ब्लॉग: दो हजार के नोट बदलवाने के लिए अब क्यों उमड़ रही है भीड़ ?
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: November 4, 2023 10:54 IST2023-11-04T10:53:27+5:302023-11-04T10:54:39+5:30
कतार में खड़े अधिकतर लोगों के पास जब दो हजार रु. के ठीक दस नोट हों तो आगे और ज्यादा जांच किए जाने की जरूरत तो महसूस होती ही है ताकि पता चल सके कि आखिर वे कौन लोग हैं जिन्होंने अभी तक इतनी बड़ी संख्या में दो हजार के नोटों को बचाकर रखा है?

(प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली: चलन से बाहर हो चुके दो हजार रु. के नोटों को बदलवाने के लिए ओडिशा में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के विभिन्न काउंटरों पर इन दिनों उमड़ने वाली भीड़ और कुछ लोगों को तीन सौ रु. मेहनताना देकर नोट बदलवाने के लिए लगाए जाने की खबर निश्चित रूप से चिंतित और हैरान करने वाली है। हैरानी इसलिए है कि सरकारी बैंकों में दो हजार के नोट बदलवाने के लिए भरपूर समय दिया गया था। रिजर्व बैंक ने जब 19 मई को दो हजार रु. के नोट चलन से बाहर होने का ऐलान किया था तब बैंकों में इसे बदलवाने के लिए 30 सितंबर तक की समय सीमा निर्धारित की थी।
चूंकि 29 सितंबर तक दो हजार के लगभग 96 प्रतिशत नोट ही बैंकों के माध्यम से वापस लौटाए गए थे, इसलिए बाकी के नोटों की वापसी के लिए आरबीआई ने समय सीमा बढ़ाकर 7 अक्तूबर कर दी थी। इसके बाद भी अगर भूले-भटके से किसी के पास दो हजार के नोट बचे हों तो उन्हें रिजर्व बैंक के 19 क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से वापस किया जा सकता है। हैरानी की बात यह है कि रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों में नोट वापसी की निर्धारित की गई समय सीमा के दौरान कहीं भी लोगों की ज्यादा भीड़ नहीं उमड़ी थी क्योंकि दो हजार के नोट चलन से बाहर किए जाने की घोषणा के काफी पहले से ही इसका सर्कुलेशन बहुत कम कर दिया गया था और बैंकों या एटीएम के जरिये दो हजार के नोट मिलने बंद हो गए थे। इसलिए अब रिजर्व बैंक के चुनिंदा कार्यालयों में ही जब नोट बदले जाने का प्रावधान है, नोट बदलवाने के लिए लोगों की भीड़ जुटना आश्चर्यजनक है।
हालांकि 8 नवंबर 2016 को जब पांच सौ और एक हजार रु. के नोटों की नोटबंदी की घोषणा की गई थी तो बैंकों के सामने इससे कहीं ज्यादा भीड़ उमड़ी थी लेकिन उस समय की परिस्थिति अलग थी। लोगों को जरा भी आभास नहीं था कि ऐसा कुछ हो सकता है और वे नोट चलन में भी अच्छी-खासी संख्या में थे। जबकि दो हजार के नोट चलन में भी बहुत कम हो गए थे और लोगों को ऐसा लगने भी लगा था कि इन्हें चलन से बाहर किया जा सकता है क्योंकि कहा जाने लगा था कि दो हजार के नोट का कालाधन रखने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसलिए अब अगर इसे बदलवाने के लिए चुनिंदा केंद्रों पर भीड़ उमड़ रही है तो आशंका पैदा होना स्वाभाविक है और इसका पता लगाया जाना चाहिए कि वे कौन लोग हैं जो 300 रु. की दिहाड़ी देकर लोगों से अपने पास के नोट बदलवा रहे हैं?
हालांकि ओडिशा पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने भारतीय रिजर्व बैंक के काउंटर पर दो हजार रुपए के नोट बदलवाने के लिए कतार में खड़े लोगों से इस बारे में पूछताछ की है, लेकिन कतार में खड़े अधिकतर लोगों के पास जब दो हजार रु. के ठीक दस नोट हों तो आगे और ज्यादा जांच किए जाने की जरूरत तो महसूस होती ही है ताकि पता चल सके कि आखिर वे कौन लोग हैं जिन्होंने अभी तक इतनी बड़ी संख्या में दो हजार के नोटों को बचाकर रखा है?