लाइव न्यूज़ :

मरणासन्न स्थिति में पहुंच चुकी है वाम राजनीति, क्या वाम दलों के एकजुट होने से बनेगी बात?

By विकास कुमार | Updated: May 25, 2019 14:56 IST

बंगाल में सीपीएम को एक भी सीट नहीं मिली है और उसका वोट शेयर भी पिछले चुनाव से 23 प्रतिशत लुढ़क गया. 2014 के लोकसभा चुनाव में सीपीएम को 30 प्रतिशत वोट मिले थे लेकिन इस बार वोट शेयर 6 प्रतिशत रहा और एक भी सांसद जीत नहीं पाए.

Open in App
ठळक मुद्देबंगाल में सीपीएम एक भी सीट नहीं जीत पायी है.2014 के लोकसभा चुनाव में सीपीएम को 30 प्रतिशत वोट मिले थे.

भारतीय राजनीति में दशकों तक मुख्य विपक्षी दल का किरदार निभाने वाली वाम दलों की राजनीति आज हाशिये पर है. 2014 के लोकसभा चुनाव में 11 सीट जीतने वाले वाम दल इस बार 5 सीटों पर सिमट गए हैं. 4 सीटें सबसे ज्यादा तमिलनाडु से मिली हैं जहां डीएमके, कांग्रेस, सीपीएम और सीपीआई का गठबंधन हुआ था.  2 सीटें सीपीआई को और 2 सीटों पर सीपीएम को जीत मिली है.इस जीत के जश्न मनाने का कोई बहाना सीताराम येचुरी के पास नहीं दिख रहा है क्योंकि वाम राजनीति का हेडक्वार्टर 'मोदी सुनामी' में बह गया है. 

बंगाल में सीपीएम को एक भी सीट नहीं मिली है और उसका वोट शेयर भी पिछले चुनाव से 23 प्रतिशत लुढ़क गया. 2014 के लोकसभा चुनाव में सीपीएम को 30 प्रतिशत वोट मिले थे लेकिन इस बार वोट शेयर 6 प्रतिशत रहा और एक भी सांसद जीत नहीं पाए.  

बंगाल में क्यों जीती बीजेपी                             

चुनाव के दौरान ही ऐसी ख़बरें आ रही थी कि सीपीएम के कार्यकर्ता बड़े पैमाने पर बीजेपी उम्मीदवार को वोट डाल रहे हैं. इसकी वजह राज्य में टीएमसी कार्यकर्ताओं के गुंडागर्दी को बताया जा रहा था. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, टीएमसी की अराजकतावादी राजनीति ने बंगाल में आरएसएस को मजबूत किया और सीपीएम के त्रस्त कार्यकर्ता भी बीजेपी की तरफ मुड़ गए क्योंकि वाम दल बंगाल में ममता को चुनौती देने की स्थिति में नहीं दिख रही थी.                  

1977 से 2011 तक बगाल में राज करने वाली पार्टी की राजनीति इस कदर भरभरा के गिर जाएगी इसका अंदाजा शायद पोलित ब्यूरो के सम्माननीय सदस्यों को भी नहीं हुआ होगा. 

अर्श से फर्श  तक का सफ़र 

भारत के सबसे पुराने वाम दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया की स्थापना 1925 में हुई थी, ये महज इतेफ़ाक ही है कि इसी वर्ष नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी. 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद 1964 में हुए पोलित ब्यूरो के सातवें सम्मेलन में माओत्से तुंग के पक्ष में नारा लगाते हुए चारू मजूमदार ने सीपीआई से अलग सीपीएम की स्थापना की. इसके बाद एक और वाम दल सीपीएमएल का उदय हुआ. कई धड़ों में बंट गए वाम दलों की राजनीति को इससे गहरा झटका लगा.      

इस बीच भी वाम दलों ने खुद को भारतीय राजनीति के केंद्र में रखने में सफलता पायी और विपक्ष की राजनीति के केंद्र में रहे. समाजवादी पार्टियों के उभार ने भी वाम दलों की राजनीति को नुकसान पहुँचाया. इंदिरा गांधी से लेकर वीपी सिंह के सरकार को बाहर से समर्थन दे कर वाम दलों ने अपने राजनीतिक महत्व को प्रासंगिक बना कर रखा. 

फेल हुआ 'कन्हैया मॉडल' 

2014 में हाशिये पर आ चुकी वाम राजनीति आज 2019 में अपने अस्तित्व के लिए हांफ रही है. बेगूसराय का 'कन्हैया मॉडल' भी फेल हो चुका है. वाम दलों ने जनता के बीच आंदोलनों के जरिये खुद की सक्रियता बना कर अपनी राजनीति को जिन्दा रखने का इनका प्रयास भी पिछले कुछ वर्षों में कमजोर हुआ है. सबसे बड़ा सवाल है कि क्या अब वाम दलों को अब अपने राजनीतिक मॉडल को अपग्रेड करने की जरूरत है. 

समाज के बीच अपनी खोयी विश्वसनीयता को हासिल करने के लिए भारतीय मूल्यों और देसी रोल मॉडलों की तलाश करनी होगी. सभी वाम दलों को क्या एक मंच पर इकठ्ठा होने का समय आ गया है? लेकिन इसके बावजूद इन्हें अपने स्वधर्म की खोज करनी होगी जो इनके राजनीतिक उदय का मार्ग प्रशस्त करे.

टॅग्स :लोकसभा चुनावसीपीआईएमभारतीय कम्युनिस्ट पार्टीसीताराम येचुरीपश्चिम बंगाल लोकसभा चुनाव 2019
Open in App

संबंधित खबरें

भारतBihar Exit Poll Result 2025: राजग को 160 और महागठबंधन को 77 सीट?, ‘टुडेज चाणक्य’ एग्जिट पोल, 8 एजेंसियों के सर्वे में NDA सरकार?

भारतBihar Exit Poll Result 2025: बिहार में सबसे बड़ी पार्टी कौन?, ‘एक्सिस माय इंडिया’ पोल में खुलासा, देखिए भाजपा, जदयू, राजद और कांग्रेस का प्रदर्शन

भारतमाई बहिन योजना, हर घर सरकारी नौकरी, 200 यूनिट मुफ्त बिजली और वक्फ कानून पर रोक लगाने का वादा, घोषणा पत्र को 'तेजस्वी प्रण' नाम दिया

भारतबिहार विधानसभा चुनाव में बागी मचा रहे बवाल, राजद ने 27, भाजपा ने 6 और जदयू ने 5 को किया बाहर, दल-बदलू उम्मीदवार बोले- 5 साल मेहनत करें हम और टिकट ले जाएं कोई...

भारत11 सीट पर आपस में टकराएंगे महागठबंधन उम्मीदवार, गांठ नहीं सुलझा सके अशोक गहलोत?, देखिए कहां-कहां दोस्ताना मुकाबला

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई