ब्लॉग: चुनाव के समय सक्रिय होते सपनों के सौदागर

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: November 3, 2023 02:32 PM2023-11-03T14:32:27+5:302023-11-03T14:40:29+5:30

चुनावी मौसम के दौरान भाजपा, कांग्रेस या बीआरएस (तेलंगाना) समेत अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा मतदाताओं से किए जा रहे तमाम वादों को पढ़ते हुए बरबस इसकी याद आती है। सभी प्रकार के आरक्षण (सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 50% की कानूनी सीमा के बावजूद) से लेकर पेंशन, मुफ्त राशन, नौकरियां और अन्य मुफ्त सुविधाएं जैसे बस यात्रा, गरीब महिलाओं को नकद राशि आदि देने के वादों की बारिश हो रही है।

Dream merchants become active during elections | ब्लॉग: चुनाव के समय सक्रिय होते सपनों के सौदागर

फाइल फोटो

Highlightsतेलंगाना में कांग्रेस की नजर दलितों, ओबीसी, आदिवासियों और मुसलमानों के जातीय गणित पर हैकांग्रेस और बीआरएस दोनों अपनी विभिन्न नकद सब्सिडी योजनाओं के माध्यम से किसानों को लुभा रहे हैंबीआरएस प्रमुख के.चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना में सभी जातियों और पंथों के लिए वादों की बौछार कर दी

‘यदि इच्छाएं घोड़े होतीं, तो भिखारी सवारी करते’ एक पुरानी स्कॉटिश कहावत है जो बताती है कि यदि आपको वह सब मिल जाए जो आप चाहते हैं, तो आपका जीवन अधिक आरामदायक हो सकता है। इस चुनावी मौसम के दौरान भाजपा, कांग्रेस या बीआरएस (तेलंगाना) समेत अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा मतदाताओं से किए जा रहे तमाम वादों को पढ़ते हुए बरबस इसकी याद आती है। सभी प्रकार के आरक्षण (सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 50% की कानूनी सीमा के बावजूद) से लेकर पेंशन, मुफ्त राशन, नौकरियां और अन्य मुफ्त सुविधाएं जैसे बस यात्रा, गरीब महिलाओं को नकद राशि आदि देने के वादों की बारिश हो रही है।

यह उन्हें आरामदायक जीवन का दिवास्वप्न दिखाने जैसा है, जिसे ये पार्टियां बेशर्मी से, वर्षों तक सरकार में रहने के बावजूद सुनिश्चित नहीं कर पाई हैं। जो उन्हें करना था। अब वे सिर्फ प्रलोभन दे रही हैं। बीआरएस प्रमुख के.चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना में सभी जातियों और पंथों के लिए वादों की बौछार कर दी। उच्च जातियों को खुश करने के लिए कहा कि सभी 119 निर्वाचन क्षेत्रों में एक एक आवासीय विद्यालय खोला जाएगा। सवाल यह है कि 10 साल के शासनकाल में उन्होंने शुरुआत क्यों नहीं की? अब क्यों?

चूंकि जाति का मुद्दा इस समय गरम है, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ के पिछड़े बस्तर क्षेत्र में कहा कि अगर उनकी पार्टी जीतती है तो कांग्रेस सिर्फ दो घंटे के भीतर जाति जनगणना कराएगी। उन्होंने केजी से पीजी (पोस्ट-ग्रेजुएशन) तक मुफ्त शिक्षा का नया वादा भी किया। दो घंटे के क्या मायने हैं, यह वही समझा सकते हैं।तेलंगाना में कांग्रेस की नजर दलितों, ओबीसी, आदिवासियों और मुसलमानों के जातीय गणित पर है। जब तेलंगाना आंदोलन (2009-2014) हुआ, तो नए राज्य के निर्माण के दौरान पार्टियों द्वारा कई वादे किए गए थे जो अधूरे हैं। कांग्रेस और बीआरएस दोनों अपनी विभिन्न नकद सब्सिडी योजनाओं के माध्यम से किसानों को लुभा रहे हैं।

मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने आईपीएल क्रिकेट टीम बनाने का ऐलान किया। खेल और युवा कल्याण विभाग चलाना सरकार का काम हो सकता है, लेकिन आईपीएल टीम रखना निश्चित रूप से नहीं, लेकिन फिर भी चुनावी वादे चुनावी वादे ही होते हैं जो मतदाताओं के बीच संशय पैदा करते हैं। याद करें कि भाजपा ने 2009 में कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र में झूठे वादे करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की थी, लेकिन उसके नेता पीयूष गोयल यह भूल गए कि प्रत्येक नागरिक को 15 लाख रुपए देने और काले धन को भारत में वापस लाने का वादा भाजपा नेताओं के गले की हड्डी बना हुआ है।

लोगों और राजनीतिक दलों की काफी आलोचना के बाद इसे ‘जुमला’ करार दिया गया, यह अलग बात है। छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने पिछले विधानसभा चुनावों में राम वन गमन पथ (वनवास के दौरान राम का मार्ग) को चुनावी मुद्दा बनाया था, लेकिन इसे पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया। हां, भाजपा ने अपने भव्य राम मंदिर के वादे को पूरा किया है, और 2024 में भगवा पार्टी को इससे कुछ वोट जरूर मिलेंगे। दिलचस्प है कि ज्यादातर राजनीतिक दल भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ का बेधड़क वादा करते हैं और कहते हैं कि पिछली सरकारों के घोटालों को उजागर किया जाएगा और दोषियों को दंडित किया जाएगा। लोग भ्रष्ट राजनीतिक नेताओं को सलाखों के पीछे देखने की उम्मीद में ताली बजाते हैं।

लेकिन ज्यादातर मामलों में वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, और लालू यादव, चिदंबरम या ए राजा जैसे कुछ चुनिंदा को छोड़कर, सब राजनेता ‘बेदाग’ रहे। एक समय था जब अलग-अलग दलों के राजनीतिक नेताओं के ऐसे फर्जी वादों से लोगों को आसानी से मूर्ख बनाया जा सकता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. मतदाता जागरूक हुआ है। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान बार-बार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करते रहे हैं, लेकिन उनकी सरकार और अधिकारी कई छोटे, बड़े और गंभीर घोटालों में शामिल हैं, जिनमें सबसे गंभीरतम व्यापमं प्रवेश और भर्ती घोटाला भी शामिल है। 

इसलिए लोग नाराज हैं। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और सुप्रीम कोर्ट के वकील और राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा हमेशा इसे उजागर करने और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी देते थे। लेकिन 15 महीने की लंबी कांग्रेस सरकार में, उन्होंने वस्तुत: कुछ नहीं किया और घोटाले को दफन होने दिया। दूसरा मुद्दा झुग्गी-झोपड़ीमुक्त शहरों या किसानों की आय दोगुनी करने की घोषणा से जुड़ा है। अधिकांश पार्टियों ने कभी न कभी ऐसे वादे लोगों से किए हैं, लेकिन शहरों में हर जगह तेजी से बढ़ती झुग्गी-झोपड़ियां देखी जा रही हैं। किसान खेती छोड़कर शहरों में बसना चाहते हैं।

आग में घी डालते हुए, शिवराज सिंह ने चुनाव की पूर्व संध्या पर एक चौंकाने वाला बयान दिया।‘सभी अवैध कॉलोनियों को वैध बना दिया जाएगा’, जिससे मप्र के शहरों में शहरी योजनाओं की धज्जियां उड़ गईं। बेशक, कई लोगों ने उनमें एक मानवीय दृष्टिकोण देखा, क्षुब्ध शहरी योजनाकारों को छोड़कर। गौरतलब है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सितंबर में इंदौर में कहा था कि स्मार्ट सिटी मिशन ने शहरों में दोगुना निवेश आकर्षित किया है। इसका मतलब है कि शहर सरकार का फोकस बने हुए हैं और इस प्रकार केवल वोट पाने के लिए राजनेताओं की सनक या इच्छा पर उन्हें मलिन बस्तियों या अनियोजित विकास के केंद्रों में परिवर्तित नहीं किया जाना चाहिए। वोट खेंचू घोषणाओं का विरोध होना चाहिए। 

चुनावों और वादों पर जाति के लगभग पूरी तरह से हावी होने के इस समय में, सपने बेचने वाली सभी पार्टियों के कारण सुशासन पीछे चला गया है। ऐसे में मतदाताओं को अधिक सतर्क रहने और यह देखने की जरूरत है कि पहले किसने क्या कहा था और क्या किया. सपने ‘खरीदना’ महंगा सौदा है। 

Web Title: Dream merchants become active during elections

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे