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आलोक मेहता का ब्लॉगः साइबर युद्ध के लिए बहुत पहले से है चीन की तैयारी  

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: July 10, 2020 12:54 IST

चीन की पचास-साठ कंपनियों के एप्स पर रोक लगाने की घोषणा से निश्चिंत हो जाने वाले लोग भ्रम में हैं. सामान्यत: हम  तात्कालिक संकट से निपटने पर अपनी पीठ थपथपाकर जल्दी खुश हो जाते हैं. चीन बीस-तीस वर्षो की रणनीति पर काम करता है.

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लद्दाख और अन्य सीमाओं पर फिलहाल सीधे युद्ध का खतरा टल गया लगता है. प्रधानमंत्नी ने लेह पहुंच कर न केवल भारतीय सेना का हौसला बढ़ाया, वरन चीन और पाकिस्तान को सीधा संदेश भी दे दिया कि शांति सद्भावना के साथ जरूरत पढ़ने पर भारत मुंहतोड़ जवाब देगा. प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक तथा सामरिक नीति ने पहले पाकिस्तान और अब चीन को बहुत हद तक अलग-थलग कर दिया है. अमेरिका, फ्रांस, रूस, जापान, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय समुदाय, आसियान इस समय चीन को विस्तारवादी और विनाशकारी करार देते हुए भारत के साथ खड़े दिख रहे हैं. लेकिन यह अवश्य ध्यान में रखना होगा कि आर्थिक मोर्चे पर आधुनिक साइबर लड़ाई के खतरे बढ़ने वाले हैं. हमारे सुरक्षा तंत्न में ताक-झांक के लिए चीन पिछले वर्षो के दौरान भी हैकिंग के हमले करता रहा है. 

चीन की पचास-साठ कंपनियों के एप्स पर रोक लगाने की घोषणा से निश्चिंत हो जाने वाले लोग भ्रम में हैं. सामान्यत: हम  तात्कालिक संकट से निपटने पर अपनी पीठ थपथपाकर जल्दी खुश हो जाते हैं. चीन बीस-तीस वर्षो की रणनीति पर काम करता है. उसने परमाणु और जैविक हथियारों के साथ साइबर हमलों के लिए दस वर्षो से तैयारी की हुई थी. उसने अपना जाल उस पर निर्भर पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मलेशिया तथा अमेरिका, अफ्रीकी देशों तक फैला लिया है. 

सबसे दुखद तथ्य यह है कि हमारे कुछ साइबर और सुरक्षा विशेषज्ञ पिछले वर्षो के दौरान सरकार का ध्यान दिला रहे थे, लेकिन प्रशासनिक तंत्न और कुछ अहंकारी नेता - मंत्नी केवल कमेटी रिपोर्ट और फाइलों को घुमाते रहे. यहां तक कि प्रधानमंत्नी कार्यालय तक को आधी-अधूरी जानकारियां पहुंचाकर खानापूर्ति की.

संयुक्त राष्ट्र के संगठन अंकटाड ने 2018 की रिपोर्ट में बताया था कि आज पूरी दुनिया की डिजिटल संपत्ति कुछ गिनी-चुनी अमेरिकी तथा चीनी कंपनियों के हाथों में सीमित होकर रह गई है. यों अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने साइबर समस्याओं और खतरों पर 2004 से काम शुरू कर दिया था, लेकिन भारत सहित कई देशों ने इस मुद्दे पर प्रारंभिक वर्षो में विशेष ध्यान ही नहीं दिया. 

नतीजा यह है कि साइबर धंधे, षड्यंत्न, आक्रमण के लिए सक्रिय चीन तेजी से घुसपैठ करता गया है. इस खतरे को समझते हुए अंतरराष्ट्रीय संगठन की फरवरी 2020 में हुई एक बैठक में डिजिटल दुनिया और साइबर चोरी तथा हमलों से बचने के लिए कई देशों  ने नए मजबूत नियम कानून बनाने की सिफारिश की है. भारत ने इसी दृष्टि से अपने संचार माध्यमों और डिजिटल कामकाज के लिए नियम-कानून की प्रक्रि या शुरू कर दी है.

टॅग्स :चीनलद्दाखनरेंद्र मोदीसंयुक्त राष्ट्र
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