गिरीश्वर मिश्र का ब्लॉग: एकता ही विविधता में होती है परिलक्षित

By गिरीश्वर मिश्र | Updated: May 7, 2022 15:51 IST2022-05-07T15:51:14+5:302022-05-07T15:51:14+5:30

स्वतंत्रता के यज्ञ में आहुति देने वाले वीर पूरब, पश्चिम, उत्तर, और दक्षिण हर ओर से आए थे। वे हर धर्म और जाति के थे और देश के साथ उनका लगाव उन्हें जोड़ रहा था। उनके सपनों का भारत एक समग्र रचना है।

diversity has unity in our country says Girishwar Misra in his blog | गिरीश्वर मिश्र का ब्लॉग: एकता ही विविधता में होती है परिलक्षित

गिरीश्वर मिश्र का ब्लॉग: एकता ही विविधता में होती है परिलक्षित

आए दिन यह तर्क किसी न किसी कोने से तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग पेश करता रहता है कि भारत की विविधता की अनदेखी हो रही है। वह बड़े निश्चय के साथ अपना सुचिंतित संदेह कुछ इस तरह से व्यक्त करता है मानो ‘भारत’ कोई एकल रचना न थी, न है और न उसे होना चाहिए। इस तरह की सोच की प्रेरणाएं विभिन्न अवसरों पर उभार लेती रहती हैं और भारत की अंतर्निहित स्वाभाविक एकता को संदिग्ध बना कर उसे प्रश्नांकित करने की चेष्टा करती रहती हैं। 

भारत की विविधता ही उसका स्वभाव है ऐसा रेखांकित करते हुए और उसी का बखान करते हुए एकता की समस्या खड़ी की जाती है और उसको पैदा करने की संभावना तलाशी जाती है। इस तरह की स्थापना के लिए भाषा, धर्म, जाति, रंग, वेश-भूषा, खान-पान, क्षेत्र और प्रथा आदि को दिखाया जाता है। यह सच है कि दृश्य जगत में मिलने वाली विविधता की कोई सीमा नहीं है और न हो ही सकती है। हम सभी देखते हैं कि प्रत्येक विविधता से कुछ और विविधताएं भी पैदा होती रहती हैं। विविधताओं का विस्तार हर किसी का प्रत्यक्ष अनुभव है। 

हम अक्सर पाते हैं कि एक ही माता-पिता की अनेक संतानें होती हैं जो स्वभाव और रंग-रूप आदि विशेषताओं में एक दूसरे से भिन्न भी होती हैं। यहां तक कि जुड़वा बच्चों में भी अंतर पाए जाते हैं पर उस भिन्नता से माता-पिता से उनका निरंतर सम्बन्ध कमतर या असंगत नहीं हो जाता। इस सामान्य अनुभव को किनारे रख भारत की एकता को नकली और प्रायोजित घोषित करते हुए विविधता के शास्त्र को बड़ी तेजी से आगे बढ़ाने में कई लोग विविधताओं की नई-नई किस्में खड़ी करते नहीं थकते। विविधता का उत्सव मनाते हुए उनको विविधता ही मूल लगती है।

आज पूरे देश की बात विस्मृत सी हो रही है जबकि इसके निर्माण में पूरे भारत के लोग एक समग्र सत्ता के बोध के साथ जुड़े थे और देश के स्वतंत्रता-संग्राम में बलिदान किया था। स्वतंत्रता के यज्ञ में आहुति देने वाले वीर पूरब, पश्चिम, उत्तर, और दक्षिण हर ओर से आए थे। वे हर धर्म और जाति के थे और देश के साथ उनका लगाव उन्हें जोड़ रहा था। उनके सपनों का भारत एक समग्र रचना है। यह इसलिए भी जरूरी है कि हम उनका भरोसा न तोड़ें और उनकी विरासत को साझा करें।

Web Title: diversity has unity in our country says Girishwar Misra in his blog

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