरूरत का जवाब कांग्रेस स्वयं बन सकती है, क्योंकि उसके कार्यकर्ता देश के हर जिले में मौजूद हैं और उसके पास कई बुद्धिमान और अनुभवी नेता भी हैं। राहुल थोड़ा इंतजार करें, मैदानी अनुभव ग्रहण करें तो वह 2024 में अपने सपने को साकार कर सकते हैं। यदि कांग्रेस गठबंधन और भावी सरकार की नेतागीरी पर अटक गई तो वह लटक जाएगी और तीसरा मोर्चा अपने आप खम ठोंकने लगेगा।