ब्लॉग: परीक्षाओं में धांधली का पक्का इलाज आवश्यक

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: July 22, 2024 10:32 IST2024-07-22T10:31:03+5:302024-07-22T10:32:18+5:30

यदि हाल के दिनों के घटनाक्रमों को मिलाकर देखा जाए तो काफी कुछ गड़बड़ नजर आता है. यह दृश्य पहली बार सामने नहीं आया है. परीक्षाओं को लेकर आवाज तो पहले भी उठती रही है. किंतु उसे अधिक महत्व नहीं मिला.

Blog A sure cure for rigging in examinations is necessary | ब्लॉग: परीक्षाओं में धांधली का पक्का इलाज आवश्यक

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

चिकित्सा स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने के लिए आयोजित की जाने वाली राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के लंबित परिणाम शनिवार को घोषित कर दिए गए. उनमें पिछले और नए परिणामों में कुछ अंतर देखने को मिले. कुछ स्थानों पर आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए. पिछले कुछ दिनों से ‘नीट’ में हुई गड़बड़ी की बात चल रही थी, उसी दौरान भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की महाराष्ट्र की एक चयनित विद्यार्थी के क्रियाकलापों के बहाने संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा पर भी आंच आने लगी. 

यहां तक कि शनिवार को आयोग के अध्यक्ष ने अचानक ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया. यदि हाल के दिनों के घटनाक्रमों को मिलाकर देखा जाए तो काफी कुछ गड़बड़ नजर आता है. यह दृश्य पहली बार सामने नहीं आया है. परीक्षाओं को लेकर आवाज तो पहले भी उठती रही है. किंतु उसे अधिक महत्व नहीं मिला. हर राज्य में चयन परीक्षाओं में गड़बड़ियां हुईं. मगर सवाल सिर्फ यही रहा कि धांधलियों पर सरकार गंभीर क्यों नहीं हुई? उन्हें खत्म करने का एजेंडा क्यों नहीं बनाया गया. 

कुछ वर्ष पहले जब केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व में नरेंद्र मोदी सरकार का गठन हुआ तो कई पुरानी समस्याओं को हल करने का बीड़ा उठाया गया, जिसमें अनेक परीक्षाओं के आयोजन के लिए नई प्रक्रिया और संस्थाएं खड़ी की गईं. उन्हीं में एक राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) प्रमुख थी. हालांकि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए राज्यों के पास पहले से एक तंत्र था, फिर भी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं के लिए परीक्षा तंत्र विकसित किया गया. 

किंतु उसका गठन हुए बहुत अधिक साल नहीं बीते हैं और शिकायतों का अंबार लग चुका है. यूपीएससी को लेकर तो पहले भी सवाल उठे हैं. यह बात सिद्ध यह करती है कि नई व्यवस्था बनने से दिक्कतें कम नहीं हो रही हैं, जिसकी मूल वजह मानवीय हस्तक्षेप से की जा रही धांधलियां हैं. संस्थाओं से जुड़े व्यक्तियों की निष्ठा और ईमानदारी शक के दायरे में है, जिससे अच्छा-खासा तंत्र बिगड़ रहा है और बदनाम हो रहा है. ‘नीट’ की गड़बड़ी सामने आने के बाद जिस प्रकार विद्यार्थियों से लेकर शिक्षकों तक गिरफ्तारियां हो रही हैं, वे साबित करती हैं कि बच्चों के जीवन से खिलवाड़ करने में किसी ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. 

अब सरकार की जिम्मेदारी है कि वह गिरफ्तारियों के बाद सभी मामलों को सजा तक तो पहुंचाए, लेकिन इन परीक्षाओं को लेकर घटते विश्वास को कम करने के लिए ठोस और ईमानदार कदम उठाए. संभव है कि नई तकनीक से कुछ कमियां रह जाती हों, लेकिन उन्हें कारण मानकर गड़बड़ियों को खुली छूट नहीं दी जा सकती है. परीक्षाओं में धांधली का पक्का इलाज होना अत्यंत आवश्यक है. यह मामला विद्यार्थियों के भविष्य से जुड़ा है. इसमें कोई समझौता नहीं होना चाहिए और पूरा तंत्र त्रुटिविहीन होने के बाद ही उपयोग में लाया जाना चाहिए, तभी उसका लाभ है. अन्यथा खोते विश्वास का मूल्य सबसे अधिक सरकार को चुकाना होगा. 

Web Title: Blog A sure cure for rigging in examinations is necessary

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