ब्लॉग: वैश्विक शांति के लिए महत्वपूर्ण हैं बहुपक्षीय सम्मेलन
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: February 26, 2024 11:11 IST2024-02-26T11:06:10+5:302024-02-26T11:11:24+5:30
रायसीना डायलॉग (21 से 23 फरवरी) का उद्घाटन नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनान (ग्रीस) के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस की उपस्थिति में किया, जो मुख्य अतिथि थे।

ब्लॉग: वैश्विक शांति के लिए महत्वपूर्ण हैं बहुपक्षीय सम्मेलन
रायसीना डायलॉग (21 से 23 फरवरी) का उद्घाटन नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनान (ग्रीस) के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस की उपस्थिति में किया, जो मुख्य अतिथि थे। कुछ दिन पहले (16-18 फरवरी) वार्षिक वैश्विक सुरक्षा सम्मेलन म्यूनिख में आयोजित किया गया था, जिसमें कई विश्व नेताओं सहित हमारे विदेश मंत्री जयशंकर ने भाग लिया, जिन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक के साथ 17 फरवरी को बहुप्रचारित बातचीत की।
शांगरी-ला डायलॉग, शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), नीमराना डायलॉग आदि जैसे कई वैश्विक या क्षेत्रीय सम्मेलन दुनिया भर में हो रहे हैं. ये सम्मेलन क्या हैं और इनसे क्या हासिल होने की उम्मीद है? द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मन नाजी-इतालवी फासीवादी-जापानी सैन्य गुट (एक्सिस पॉवर्स) की हार के बाद यह उम्मीद की गई थी कि शांति आएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
शीतयुद्ध तब शुरू हुआ, जब सोवियत संघ ने अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करना शुरू किया। 5 मार्च, 1946 को मिसौरी (यूएस) में अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन की उपस्थिति में विंस्टन चर्चिल का ‘आयरन कर्टेन भाषण’ पश्चिमी प्रतिरोध की शुरुआत थी। अमेरिका ने नाटो (1949), सेंटो (1955) और सीटो (1955) जैसे सैन्य गुटों के माध्यम से नेतृत्व किया, जिसे ‘निवारक सिद्धांत’ कहा जाता है। भारत ने इनमें से किसी भी गुट में शामिल होने से इनकार कर दिया।
1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमबारी की भयावहता के कारण, जिसमें लगभग 2 लाख लोग मारे गए थे, अमेरिका में शांति के समर्थकों की लॉबी बढ़ रही थी। इसके प्रेरणास्रोत द सैटरडे रिव्यू के प्रभावशाली संपादक नॉर्मन कजिन्स थे, जिन्होंने लिखा था कि हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बम विस्फोट ने ‘मनुष्य के इतिहास में एक चरण की हिंसक मौत और दूसरे की शुरुआत की है’।
2001 से लंदन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज (आईआईएसएस) द्वारा सिंगापुर के होटल शांगरी-ला में एशिया-प्रशांत रक्षा मंत्रियों के लिए एक सम्मेलन शुरू किया गया था, जिसे द शांगरी-ला डायलॉग कहा जाता है। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शुरुआत 2001 में चीन और रूस द्वारा की गई थी, जो सबसे बड़ा क्षेत्रीय निकाय है। इसकी शुरुआत मूल रूप से चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान के साथ ‘शंघाई 5’ के रूप में हुई थी। भारत 2023 में सदस्य बना।
नीमराना डायलॉग भारतीय और पाकिस्तानी नेताओं, पत्रकारों और सेवानिवृत्त नौकरशाहों-सैन्य अधिकारियों के बीच तनाव कम करने के लिए एक ट्रैक-टू कूटनीति है। यह सच है कि ऐसे सम्मेलनों में कभी-कभी विवाद होता है लेकिन विरोधियों से भी बार-बार मिलना शांति के लिए हमेशा अच्छा होता है।