ब्लॉगः हर बाढ़ के बाद विकास में 19 साल पीछे चला जाता है असम 

By पंकज चतुर्वेदी | Published: June 27, 2023 09:01 AM2023-06-27T09:01:08+5:302023-06-27T09:03:05+5:30

इस साल पहले ही महीने में 27 जगहों पर मेढ़ टूटने से जलनिधि के गांव में फैलने की खबर है। वैसे मेढ़ टूटने की कई घटनाओं में खुद गांव वाले ही शामिल होते हैं। मिट्टी के कारण उथले हो गए बांध में जब पानी लबालब भर कर चटकने की कगार पर पहुंचता है तो गांव वाले अपना घर-बार बचाने के लिए मेढ़ को तोड़ देते हैं।

Blog Assam goes back 19 years in development after every flood | ब्लॉगः हर बाढ़ के बाद विकास में 19 साल पीछे चला जाता है असम 

तस्वीरः ANI

इस बार जल-प्लावन कुछ पहले आ गया, और पूरा राज्य जलमग्न हो गया। इस समय असम के 20 जिलों के 2246 गांव  बुरी तरह बाढ़ की चपेट में हैं। इससे पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। असम पूरी तरह से नदी घाटी पर ही बसा हुआ है। इसके कुल क्षेत्रफल 78 हजार 438 वर्ग किमी में से 56 हजार 194 वर्ग किमी ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी में है और बकाया 22 हजार 244 वर्ग किमी का हिस्सा बराक नदी की घाटी में है। राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के मुताबिक, असम का कुल 31 हजार 500 वर्ग किमी का हिस्सा बाढ़ प्रभावित है। यानी, असम के क्षेत्रफल का करीब 40 फीसदी हिस्सा बाढ़ प्रभावित है। इसमें सालाना 200 करोड़ का नुकसान होता है। राज्य में इतनी मूलभूत सुविधाएं खड़ा करने में दस साल लगते हैं, जबकि हर साल औसतन इतना नुकसान हो ही जाता है। यानी असम हर साल विकास की राह पर 19 साल पिछड़ता जाता है।  

राज्य में नदी पर बनाए गए अधिकांश  तटबंध व बांध 60 के दशक में बनाए गए थे। अब वे बढ़ते पानी को रोक पाने में असमर्थ हैं। उनमें गाद भी जम गई है, जिसकी नियमित सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। पिछले साल पहली बारिश के दबाव में 50 से अधिक स्थानों पर ये बांध टूटे थे। इस साल पहले ही महीने में 27 जगहों पर मेढ़ टूटने से जलनिधि के गांव में फैलने की खबर है। वैसे मेढ़ टूटने की कई घटनाओं में खुद गांव वाले ही शामिल होते हैं। मिट्टी के कारण उथले हो गए बांध में जब पानी लबालब भर कर चटकने की कगार पर पहुंचता है तो गांव वाले अपना घर-बार बचाने के लिए मेढ़ को तोड़ देते हैं। उनका गांव तो थोड़ा सा बच जाता है, पर करीबी बस्तियां पूरी तरह जलमग्न हो जाती हैं। बराक नदी गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेधना नदी प्रणाली की दूसरे नंबर की सबसे बड़ी नदी है। इसमें उत्तर-पूर्वी भारत के कई सौ पहाड़ी नाले आकर मिलते हैं जो इसमें पानी की मात्रा बढ़ा देते हैं।  

ब्रह्मपुत्र घाटी में तट-कटाव और बाढ़ प्रबंध के उपायों की योजना बनाने और उसे लागू करने के लिए दिसंबर 1981 में ब्रह्मपुत्र बोर्ड की स्थापना की गई थी। बोर्ड ने ब्रह्मपुत्र व बराक की सहायक नदियों से संबंधित योजना कई साल पहले तैयार भी कर ली थी। केंद्र सरकार के अधीन एक बाढ़ नियंत्रण महकमा कई सालों से काम कर रहा है और उसके रिकार्ड में ब्रह्मपुत्र घाटी देश के सर्वाधिक बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में से है। इन महकमों ने इस दिशा में अभी तक जो कुछ किया उससे कागज व आंकड़ों को जरूर संतुष्टि हो सकती है, लेकिन असम के आम लोगों तक तो उनका काम पहुंचा नहीं है। असम को सालाना बाढ़ के प्रकोप से बचाने के लिए ब्रह्मपुत्र व उसकी सहायक नदियों की गाद सफाई, पुराने बांध व तटबंधों की सफाई, नए बांधों का निर्माण जरूरी है।

Web Title: Blog Assam goes back 19 years in development after every flood

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