Delhi Assembly Elections 2025: दिखावे की माफी से झलकती घटिया सोच?, महिलाओं को अपमानित करने वाली बात कह...
By विश्वनाथ सचदेव | Updated: January 8, 2025 06:32 IST2025-01-08T06:31:07+5:302025-01-08T06:32:06+5:30
Delhi Assembly Elections 2025: राजनीतिक नफे-नुकसान का गणित लगाने के बाद भाजपा के इस उम्मीदवार ने भले ही अपने कहे पर खेद व्यक्त कर दिया हो, पर बात यहीं खत्म नहीं होती है.

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Delhi Assembly Elections 2025: आप क्या कह रहे हैं, इससे कम महत्वपूर्ण नहीं होता यह कि कोई बात आप कैसे कह रहे हैं. सड़कों को साफ-सुथरा और समतल बनाने का वादा करने वाला कोई नेता यदि कहे कि वह ‘सड़कों को प्रियंका गांधी के गालों जैसा चिकना बनवा देगा’ तो इसे सिर्फ एक घटिया अभिव्यक्ति मात्र कह कर या समझ कर दरकिनार कर देना सही नहीं होगा. दिल्ली के कालकाजी चुनाव-क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी ने अपने चुनाव-प्रचार में जिस तरह कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी का नाम लेकर यह बात कही है, उसकी सिर्फ भर्त्सना ही हो सकती है- और अच्छी बात है कि हो भी रही है. राजनीतिक नफे-नुकसान का गणित लगाने के बाद भाजपा के इस उम्मीदवार ने भले ही अपने कहे पर खेद व्यक्त कर दिया हो, पर बात यहीं खत्म नहीं होती है.
पहली बात तो यह कि हमारे राजनेता अक्सर इस तरह का खेद भले ही व्यक्त कर देते हों, पर अक्सर यह खेद ऊपरी दिखावा मात्र होता है. अब बिधूड़ी का उदाहरण ही लें- सवेरे वे महिलाओं को अपमानित करने वाली बात कह कर खेद व्यक्त करते हैं और उसी शाम दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी की इस बात के लिए आलोचना करते हैं कि राजनीतिक लाभ उठाने के लिए आतिशी ने अपना पिता तक बदल लिया!
हां, यही मतलब है उस बात का जो बिधूड़ी ने कही थी- “मार्लेना ने अपना पिता ही बदल लिया है. पहले उनका ‘सरनेम’ मार्लेना था और अब वह सिंह बन गई हैं.” और इस वाक्य के बाद उन्होंने जो कहा वह तो और आपत्तिजनक है. बिधूड़ी ने कहा, “यह है उनकी संस्कृति.” यह पहली बार नहीं है जब बिधूड़ी ने इस तरह की बात कही है.
सात साल पहले भी एक चुनाव-प्रचार के दौरान ही उन्होंने सोनिया गांधी के संदर्भ में संस्कारों की बात कही थी. हमारे नेता अक्सर खेद व्यक्त करते सुने-देखे जाते हैं, पर कभी किसी को सचमुच में खेद होता हो, ऐसा लगता नहीं. गालों जैसी चिकनी सड़कों वाली इसी बात में देखें तो जब बिधूड़ी से अपनी गलती (पढ़िए अपराध ) के लिए क्षमा मांगने के लिए कहा गया तो उनकी पहली प्रतिक्रिया थी, “लालू प्रसाद ने भी हेमा मालिनी के गालों जैसी सड़कों की बात की थी, पहले कांग्रेस उसके लिए क्षमा मांगे, क्योंकि तब लालू यादव कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री थे.”
यह कैसा बचाव है? दुर्भाग्य से बचाव का यह तरीका हर रंग के राजनेता अपनाते हैं. ‘फलां ने तब ऐसा कहा या किया था, तब माफी क्यों नहीं मांगी गई?’ फिर, क्षमा मांगने या खेद व्यक्त करने की मांग पर एक बात और कहते हैं हमारे राजनेता, ‘यदि किसी को मेरी बात से चोट लगी है तो मैं खेद व्यक्त करता हूं.’
इन राजनेताओं से पूछा जाना चाहिए कि इस ‘यदि’ का क्या मतलब है. प्रियंका गांधी के गालों वाली बात कह कर निश्चित रूप से नारी-जाति के प्रति अपनी घटिया सोच का उदाहरण प्रस्तुत किया है बिधूड़ी ने और उन्हें समझ आना चाहिए कि उनसे गलती नहीं, अपराध हुआ है. इस अपराध के लिए उन्हें बिना किसी शर्त के क्षमा मांगनी चाहिए.