ब्लॉग: पंजाब मामले में भाजपा का साइलेंट मोमेंट, कुछ भी बोलने से बच रहे हैं मंत्री और प्रवक्ता

By हरीश गुप्ता | Published: March 9, 2023 11:22 AM2023-03-09T11:22:51+5:302023-03-09T11:22:51+5:30

पंजाब में ‘वारिस पंजाब दे’ के स्वयंभू प्रमुख अमृत पाल सिंह से जुड़े मामले पर भाजपा कुछ भी कहने से अभी बच रही है. भाजपा द्वारा संभवत: सभी नेताओं को इस मुद्दे पर टिप्पणी न करने के लिए एक अनौपचारिक सलाह जारी की गई थी.

BJP on Silent mode in Punjab matter, ministers and spokespersons are refraining from speaking anything | ब्लॉग: पंजाब मामले में भाजपा का साइलेंट मोमेंट, कुछ भी बोलने से बच रहे हैं मंत्री और प्रवक्ता

ब्लॉग: पंजाब मामले में भाजपा का साइलेंट मोमेंट, कुछ भी बोलने से बच रहे हैं मंत्री और प्रवक्ता

भाजपा 2014 से नई व्यवस्था के तहत अपनी नई आक्रामकता के लिए जानी जाती है और साहसपूर्वक मुसीबतों का सामना करती है. इससे भरपूर फायदा भी हो रहा है क्योंकि कुछ राज्यों को छोड़कर भाजपा एक के बाद एक चुनाव जीत रही है. वैश्विक स्तर पर भी प्रधानमंत्री मोदी का ग्राफ बढ़ रहा है. पार्टी के प्रवक्ता और मंत्री सभी मुद्दों पर मुखर रहते हैं. लेकिन पंजाब के घटनाक्रम से भाजपा साइलेंट मोड में चली गई है और उसके मंत्री कुछ बोलने से बच रहे हैं. 

जब से ‘वारिस पंजाब दे’ के स्वयंभू प्रमुख अमृत पाल सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को यह कहते हुए धमकी दी कि उनका हश्र पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जैसा होगा, सन्नाटा पसरा हुआ है. अमृत पाल सिंह पिछले महीने तब सुर्खियों में आया जब उसके कुछ समर्थकों ने अजनाला में एक पुलिस थाने पर हमला किया और एक आरोपी लवप्रीत सिंह उर्फ तूफान को रिहा करवा लिया. 

सबसे बुरा तो यह हुआ कि पंजाब पुलिस ने तूफान के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को ही रद्द कर दिया. भाजपा के कुछ नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व से गुहार लगाई कि अमृत पाल सिंह के देश विरोधी बयानों के लिए उसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए और जल्दी की जाए. इसके जवाब में भाजपा द्वारा सभी नेताओं को इस मुद्दे पर टिप्पणी न करने के लिए एक अनौपचारिक सलाह जारी की गई थी. नतीजतन, भाजपा के किसी प्रवक्ता ने एक शब्द नहीं कहा.

यहां तक कि गृह मंत्री भी सोच-समझकर चुप रहे. जैसे कि यह पर्याप्त नहीं था, अमित शाह ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की मांग के मुताबिक कानून व्यवस्था की स्थिति को संभालने के लिए अतिरिक्त बलों को मंजूरी दी. 

कांग्रेस नेताओं ने जहां राज्य मशीनरी की विफलता के कारण पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की, वहीं भाजपा ने चुप रहने का विकल्प चुना. भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकारें अपने नेताओं के खिलाफ कोई भी बयान देने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा रही हैं और उन्हें सलाखों के पीछे डाल रही हैं. लेकिन जब अमृत पाल सिंह की बात आती है तो पार्टी चुप्पी साध लेती है. वह समझ नहीं पा रही है कि पंजाब में एक नए आइकॉन के रूप में उभरे 29 वर्षीय उपदेशक के खिलाफ कैसे कार्रवाई की जाए. 

