फहीम खान का ब्लॉग: ये शराबबंदी हटा देने से अब क्या अपराध कम हो जाएंगे?

By फहीम ख़ान | Published: May 28, 2021 03:40 PM2021-05-28T15:40:57+5:302021-05-28T15:40:57+5:30

सरकार और उसके नुमाइंदो की माने तो चंद्रपुर जिले में जब से शराबबंदी की गर्ई है तभी से बच्चे, महिला और युवाओं को लेकर अपराध बढ़ गए है।

Faheem Khan blog about Will removing alcohol ban reduce crime now | फहीम खान का ब्लॉग: ये शराबबंदी हटा देने से अब क्या अपराध कम हो जाएंगे?

(फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)

एक दिन पहले ही महाराष्ट्र की सरकार ने चंद्रपुर जिले में 6 साल से जारी शराबबंदी को हटाने का फैसला लिया और इसके लिए जो बेतुके तर्क दिए वह अब चर्चा का विषय बन गए है। अपनी बात सही साबित करने के लिए राज्य के मंत्री यह कह रहे है कि चंद्रपुर जिले में शराबबंदी का फैसला लेने के बाद से ही अपराध चरम पर पहुंच गए थे। तो क्या अब शराबबंदी का फैसला वापस लेने के बाद वहां पर अपराध पर लगाम लग जाएगी? और अगर यह तर्क सही है तो फिर इसी तर्ज पर पूरे राज्य में ही फैसले ले लिए जाने चाहिए। 

रमानाथ झा समिति की रिपोर्ट के आधार पर महाराष्ट्र सरकार ने छह साल से जारी विदर्भ के चंद्रपुर जिले की शराबबंदी को खत्म कर दिया है। उल्लेखनीय है कि सामाजिक कार्यकर्ता और महिलाओं की लंबी जंग के बाद छह साल पहले राज्य सरकार ने चंद्रपुर जिले में शराबबंदी करने का निर्णय लिया था। सरकार के इस फैसले से आज भी सामाजिक कार्यकर्ता और शराबबंदी के लिए आवाज उठाने वाली महिलाएं बेहद नाराज है। 

लेकिन इससे किसी को क्या फर्क पड़ता है, जब यह मान लिया गया है कि जिले में शराबबंदी होने की वजह से छोटे बच्चे और महिलाएं अवैश शराब के व्यवसाय में उतर आए थे। युवा शराब के आदि होते जा रहे थे। अपराध बढ़ने लगे थे। यानी बढ़े हुए इन अपराधों को रोकने के लिए सरकार और उसके नुमाइंदों के पास कोर्र्ई दूसरा विकल्प नहीं था इसीलिए शराबबंदी हटाने का फैसला ले लिया गया। 

30 हजार ज्ञापन भी तो आए थे..

असल में जब से चंद्रपुर जिले में शराबबंदी का फैसला लिया गया तभी से शराब के कारोबार से जुड़े लोग और राजनेताओं ने इसके विरोध में काम करना शुरू कर दिया था। फिर एक अभियान छेड़कर शराबबंदी को खत्म करने के पक्ष में सरकार को पत्र लिखने का सिलसिला शुरू हो गया। एक।।।दो।।।नहीं कुल 30 हजार पत्र सरकार को शराबबंदी खत्म करने के पक्ष में मिले। फिर क्या था इस पर रमानाथ झा समिति का गठन किया गया। 

समिति ने अपना काम आरंभ किया और यह पाया कि शराबबंदी का फैसला वापस लिया जाना चाहिए। यह फैसला चंद्रपुरवासियों के हित में है। राज्य सरकार ने समिति की रिपोर्ट के आधार पर बुधवार को चंद्रपुरवासियों को यह तोहफा दे दिया। अब जश्न का माहौल बन गया है। बधार्र्ई संदेश दिए जा रहे है। हो भी क्यों न, आखिरकार अब अधिकृत रूप से शराब परोसी और बेची जा सकेगी। 

अब तक अवैध तरीके से भी बिकती थी..

ऐसा नहीं है कि शराबबंदी लागू हुई तो शराब का अकाल पड़ा था। पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत और आशीर्वाद से चंद्रपुर में शराब अवैध रूप से धड़ल्ले से बिकती रही। पड़ोसी जिले और राज्यों से भी यहां खुलेआम शराब पहुंचार्र्ई जाती थी। शराब का अवैध कारोबार खूब फलफूल रहा था। लेकिन इससे जुड़े लोगों को अधिकृत रूप से कारोबार करना था, जिसके लिए पत्राचार मुहिम चली और इसमें वह सफल भी हो गए। 

तो क्या शराब अब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है...

राज्य सरकार के इस फैसले के बाद यह बात मुझे सताने लगी है कि चंद्रपुर में शराबबंदी हटाकर क्या राज्य सरकार ने यह संदेश दे दिया है कि शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है। कुछ लोग यह भी कह रहे है कि बंदी हट जाने के बाद शराब से मिलने वाला राजस्व अब सरकार की तिजोरी में पहुंचेगा। इससे विकास कार्य होंगे। तो क्या यह मान ले कि विकास करने के लिए शराब बेचने और पीने देना ही एकमात्र विकल्प बच गया था। 

यह वही चंद्रपुर जिला है जहां पर कोयले की कालाबाजारी धड़ल्ले से हो रही है। जंगल में अवैध शिकार हो रही है तो वन संपत्ति की तस्करी भी जोरों पर है। ऐसे में शराबबंदी की वजह से अगर अपराध बढ़ रहे थे और अवैध शराब का कारोबार बढ़ रहा था। और उसे खत्म करने के लिए यह बंदी ही हटा दी गर्र्ई है तो क्या अवैध शिकार के लिए शिकार की अनुमति दे दी जाए। या तस्करी रोकने की बजाय तस्करी की अनुमति प्रदान कर दी जाए। या फिर कोयले की खुलेआम चोरी करने की अनुमति ही प्रदान कर दी जाए। बेतुके तर्क देने वाले इसपर भी जरूर बात करे। 

चित भी मेरी, पट भी मेरी नहीं चलेगी...

अगर महाराष्ट्र सरकार ने चंद्रपुर जिले में शराबबंदी हटा दिया है तो फिर अब यहां पर राज्य सरकार की ओर से चल रहे उस सरकारी विभाग को बंद कर देना चाहिए जो शराब के सेवन के खिलाफ में जनजागृति पर लाखों रुपए खर्च कर रहा है। साथ ही इस जिले में उन एनजीओ पर भी बैन लगा देना चाहिए जो शराब के खिलाफ में काम कर रहे है। जब एक तरफ आप ये मान रहे हो कि शराब बिकना और लोगों ने इसका सेवन करना सही है तो फिर उसके दुष्परिणामों को लेकर जनजागृति का नाटक क्यों किया जा रहा है। साथ ही पड़ोसी जिले वर्धा और गढ़चिरोली में भी राज्य सरकार ने इसी समिति की रिपोर्ट के आधार पर अब शराबबंदी को खत्म कर देना चाहिए। आखिरकार उन जिलों के लोगों को भी तो बढ़ते हुए अपराधों से राहत पाने का पूरा अधिकार है।

Web Title: Faheem Khan blog about Will removing alcohol ban reduce crime now

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