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ब्लॉग: अपना अधिकार मांगती आधी दुनिया

By विवेक शुक्ला | Updated: March 8, 2024 12:53 IST

अभी यह कहना तो जल्दबाजी होगी कि आधी दुनिया को उनके सारे कानूनी हक भारतीय समाज ने दे दिए हैं, पर इतना कहना ही होगा कि अब औरतें अपने वाजिब हकों को हासिल करने के लिए घरों से निकल रही हैं।

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ठळक मुद्देअब औरतें अपने वाजिब हकों को हासिल करने के लिए घरों से निकल रही हैंउम्मीद है कि आधी दुनिया अब अन्याय और अत्याचार सहने के लिए तैयार नहींमहिलाएं अब घरों के अंदर या दफ्तरों में होने वाले अन्याय को सहने के लिए तैयार नहीं हैं

अभी यह कहना तो जल्दबाजी होगी कि आधी दुनिया को उनके सारे कानूनी हक भारतीय समाज ने दे दिए हैं, पर इतना कहना ही होगा कि अब औरतें अपने वाजिब हकों को हासिल करने के लिए घरों से निकल रही हैं। वे अपने घरों के अंदर या दफ्तरों में होने वाले अन्याय को सहने के लिए तैयार नहीं हैं। बेशक, यह बदलते हुए भारत का एक रोशन चेहरा है। यह एक तरह से उम्मीद जगाता है कि आधी दुनिया अब अन्याय और अत्याचार सहने के लिए तैयार नहीं ।

राजधानी दिल्ली के बहुत से मेहनतकश लोगों के इलाकों में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, बंगाल, ओडिशा के लाखों लोग रहते हैं। इन प्रवासी परिवारों की महिलाएं अब अपने घरों में होने वाले घरेलू उत्पीड़न और अपने कार्य स्थलों में होने वाले शोषण के खिलाफ महिला पंचायतों में जाकर शिकायतें करने लगी हैं। ये सब यहां की काउंसलरों से सलाह लेने आती हैं कि किस तरह से इन्हें न्याय मिल सकता है।

राजधानी के न्यू सीमापुरी की महिला पंचायत के प्रभारी फादर जॉर्ज बताते हैं कि महिला पंचायत में आने वाली महिलाओं को बताया जाता है कि उनके पास क्या-क्या कानूनी अधिकार हैं और हम कैसे काउंसलिंग, पुलिस और अदालतों के माध्यम से उनकी मदद कर सकते हैं। इस महिला पंचायत को दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी ने स्थापित किया था। बता दें कि दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी ने ही करीब 140 साल पहले दिल्ली में सेंट स्टीफंस कॉलेज खोला था और अब यह सोनीपत में सेंट स्टीफंस कैम्बिज स्कूल खोल रहा है।

महिला पंचायत में आने वाली औरतों को उनके अधिकारों से अवगत भी करवाया जाता है। जैसे कि भारतीय नागरिक प्रक्रिया संहिता के अनुसार किसी महिला आरोपी को शाम 6 बजे के बाद या सूर्योदय यानी सुबह 6 बजे से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। धारा 160 के अनुसार अगर किसी महिला से पूछताछ भी करनी है तो उसके लिए एक महिला कांस्टेबल या उस महिला के परिवार के सदस्यों की मौजूदगी होना जरूरी है।

विश्व महिला दिवस ( 8 मार्च) को  आधी दुनिया के हक में तमाम संकल्प लिए जाते हैं। इस बार भी लिए जाएंगे लेकिन अभी भी कितने परिवार या पिता अपनी बेटियों को अपनी चल और अचल संपत्ति में पुत्रों के बराबर हिस्सा देते हैं? दस फीसदी परिवार भी नहीं मिलेंगे, जहां पर पुत्री को पिता या परिवार की अचल संपत्ति में हक मिला हो। जबकि भारतीय कानून पिता की पुश्तैनी संपत्ति में बेटी को भी बराबर हिस्से का अधिकार देता है।

टॅग्स :महिलाभारतदिल्ली
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