सिंह भिंडरांवाले का अनुयायी होने का दावा करता है, हथियारबंद लोगों के साथ घूमता है और उसके समर्थक खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ाते हुए दिल्ली व अन्य राज्यों में सभी गुरुद्वारों पर कब्जा कर रहे हैं. भाजपा के लिए यह चिंतन-मनन का समय है.

केजरीवाल भी साइलेंस जोन में

आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी पंजाब के घटनाक्रम को लेकर साइलेंट मोड में चले गए हैं. अजनाला की घटना के बाद से उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा और पंजाब में आप सरकार ने एक आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी रद्द कर दी. लेकिन पंजाब के घटनाक्रम पर करीब से नजर रखने वालों का कहना है कि इन तत्वों के साथ आप का संबंध पहली बार जनवरी 2017 में देखा गया था, जब अरविंद केजरीवाल पंजाब चुनाव से पहले खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह के घर में रुके थे. 

गुरविंदर केएलएफ का पूर्व प्रमुख है. उस पर उन वर्षों के दौरान दंगों को भड़काने का आरोप है जब पंजाब में आतंकवाद अपने चरम पर था. यहां तक कि उसे हत्या आदि के मामलों में जेल भी हुई थी. गुरविंदर को ऐसे सभी मामलों में बरी कर दिया गया था, लेकिन विवाद 2017 में आप को महंगा पड़ा. हालांकि कहा जाता है कि इन तत्वों ने 2022 के विधानसभा चुनावों में आप की जीत सुनिश्चित करने के लिए अभियान चलाया था. काफी हद तक इसी वजह से केजरीवाल ने साइलेंट जोन में रहने का विकल्प चुना है.

भाजपा का वसुंधरा मोमेंट

भाजपा नेतृत्व ने कर्नाटक के बीएस येदियुरप्पा को केंद्रीय संसदीय बोर्ड और राज्य की प्रचार समिति में शामिल कर उन्हें संभालने के कठिन मुद्दे को संभवत: हल कर लिया है. 80 वर्षीय बुजुर्ग नेता ने उन्हें ‘वानप्रस्थ आश्रम’ (लालकृष्ण आडवाणी और अन्य लोगों की तरह मार्गदर्शक मंडल) में भेजने के फैसले को पलटने के लिए भाजपा आलाकमान पर दबाव डाला. लेकिन नेतृत्व को राजस्थान में नेतृत्व के मुद्दे को सुलझाना है जहां 70 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे सिंधिया पार्टी लाइन पर चलने से इनकार कर रही हैं. 

भाजपा नेतृत्व अपनी शर्तों पर उनके साथ शांति चाहता है. लेकिन वसुंधराराजे सिंधिया का रुख सख्त है. भाजपा के महासचिव और राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह के लिए परिस्थिति कठिन थी. अगर उन्होंने जयपुर में राज्य इकाई के प्रमुख सतीश पूनिया द्वारा आयोजित कथित पेपर लीक मामले के खिलाफ जयपुर में भाजपा की विरोध रैली में भाग लिया, तो उसी दिन 4 मार्च को राजस्थान के चुरू जिले के सालासर में वसुंधरा के 70 वें जन्मदिन की पार्टी में भाग लेने के लिए भी यात्रा की, जहां अधिकांश विधायक और सांसद उपस्थित थे. ‘अबकी बार, वसुंधरा सरकार’ जैसे नारों ने अरुण सिंह का स्वागत किया. 

आलाकमान राजस्थान विधानसभा चुनाव में गजेंद्र सिंह शेखावत को पार्टी का चेहरा बनाना चाहता है. लेकिन वसुंधरा हार नहीं मान रहीं और लड़ने के लिए नीचे (या ऊपर) जाने को तैयार हैं. आलाकमान फिर से साइलेंस जोन में है.

और अंत में

लंबे समय से प्रतीक्षित और शायद आखिरी कैबिनेट फेरबदल भी साइलेंस जोन में चला गया है. अब यह इस साल मई में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के बाद हो सकता है.
 

Web Title: BJP on Silent mode in Punjab matter, ministers and spokespersons are refraining from speaking anything

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