Naxal: अपने खात्मे की ओर बढ़ता नक्सलवाद?, नक्सल आंदोलन का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर...

By शशिधर खान | Updated: June 6, 2025 05:12 IST2025-06-06T05:12:05+5:302025-06-06T05:12:48+5:30

Chhattisgarh Naxal: 25 मई, 1967 को प. बंगाल के हाथीघीसा गांव में आदिवासियों की जमीन हड़प कर उनका शोषण करनेवाले जमींदारों के समर्थन में पहुंची पुलिस टीम पर आदिवासी महिलाओं ने अपनी जीविका बचाने के लिए हमला किया था.

Chhattisgarh Naxalism moving towards its end existence Naxal movement now verge ending blog Shashidhar Khan | Naxal: अपने खात्मे की ओर बढ़ता नक्सलवाद?, नक्सल आंदोलन का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर...

file photo

Highlightsजवाब में हुई पुलिस फायरिंग में दो बच्चे, महिलाएं समेत 11 लोग मारे गए. घटना को नक्सल आंदोलन का उदय माना जाता है. 295 उन जवानों को आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति दी है.

Chhattisgarh Naxal: नक्सल आंदोलन का अस्तित्व अब समाप्त होने के कगार पर है. क्रांतिकारी बदलाव लाने के विलुप्त हो चुके अतीत को सिर्फ हिंसा, लूट, आतंक की बदौलत घसीट रहे ये माओवादी (नक्सली) खुद को तथाकथित आंदोलन चलानेवाले कहते हैं. मई, 2025 का अंतिम सप्ताह सरकार और समाज की भाषा में नक्सल उग्रवाद के इतिहास के अंतिम अध्याय के रूप में याद किया जाएगा. 58 साल पहले मई महीने के अंतिम सप्ताह में ही पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी से इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी. 25 मई, 1967 को प. बंगाल के हाथीघीसा गांव में आदिवासियों की जमीन हड़प कर उनका शोषण करनेवाले जमींदारों के समर्थन में पहुंची पुलिस टीम पर आदिवासी महिलाओं ने अपनी जीविका बचाने के लिए हमला किया था.

उसके जवाब में हुई पुलिस फायरिंग में दो बच्चे, महिलाएं समेत 11 लोग मारे गए. उस घटना को नक्सल आंदोलन का उदय माना जाता है. नक्सल सफाया अभियान के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशन में चल रहे संयुक्त सुरक्षा बल के ऑपरेशनों से अब यह वाम उग्रवाद अस्त होने की हालत में पहुंच गया है.

हमले के नक्सली तरीके अपनाकर पुलिस बलों ने इनके बचे-खुचे काडरों पर ये नौबत ला दी है कि सरेंडर करने या जान गंवाने के सिवाय दूसरा चारा नहीं रह गया है. 21 अप्रैल 2025 से ‘ऑपरेशन संकल्प’अभियान 21 दिनों का लक्ष्य लेकर चलाया गया. इस दौरान पुलिस बलों ने बिना सुस्ताए और नक्सलियों को संभलने का मौका दिए बिना नक्सली ढिकानों पर हमला जारी रखा.

मई समाप्त होने से पहले नक्सलियों के सबसे मजबूत गढ़ बस्तर क्षेत्र के ठिकाने ध्वस्त करने में भारी सफलता मिली. ये जगह थी छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर कर्रेगट्टालू पहाड़ी, जहां लगातार हुई गोलीबारी में 31 नक्सली मारे गए. सरकार ने नक्सली विनाश और उन इलाकों के विकास की डबल इंजन नीति अपनाई है.

नक्सलमुक्त पंचायत को विकास के लिए एक करोड़ का पैकेज देने का कार्यक्रम छत्तीसगढ़ से शुरू हो गया है. छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में सरेंडर करनेवाले नक्सलियों को मुख्यधारा की जिंदगी अपनाने के लिए सहायता दी जा रही है. छत्तीसगढ़ सरकार ने पुलिसकर्मियों का हौसला बढ़ाने के लिए 295 उन जवानों को आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति दी है, जिन्होंने नक्सलियों से मोर्चा लिया.

अब ‘आया ऊंट पहाड़ के नीचे’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. झारखंड का बूढ़ा पहाड़ और छत्तीसगढ़-तेलंगाना बीजापुर-नारायणपुर पहाड़ नक्सल मुक्त है. लगभग सभी हिंसा केंद्रों को पहाड़ों के नीचे आकर शांति पथ अपनाना पड़ा. ओडिशा की मलकानगिरी और कोलानगीर पहाड़ी नवीन पटनायक के 36 वर्षों के शासनकाल में पहले ही नक्सल मुक्त हो चुकी हैं.

Web Title: Chhattisgarh Naxalism moving towards its end existence Naxal movement now verge ending blog Shashidhar Khan

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे