वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कश्मीरी पंडितों की होगी घर वापसी!

By वेद प्रताप वैदिक | Published: August 4, 2020 05:48 AM2020-08-04T05:48:03+5:302020-08-04T05:48:03+5:30

कश्मीरी पंडितों का पलायन तो उसी समय (1990 में) शुरू हुआ था, जब डॉ. फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री थे. जगमोहन नए-नए राज्यपाल बने थे.

Blog on Kashmiri Pandits will return home Farooq Abdullah | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कश्मीरी पंडितों की होगी घर वापसी!

प्रतीकात्मक तस्वीर

कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और सुप्रसिद्ध नेता डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने एक वेबिनार में एक बहुत अच्छी बात कह दी है. उन्होंने कश्मीर के पंडितों की वापसी का स्वागत किया है. कश्मीर से तीस साल पहले लगभग छह-सात लाख पंडित लोग पलायन कर गए थे और देश के कई प्रांतों में रहने लगे थे. अब तो कश्मीर के बाहर इनकी दूसरी और तीसरी पीढ़ी तैयार हो गई है. अब कश्मीर में जो कुछ हजार पंडित बचे हुए हैं, वे वहां मजबूरी में रह रहे हैं.
 
केंद्र की कई सरकारों ने कश्मीरी पंडितों की वापसी की घोषणाएं कीं, उन्हें आर्थिक सहायता देने की बात कही और उन्हें सुरक्षा का आश्वासन भी दिया लेकिन आज तक 100-200 परिवार भी वापस कश्मीर जाने के लिए तैयार नहीं हुए. कुछ प्रवासी कश्मीरी पंडित संगठनों ने मांग की है कि यदि उन्हें सारे कश्मीर में अपनी अलग बस्तियां बसाने की सुविधा दी जाए तो वे वापस लौट सकते हैं लेकिन कश्मीरी नेताओं का मानना है कि हिंदू पंडितों के लिए यदि अलग बस्तियां बनाई गईं तो सांप्रदायिक जहर तेजी से फैलेगा. अब डॉ. अब्दुल्ला जैसे परिपक्व नेताओं से ही उम्मीद की जाती है कि वे कश्मीरी पंडितों की वापसी का कोई व्यावहारिक तरीका पेश करें.

कश्मीरी पंडितों का पलायन तो उसी समय (1990 में) शुरू हुआ था, जब डॉ. फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री थे. जगमोहन नए-नए राज्यपाल बने थे. उन्हीं दिनों भाजपा नेता टीकालाल तपलू, हाईकोर्ट के जज नीलकंठ गंजू और पं. प्रेमनाथ भट्ट की हत्या हुई थी. कई मंदिरों और गुरुद्वारों पर हमले हो रहे थे. ऐलान होते थे कि कश्मीर खाली करो. कश्मीरी पंडितों के घरों और स्त्रियों की सुरक्षा लगभग शून्य हो गई थी. ऐसे में राज्यपाल जगमोहन क्या करते? उन्होंने जान बचाकर भागनेवाले कश्मीरी पंडितों की मदद की. उनकी सुरक्षा और यात्ना की व्यवस्था की. जगमोहन और फारूक के बीच ठन गई.

यदि पंडितों के पलायन के लिए डॉ. फारूक आज जगमोहन के विरुद्ध जांच बिठाने की मांग कर रहे हैं तो उस जांच की अग्नि-परीक्षा में सबसे पहले खुद डॉ. फारूक को खरा उतरना होगा. बेहतर तो यह होगा कि ‘बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुध लेय’!कश्मीरी पंडितों के उस पलायन के लिए जो भी जिम्मेदार हो, आज सबसे जरूरी यह है कि कश्मीर के सारे नेता फिर से मैदान में आएं और ऐसे हालात पैदा करें कि आतंकवाद वहां से खत्म हो और कश्मीरी पंडितों की वापसी हो.

Web Title: Blog on Kashmiri Pandits will return home Farooq Abdullah

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