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रमेश ठाकुर का ब्लॉग: विमान हादसे के कारणों पर ध्यान देना जरूरी

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: August 10, 2020 06:28 IST

कोझिकोड के जिस एयरपोर्ट पर हादसा हुआ है उसके आसपास बहुत ज्यादा हरियाली है इसलिए वहां दूसरे एयपोर्ट्स के मुकाबले विजिबिलिटी कम रहती है. इन सारे पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है.

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रमेश ठाकुरकोझिकोड एयरपोर्ट पर भीषण विमान हादसे ने निश्चित रूप से हवाई यात्नाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं. हादसे की शुरुआती रिपोर्ट बताती है कि रनवे छोटा होने के चलते हादसा हुआ. कोङिाकोड एयरपोर्ट का रनवे अन्य हवाई अड्डों के मुकाबले छोटा है. छोटे रनवे पर बारिश के दौरान विमानों की लैंडिंग कराना खतरे से खाली नहीं होता.

देखा जाए तो एविएशन क्षेत्न में भारत आज भी दूसरे देशों से काफी पीछे है. नए विमानन नियम, नई सहूलियतें, आधुनिक तामझाम, यात्ना में सुगमता की गारंटी और भी कई तमाम हवाई कागजी बातें उस समय धरी रह जाती हैं, जब बड़े प्लेन हादसों की खबरें आ जाती हैं. देश में महज दिल्ली, मुंबई जैसे दो-तीन ही इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के एयरपोर्ट हैं, जबकि देश में एविएशन सेक्टर में भारी संभावनाएं हैं. यह क्षेत्न सालाना 14 फीसदी की दर से ग्रोथ कर रहा है. दुनिया के टॉप-5 देशों में शुमार होने के बावजूद भारतीय एविएशन सेक्टर  पूरी तरह भरोसेमंद नहीं बन सका है.

केंद्र सरकार ने चार साल पहले देशभर के एयरपोर्ट की सुरक्षा-समीक्षा की थी. रिपोर्ट में सामने आया था कि कई ऐसे रनवे हैं जो बोइंग विमानों का भार ङोलने के लायक नहीं हैं. बोइंग विमानों का वजन 70 से 100 टन के आसपास होता है. लैंडिंग के वक्त एकदम तेजी से इतना भार जमीन पर पड़ता है तो कम दूरी के रनवे मुकाबला नहीं कर पाते. बारिश में छोटे रनवे की हालत और भी ज्यादा खराब हो जाती है. खराब मौसम में जब ये विमान लैंड करते हैं तो रनवे पर उनके टायरों की रबड़ उतर जाती है जिससे ब्रेक लगाने के वक्त प्लेनों के फिसलने की आशंका बढ़ जाती है. 

उस स्थिति में अगर रनवे लंबे हों तो पायलट नियंत्नण कर लेता है. सिक्किम में बनाए गए ऐसे एक एयरपोर्ट को बंद भी कर दिया गया था. बाकी हवाई अड्डों पर गौर नहीं किया गया. कोङिाकोड एयरपोर्ट अथॉरिटी ने मेंगलुरुएयरपोर्ट पर पूर्व में हुई कमोबेश ऐसी ही घटना से सबक नहीं लिया. ठीक एक दशक पहले 22 मई 2010 को एयर इंडिया का विमान दुबई से आते वक्त रनवे से फिसल कर पास की पहाड़ियों में जा घुसा था जिसमें 158 लोगों की मौत हुई थी. कारण, रनवे छोटा था, पायलट नियंत्नण नहीं कर पाया. 

कोझिकोड के जिस एयरपोर्ट पर हादसा हुआ है उसके आसपास बहुत ज्यादा हरियाली है इसलिए वहां दूसरे एयपोर्ट्स के मुकाबले विजिबिलिटी कम रहती है. इन सारे पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है.

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