कपिल सिब्बल का ब्लॉग: पुराने जख्म न कुरेदें, यह वर्तमान के बारे में सोचने का समय

By कपील सिब्बल | Published: June 29, 2022 11:42 AM2022-06-29T11:42:01+5:302022-06-29T11:53:14+5:30

यह समय है कि हम अतीत के घावों को फिर से कुरेदे बिना वर्तमान के बारे में सोचें. नहीं तो वर्तमान भुला दिया जाएगा और अतीत हमें नष्ट कर देगा.

Dont let go of old wounds it time to think about the present vietnam war nelson mandela south africa usa israel germany india | कपिल सिब्बल का ब्लॉग: पुराने जख्म न कुरेदें, यह वर्तमान के बारे में सोचने का समय

कपिल सिब्बल का ब्लॉग: पुराने जख्म न कुरेदें, यह वर्तमान के बारे में सोचने का समय

Highlightsमहत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं अतीत को वर्तमान से जोड़ने में मदद कर सकती हैं.इसका एक उदाहरण वियतनाम युद्ध है, जिसके बाद अब इस देश को अमेरिका का एक सहयोगी माना जा रहा है.ऐसे में यह समझा जा सकता है कि बदला कोई विकल्प नहीं है.

एक राष्ट्र के अतीत को कई उद्देश्यों के लिए पुनर्जीवित किया जा सकता है. महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं अतीत को वर्तमान से जोड़ने में मदद कर सकती हैं. इतिहास हमें भविष्य के लिए भी सबक सिखाता है. अतीत एक राष्ट्र को गौरव की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकता है. 

इसे विकृत भी किया जा सकता है. ऐतिहासिक गलतियां, हिंसक कार्यों के प्रतीक और ऐतिहासिक लूटपाट प्रतिशोध के वर्तमान कृत्यों को वैधता नहीं दे सकते. एक राष्ट्र को अपनी आगे की यात्रा में अतीत का विश्लेषण करते समय बहुत सावधान रहना पड़ता है क्योंकि उसे अपने भाग्य को गढ़ना पड़ता है. शीत युद्ध के दिनों में वियतनाम संघर्ष का रंगमंच बन गया था. 

वियतनाम युद्ध के बाद क्या कुछ बदला वहां पर 

वियतनाम युद्ध (1954-75) में बीस लाख नागरिकों के अलावा दोनों पक्षों के दस लाख से अधिक लड़ाकों और सैनिकों की जान गई. अमेरिका को अंतत: वापस लौटना पड़ा और वियतनाम में समाजवादी गणराज्य की स्थापना हुई. समय ने अतीत के घावों को भर दिया. आज वियतनाम को अमेरिका का एक सहयोगी माना जाता है, जिसके प्रति जनता की राय अनुकूल है. अतीत को दफना दिया गया है.

नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका की मदद की 

एक और उदाहरण दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के शासन से संबंधित है, जो नस्लीय भेदभाव का प्रतीक है. नेल्सन मंडेला ने लोकतांत्रिक दक्षिण अफ्रीका की जख्मी पीढ़ियों के घावों को भरने में मदद की. ऐसे गोरे लोग, जिन्होंने पलायन नहीं करना चुना, वे अश्वेतों के साथ सद्भाव से रहते हैं. 

अतीत की घटनाएं अब दक्षिण अफ्रीका में हिंसा का कारण नहीं रही हैं. इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है. नरसंहार की मानवीय त्रासदी यूरोप में रहने वालों के जेहन में आज भी ताजा है. फिर भी इजराइल ने जर्मनी के साथ शांति से रहना चुना है.

2014 से भारत के क्या है हालात

अतीत के घाव आज के लोगों को प्रतिशोध के रूप में दिए गए घावों को जायज नहीं बना सकते. यहीं पर भारत एक राष्ट्र के रूप में गलत दिशा में जा रहा है. एक भाजपा प्रवक्ता की टिप्पणी के कारण हाल की घटनाओं ने दिखाया है कि स्थिति कितनी अस्थिर हो सकती है और जिस शांति को हम अपनाना चाहते हैं, वह कितनी नाजुक है. 2014 के बाद का समय देश के इतिहास में एक नए युग के आगमन का संकेत देने वाला एक नया अध्याय है. 

यह पुनरुत्थानवाद की शुरुआत है; एक नए मुहावरे का निर्माण, जिसमें अतीत की गलतियां बहुसंख्यक समुदाय को वर्तमान में रहने वाले अल्पसंख्यकों को दंडित करने की वैधता प्रदान करती हैं. यह तर्क बहुत त्रुटिपूर्ण है.

शुरू से चला आ रहा है साजिश, लालच और बदले का रिवाज 

कोई भी इतिहास के तथ्यों को उन मानकों से नहीं आंक सकता, जिन्हें हम आज अपनाते हैं. मध्ययुगीन काल में तलवार की शक्ति ने सम्राटों को मौत के घाट उतार दिया या उन्हें जीवित रखा. सिंहासन के दावेदारों को खत्म करने के लिए तलवार का बोलबाला था. वीरता और शत्रु को कष्ट पहुंचाने की क्षमता ऐसे गुण थे जिनकी राजा प्रशंसा करते थे. 

भाइयों ने बिना किसी पछतावे के अपने भाइयों का सफाया कर दिया. नैतिक मूल्यों से विहीन दुनिया में रक्त को कभी भी पानी से गाढ़ा नहीं माना गया. साजिश और लालच का बोलबाला था. बदला लेना एक नैतिक अनिवार्यता माना जाता था.

हम ऐसी घटनाओं को आज के मूल्यों के संदर्भ में नहीं आंक सकते. हम उन्हें न तो सही ठहरा सकते हैं और न ही किसी भी रूप में उनका बदला ले सकते हैं. किसी भी मामले में यह एक बड़ी भूल होगी और यदि कोई राष्ट्र ऐसा करना चाहता है, तो इसका परिणाम राष्ट्रीय आपदा होगा. 

बदला कोई विकल्प नहीं है

अश्वेतों के साथ अमानवीय व्यवहार, दास व्यापार की वैधता और उस समय मौजूद नैतिकता के मानकों को याद रखें. गोरे लोगों द्वारा शोषित किए जाने के लिए गुलामों को खरीदा और बेचा जाता था. इन घावों से कोई भी लाभ पाने का प्रयास आपदा लाएगा.

जब गोरे लोग सड़क पर चलते थे तो हम सड़क पार करने की हिम्मत नहीं कर सकते थे. जिस अपमान और अमानवीयता के साथ गोरे लोगों ने हमारे साथ यहां व्यवहार किया, वे ऐसे घाव हैं जो वर्षों तक भरे नहीं जा सकते. फिर भी, आज हम अंग्रेजों के साथ शांति से रहते हैं. 

बदला कोई विकल्प नहीं है. यह समय है कि हम अतीत के घावों को फिर से कुरेदे बिना वर्तमान के बारे में सोचें. नहीं तो वर्तमान भुला दिया जाएगा और अतीत हमें नष्ट कर देगा.

Web Title: Dont let go of old wounds it time to think about the present vietnam war nelson mandela south africa usa israel germany india

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे