कोरोना महामारी से डरें, उसे खत्म करने वाली वैक्सीन से नहीं, अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉग

By अभिषेक कुमार सिंह | Published: June 17, 2021 01:34 PM2021-06-17T13:34:05+5:302021-06-17T13:35:10+5:30

भारत में टीका लगने के बाद पहली मौत की स्वीकारोक्ति बड़ी खबर बन जाती है. पर क्या हमें कोविड-19 से बचाने वाले टीकों से डरना चाहिए? ऐसे सवाल एडवर्स इवेंट्स फॉलोइंग इम्युनाइजेशन नामक सरकारी पैनल के सामने भी थे.

covid-19 corona epidemic Fear not vaccine eliminates Abhishek Kumar Singh's blog | कोरोना महामारी से डरें, उसे खत्म करने वाली वैक्सीन से नहीं, अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉग

सवाल है कि वैक्सीन लगाने के बाद इसके साइड इफेक्ट की बात आखिर कितनी सच है. (फाइल फोटो)

Highlightsकोविड-19 संबंधी टीका (कोविशील्ड या कोवैक्सीन) लेने के बाद पैदा हुए दुष्प्रभावों से हो गई. पैनल के मुताबिक इनमें से 68 साल के एक व्यक्ति की मौत टीका लगाने के बाद एनाफिलाक्सिस से हुई है.वैक्सीन के उत्तर-प्रभाव (साइड इफेक्ट) की श्रेणी में रखा जा सकता है.

मुहावरों में बात करें तो काजल की कोठरी में जाने वाले शख्स के पांव में कालिख की एक लकीर खिंच आना स्वाभाविक है- चाहे लाख सावधानियां क्यों न बरती जाएं.

कोरोना से बचाव के लिए पूरी दुनिया में चल रहे टीकाकरण कार्यक्रम के संदर्भ में इस मुहावरे को देखें तो कह सकते हैं कि वैक्सीनों के थोड़े-बहुत दुष्प्रभावों (साइड इफेक्ट) की आशंकाओं से इंकार नहीं किया जा सकता. पर इधर जब देश में कोरोना वैक्सीनों के साइड इफेक्ट का अध्ययन कर रहे सरकारी पैनल ने टीका लगने के बाद एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि की तो इससे सनसनी फैल गई.

चूंकि अरसे से इन टीकों को लेकर अनगिनत सवाल खड़े होते रहे हैं, ऐसे में भारत में टीका लगने के बाद पहली मौत की स्वीकारोक्ति बड़ी खबर बन जाती है. पर क्या हमें कोविड-19 से बचाने वाले टीकों से डरना चाहिए? ऐसे सवाल एडवर्स इवेंट्स फॉलोइंग इम्युनाइजेशन नामक सरकारी पैनल के सामने भी थे. इस पैनल ने ऐसे ही ढेरों सवालों की रोशनी में सैकड़ों मामलों में से 31 दावों की जांच की.

दावों के मुताबिक इनमें से 28 लोगों की मौत कोविड-19 संबंधी टीका (कोविशील्ड या कोवैक्सीन) लेने के बाद पैदा हुए दुष्प्रभावों से हो गई. जांच-पड़ताल के बाद पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 28 लोगों में से सिर्फ एक मामला ऐसा है, जिसके बारे में कहा जा सकता है कि मृत्यु टीकाकरण की वजह से हुई. इसी तरह पैनल ने तीन लोगों में वैक्सीन के अन्य दुष्प्रभावों- एनाफिलाक्सिस (वैक्सीन प्रॉडक्ट रिलेटिड रिएक्शन) पर अपनी मुहर लगाई है. पैनल के मुताबिक इनमें से 68 साल के एक व्यक्ति की मौत टीका लगाने के बाद एनाफिलाक्सिस से हुई है.

इस व्यक्ति की मृत्यु 8 मार्च 2021 को हुई थी. एनाफिलाक्सिस एक तरह का एलर्जिक रिएक्शन है, जिसे वैक्सीन के उत्तर-प्रभाव (साइड इफेक्ट) की श्रेणी में रखा जा सकता है. जो दो अन्य लोग इसी एलर्जी के शिकार हुए थे, वे अस्पताल में भर्ती कराए जाने के बाद स्वस्थ हो गए थे. पर सवाल है कि वैक्सीन लगाने के बाद इसके साइड इफेक्ट की बात आखिर कितनी सच है.

अगर मौतें न भी हों, तो भी कई लोगों में कुछ दुष्प्रभाव क्यों दिखाई पड़ रहे हैं? असल में यह मामला वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा (एफिकेसी) बनाम वैक्सीन के कारगर होने (इफेक्टिवनेस) का है. किसी टीके की एफिकेसी का मतलब है कि वैक्सीन किस हद तक वायरस से सुरक्षा प्रदान करती है. ध्यान रहे कि अभी तक दुनिया की किसी भी वैक्सीन ने कोविड-19 से सुरक्षा का सौ फीसदी दावा नहीं किया है.

चूंकि सभी टीकों के ट्रायल नियंत्रित स्थितियों में किए जाते हैं, इसलिए वास्तविकता में उनके इस्तेमाल पर नतीजे अलग आ सकते हैं. इसी तरह वैक्सीन के कारगर होने (इफेक्टिवनेस) का पता उसे बड़ी आबादी को लगाए जाते समय चलता है. वैक्सीन लाने-ले जाने, उसके भंडारण की स्थितियों और उसे लगाने व लगवाने वालों पर किसी का वैसा नियंत्नण नहीं होता, जैसा ट्रायल के वक्त होता है, इसलिए वैक्सीन कितनी कारगर है- इसे लेकर अंतर आ जाता है. इन्हीं कारणों से वैक्सीन की एफिकेसी और इफेक्टिवनेस में ट्रायल के मुकाबले काफी फर्क और कुछ प्रतिशत तक दुष्प्रभाव तक देखने को मिलते हैं.

ऐसे में प्रश्न है कि लोग क्या करें. वे टीके लगवाएं या नहीं? इन सवालों का एक ठोस जवाब आंकड़ों में मिलता है. सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में सात जून 2021 तक जिन 23.5 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन लगी है, उनमें से टीकाकरण के बाद बीमार होने वालों की संख्या 26200 है. इनमें से 488 लोगों की मौत का दावा है, लेकिन ऐसे ज्यादातर लोग या तो पहले से अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे या फिर टीकाकरण केंद्र तक आते-जाते कोरोना संक्र मण की चपेट में आ गए.

फिर भी यदि 26200 मामलों को वैक्सीन के दुष्प्रभावों से सीधे जोड़ा जाए तो भी यह प्रतिशत सिर्फ 0.01 आता है. इनमें भी मौत का आंकड़ा वैक्सीन लगवाने वाले हर 10 लाख लोगों में सिर्फदो है. ऐसे में साइड इफेक्ट का खतरा नगण्य ही नजर आता है. अलबत्ता इससे कई हजार गुना खतरा तब पैदा होगा, जब लोग सारे तथ्यों को जानते हुए भी कोरोना से बचाव करने वाली वैक्सीनों से परहेज बरतेंगे.

ऐसी स्थिति में देश में कोविड की तीसरी लहर का संकट गहरा सकता है और आम लोगों की दिनचर्या फिर से लॉकडाउन वाले हालात में पहुंच सकती है. इसलिए कोरोना टीके के फायदे कहीं ज्यादा हैं. यदि लोग टीका लगने के 30 मिनट बाद तक वैक्सीनेशन सेंटर पर ही रुकेंगे तो इससे खतरा कम हो सकता है. अक्सर इसी समयांतराल में टीके के साइड इफेक्ट सामने आ जाते हैं और उसके बाद तत्काल इलाज मिलने पर उसे नियंत्रित किया जा सकता है.

Web Title: covid-19 corona epidemic Fear not vaccine eliminates Abhishek Kumar Singh's blog

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