ब्लॉगः क्या होगी समान नागरिक संहिता, कब होगा UCC पर मसौदा तैयार?

By फिरदौस मिर्जा | Published: July 8, 2023 07:59 AM2023-07-08T07:59:57+5:302023-07-08T08:00:19+5:30

संविधान का अनुच्छेद-44 समान नागरिक संहिता बनाने का निर्देश देता है। कोई भी व्यक्तिगत कानून अंतर-धार्मिक विवाह की अनुमति नहीं देता है, इसलिए संसद ने विशेष विवाह अधिनियम, 1954 बनाया, यह सही मायने में विवाह के लिए एक समान नागरिक संहिता है...

Blog What will be the Uniform Civil Code when will the draft on UCC be ready | ब्लॉगः क्या होगी समान नागरिक संहिता, कब होगा UCC पर मसौदा तैयार?

ब्लॉगः क्या होगी समान नागरिक संहिता, कब होगा UCC पर मसौदा तैयार?

यदि आपके सामने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) शब्द आता है, तो मान लीजिए कि चुनाव नजदीक हैं। यह हमारे राजनीतिक विमर्श के साथ-साथ सामाजिक जीवन में सबसे भ्रमित करने वाला शब्द है क्योंकि आज तक किसी ने भी यूसीसी का मसौदा तैयार नहीं किया है। यूसीसी पर नागरिकों की राय मांगने वाले विधि आयोग के हालिया नोटिस से भ्रम कई गुना बढ़ गया है, क्योंकि इसके साथ कोई ड्राफ्ट नहीं है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों अपनी सुविधा के अनुसार इसका समर्थन या विरोध कर रहे हैं और आम आदमी असमंजस में है कि ‘समान नागरिक संहिता’ क्या होगी।

संविधान का अनुच्छेद-44 समान नागरिक संहिता बनाने का निर्देश देता है। कोई भी व्यक्तिगत कानून अंतर-धार्मिक विवाह की अनुमति नहीं देता है, इसलिए संसद ने विशेष विवाह अधिनियम, 1954 बनाया, यह सही मायने में विवाह के लिए एक समान नागरिक संहिता है और विवाह को धर्म के चंगुल से मुक्त करता है। इस कानून के अधिनियमन ने नागरिकों को अपने व्यक्तिगत कानून के स्थान पर समान नागरिक संहिता का विकल्प चुनने का अवसर प्रदान किया। मेरी राय में, जिन्होंने इस कानून के तहत अपनी शादियां पंजीकृत कराई हैं, वे ही यूसीसी के सच्चे समर्थक हैं।

21 वें विधि आयोग ने यूसीसी पर विचार-विमर्श किया और निष्कर्ष निकाला कि यह न तो आवश्यक है और न ही वांछनीय। लेकिन अगले ही विधि आयोग ने परिस्थितियों में बदलाव नहीं होने पर भी एक नोटिस प्रकाशित कर विवाद को भड़का दिया और देश के नागरिकों के बीच विभाजन का एक और दरवाजा खोल दिया। इच्छित यूसीसी का मसौदा प्रकाशित न कर विधि आयोग ने राष्ट्र का हित नहीं किया है।
 
सबसे अधिक चिंतित वे आदिवासी हैं जो हिंदू विवाह अधिनियम या किसी अन्य संहिताबद्ध कानून द्वारा शासित नहीं थे और उन्हें अपने रीति-रिवाजों का पालन करने की स्वतंत्रता है। प्रत्येक जनजाति की अपनी विशिष्ट संस्कृति और रीति-रिवाज होते हैं, किसी विशेष जनजातीय रीति-रिवाज के साथ संबंध स्थापित करने पर किसी व्यक्ति को जनजाति का दर्जा दिया जाता है। उनकी चिंता यह है कि यूसीसी के आने से उनके रीति-रिवाजों का क्या होगा? क्या वे अपनी आदिवासी पहचान, संस्कृति को बरकरार रख पाएंगे या उन्हें इसे छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा?

चूंकि विधि आयोग ने नोटिस प्रकाशित कर कई लोगों के बीच अशांति पैदा कर दी है, अब यह उसका कर्तव्य है कि वह तुरंत मसौदा प्रकाशित करके भ्रम को दूर करे। इसके बाद, समान नागरिक संहिता को औपचारिक रूप से लागू करने से पहले सार्वजनिक चर्चा करना और संविधान निर्माताओं की अपेक्षाओं का पालन करना सरकार का कर्तव्य होगा।

Web Title: Blog What will be the Uniform Civil Code when will the draft on UCC be ready

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे