जैव विविधता की समृद्धि ही धरती को रहने तथा जीवनयापन के योग्य बनाती है लेकिन विडंबना है कि दुनियाभर में लगातार बढ़ता प्रदूषण रूपी राक्षस वातावरण पर इतना भयानक प्रभाव डाल रहा है कि जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की अनेक प्रजातियां धीरे-धीरे लुप्त हो रही हैं।
इसीलिए पृथ्वी पर मौजूद पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के बीच संतुलन बनाए रखने तथा जैव विविधता के मुद्दों के बारे में लोगों में जागरूकता और समझ बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है।
विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की ‘लिविंग प्लेनेट रिपोर्ट’ में तो यह तथ्य दुनिया के सामने आया था कि विश्वभर में वन्यजीवों की आबादी तेजी से घट रही है और 1970 के बाद से लैटिन अमेरिका तथा कैरेबियन क्षेत्रों में तो वन्यजीव आबादी में 94 फीसदी तक की गिरावट आई है। दुनियाभर में विगत पांच दशकों में वन्यजीवों की आबादी 69 फीसदी कम हुई है। यदि भारत में कुछ जीव-जंतुओं की प्रजातियों पर मंडराते खतरों की बात करें तो भारत में इस समय सैकड़ों दुर्लभ प्रजातियां खतरे में हैं।
कई अध्ययनों में यह चिंताजनक तथ्य सामने आ चुका है कि खेती में कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग होने से दुनिया के 75 प्रतिशत कीट-पतंगे नष्ट हो गए हैं, जो पक्षियों का मुख्य भोजन होते हैं। कीट-पतंगों का सफाया होने से चिड़ियों तथा अन्य पक्षियों को खुराक नहीं मिल पाती, जिससे उनकी आबादी तेजी से घट रही है। इसी प्रकार तालाब समाप्त होने से पानी में रहने वाले कछुए, मेंढक इत्यादि कई जीवों की प्रजातियां समाप्त हो रही हैं। मेंढकों की संख्या कम होते जाने से सांपों का अस्तित्व संकट में पड़ने लगा है।
पृथ्वी पर पेड़ों की संख्या घटने से अनेक जानवरों और पक्षियों से उनके आशियाने छिन रहे हैं, जिससे उनका जीवन संकट में पड़ रहा है। पर्यावरण विशेषज्ञों का स्पष्ट कहना है कि यदि इस ओर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में स्थितियां इतनी खतरनाक हो जाएंगी कि पृथ्वी से पेड़-पौधों तथा जीव-जंतुओं की अनेक प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी।
दुनियाभर में जैव विविधता को लगातार पहुंच रही क्षति जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के साथ मिलकर धरती के संकट को बढ़ा रही है। जैव विविधता का संकट भी धरती पर जीवन के अस्तित्व के लिए उतना ही गंभीर है, जितना जलवायु परिवर्तन. मानवीय गतिविधियों के कारण जैव विविधता के तेजी से नष्ट होने से 10 लाख पशुओं और पेड़-पौधों की प्रजातियों के विलुप्त होने की संभावना है।