अर्थव्यवस्था के हित में नहीं है सोने का घरों में संग्रह, प्रमोद भार्गव का ब्लॉग

By प्रमोद भार्गव | Published: August 7, 2020 06:14 PM2020-08-07T18:14:23+5:302020-08-07T18:15:01+5:30

बीते पांच दशकों में सोने में 14 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है. बीते एक साल में यह वृद्धि 40 प्रतिशत रही है. कुछ साल पहले रिजर्व बैंक द्वारा सोने में आयात के नियमों में ढील देने के कारण सोने का आयात बढ़ा है, जो विदेशी मुद्रा डॉलर में होता है. सोने की तस्करी भी बड़ी मात्ना में हो रही है.

Blog of Pramod Bhargava Collection gold homes is not in the interest of economy | अर्थव्यवस्था के हित में नहीं है सोने का घरों में संग्रह, प्रमोद भार्गव का ब्लॉग

सोना सस्ता होता है, इसकी खरीद बढ़ जाती है, जिसका अप्रत्यक्ष प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है.

Highlightsदुनिया में रफ्तार के पहिए थम जाने के कारण ऐसा लग रहा है कि इन धातुओं के दामों में फिलहाल गिरावट आने वाली नहीं है.सोना भारतीय परंपरा में धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टियों से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. जीवन में बुरे दिन आ जाने की आशंकाओं के चलते भी सोना सुरक्षित रखने की प्रवृत्ति आम आदमी में खूब है.

भारत समेत पूरी दुनिया में कोविड-19 महामारी के चलते अर्थव्यवस्था जबरदस्त मंदी का सामना कर रही है. बाजार में धन की तरलता कम हो जाने के कारण अधिकतर देशों की माली हालत लड़खड़ा गई है और बेरोजगारी बढ़ रही है.

इसके बावजूद व्यक्तिगत स्तर पर सोने की खरीद में तेजी आई हुई है. इस खरीद की पृष्ठभूमि में बैंक में जमा धनराशि की ब्याज दरों में कमी, जमीन-जायदाद और शेयर बाजार का कारोबार लगभग ठप पड़ जाना है. इसलिए लोग ठोस सोने-चांदी की खरीद कर संग्रह में लगे हैं.

सोने में पूंजी का निवेश सबसे सुरक्षित माना जाता है. इसीलिए बीते पांच दशकों में सोने में 14 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है. बीते एक साल में यह वृद्धि 40 प्रतिशत रही है. कुछ साल पहले रिजर्व बैंक द्वारा सोने में आयात के नियमों में ढील देने के कारण सोने का आयात बढ़ा है, जो विदेशी मुद्रा डॉलर में होता है. सोने की तस्करी भी बड़ी मात्ना में हो रही है.

कोविड-19 काल में सोने में बहुत तेजी देखने में आई है

कोविड-19 काल में सोने में बहुत तेजी देखने में आई है. दुनिया में रफ्तार के पहिए थम जाने के कारण ऐसा लग रहा है कि इन धातुओं के दामों में फिलहाल गिरावट आने वाली नहीं है. सोना भारतीय परंपरा में धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टियों से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है.

पूजा-पाठ से लेकर शादी में वर-वधू को सोने के गहने देना प्रतिष्ठा और सम्मान का प्रतीक है. जीवन में बुरे दिन आ जाने की आशंकाओं के चलते भी सोना सुरक्षित रखने की प्रवृत्ति आम आदमी में खूब है. इसलिए जैसे ही सोना सस्ता होता है, इसकी खरीद बढ़ जाती है, जिसका अप्रत्यक्ष प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है.

सोना डॉलर में आयात किया जाता है. इस वजह से व्यापार घाटा खतरनाक तरीके से बढ़ जाता है और रुपए की कीमत भी गिरने लगती है. 2003 में जहां हम 3.8 अरब डॉलर के सोने का आयात करते थे, वहीं देश के धनी लोगों की स्वर्ण-लिप्सा के चलते 2011-12 में यह आंकड़ा 57.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया.

भारत सोने के आयात के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है

भारत सोने के आयात के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है. 2016-17 में 771.2 टन और 2018-19 में 760.4 टन सोने का आयात किया गया. राजस्व गुप्तचर निदेशालय यानी डीआरआई की 2019 में आई रिपोर्ट के मुताबिक देश में सोने की तस्करी लगातार बढ़ रही है.

2017-18 में कुल 974 करोड़ रुपए का सोना पकड़ा गया. डीआरआई का मानना है कि तस्करी के जरिए जितना सोना भारत में आता है, उसका मात्न 5 से 10 प्रतिशत ही सोना पकड़ में आ पाता है. इस हिसाब से डीआरआई का मानना है कि 10 हजार करोड़ रुपए का सोना देश में तस्करी के जरिये आया है.

विश्व स्वर्ण परिषद का मानना है कि सोने पर 2.5 प्रतिशत कर बढ़ा दिए जाने के कारण तस्करी में वृद्धि हुई है. सोने की वैध खरीद पर कुल 12.5 प्रतिशत कर लगता है. सोना और इसके आभूषणों पर 3 प्रतिशत जीएसटी लगती है. इसके अलावा सोने के व्यापारी और स्वर्णकार इस पर दो प्रतिशत अलग से शुल्क लेते हैं.

कुल मिलाकर अंतरराष्ट्रीय बाजार से सोने के भाव में अंतर 15.5 प्रतिशत तक होता है. इस कारण तस्करी को बढ़ावा मिल रहा है. तत्कालीन वित्त मंत्नी अरुण जेटली ने एक समग्र स्वर्ण नीति बनाने की घोषणा की थी, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद इस पर अमल नहीं हुआ.

देश के स्वर्ण आभूषण विक्रेताओं, घरों, मंदिरों और भारतीय रिजर्व बैंक में जमा

बृहत्तर भारत में सोने का भंडार लगातार बढ़ रहा है. यह सोना देश के स्वर्ण आभूषण विक्रेताओं, घरों, मंदिरों और भारतीय रिजर्व बैंक में जमा है. 2014-15 में ही 850 टन सोना आयात किया गया था. इतनी बड़ी मात्ना के बावजूद विश्व स्वर्ण परिषद का मानना है कि भारत के सरकारी खजाने में सिर्फ 557.7 टन सोना है.

सोने के सरकारी भंडार के मामले में भारत 11वें स्थान पर है. इसके इतर इसी परिषद का अनुमान है कि भारत में 22 हजार टन सोना घरों, मंदिरों और धार्मिक स्थलों एवं पूंजीपतियों के न्यासों के पास है. रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के अनुच्छेद 33 (5) के अनुसार रिजर्व बैंक के स्वर्ण भंडार का 85 प्रतिशत भाग बैंक के पास सुरक्षित रखना जरूरी है.

यह सोने के सिक्कों, बिस्किट्स, ईंटों अथवा शुद्ध सोने के रूप में रिजर्व बैंक या उसकी एजेंसियों के पास आस्तियों अथवा परिसंपत्तियों के रूप में रखा होना चाहिए. इस अधिनियम से सुनिश्चित होता है कि ज्यादा से ज्यादा 15 फीसदी स्वर्ण भंडार ही देश के बाहर गिरवी रखा अथवा बेचा जा सकता है.

जबकि 1991 में इंग्लैंड में जो 65.27 टन सोना गिरवी रखा गया था, वह रिजर्व बैंक में उपलब्ध कुल सोने का 18.24 प्रतिशत था, जो रिजर्व बैंक की कानूनी-शर्तो के मुताबिक ही 3.24 फीसदी ज्यादा था. रिजर्व बैंक में जो सोना सुरक्षित होता है, उसका एक प्रतिशत से भी कम रिटर्न हासिल होता है.

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