सबसे लंबे समय तक गृह मंत्री होने का अमित शाह का रिकार्ड, बहुत कुछ कहता है  

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 20, 2025 09:25 IST2025-08-20T09:24:44+5:302025-08-20T09:25:37+5:30

भारत के सबसे लंबे समय से कार्यरत गृह मंत्री बन चुके हैं। हाल ही में उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी का रिकार्ड तोड़ा है।

bjp ex president Amit Shah's record being longest serving Home Minister says lot blog Vikram Upadhyay | सबसे लंबे समय तक गृह मंत्री होने का अमित शाह का रिकार्ड, बहुत कुछ कहता है  

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Highlightsसंविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने वाला विधेयक संसद के दोनों सदनों से पास करा लिया, वो भी बिना मतदान के। अमित शाह ने अनुच्छेद 370 को हटाकर वो कर दिखाया जो पहले किसी ने करने की हिम्मत नहीं की थी। नेहरू के लाए इस प्रावधान को हटाने के लिए कोई भी जोखिम उठाने को तैयार नहीं था।

विक्रम उपाध्याय 

मई 2019 में देश के गृह मंत्री बने और जुलाई 2019 में, संसद में वे इस्लामी प्रथा में शामिल "तीन तलाक" को एक आपराधिक कृत्य घोषित करने वाला ने एक विधेयक लेकर आ गए। अमित शाह का यह फ्लोर मैनेजमेंट ही था कि भाजपा के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के बावजूद, विधेयक 99 मतों के मुकाबले 84 मतों से पारित हो गया। तीन तलाक प्रथा का उन्मूलन अमित शाह का एक प्रमुख मिशन था, जो ऐतिहासिक रूप से सफल रहा। आज मुस्लिम महिलाएं अधिक सम्मान के साथ जीवन जी रही हैं। अपने छह साल के कार्यकाल में अमित शाह ने कई बार यह सिद्ध किया कि वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका विकल्प नहीं है। वे अब भारत के सबसे लंबे समय से कार्यरत गृह मंत्री बन चुके हैं। हाल ही में उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी का रिकार्ड तोड़ा है।

मगर अमित शाह ने गृह मंत्री के रूप तब ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की, जब संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने वाला विधेयक संसद के दोनों सदनों से पास करा लिया, वो भी बिना मतदान के। अमित शाह ने अनुच्छेद 370 को हटाकर वो कर दिखाया जो पहले किसी ने करने की हिम्मत नहीं की थी। नेहरू के लाए इस प्रावधान को हटाने के लिए कोई भी जोखिम उठाने को तैयार नहीं था।

एक लंबे समय से चले आ रहे कश्मीर संकट का समाधान ऐसे भी हो सकता है, यह विश्वास अमित शाह ने प्रकट किया। अमित शाह ने गृह मंत्री का पद संभालते ही यह ऐलान कर दिया कि आतंकवाद के प्रति उनका रवैया ज़ीरो टॉलरेंस का रहेगा और अवैध आव्रजन पर हर हाल में रोक लगेगी। उन्होंने देश भर में एनआरसी लागू करने की घोषणा की।

गृह मंत्रालय ने कठोर और रणनीतिक कदम के कारण ही इस समय नक्सलियों और माओवादियों की समाप्ति देखी जा रही है। अधकितर पूर्वोत्तर के अलगाववादी एवं विध्वंसक समूहों पर लगाम लगाया जा चुका है। जैसे कई राष्ट्र-विरोधी संगठनों के साथ महत्व प्राप्त कर लिया है। आज हर कोई मानता है कि अमित शाह में अद्भुत संगठनात्मक कौशल है और वह टीम वर्क के साथ काम करने में विश्वास करते हैं।

वे ऐसे गृह मंत्री हैं, जिनके पास पर्याप्त अनुभव है और वे इस पद पर होने का दायित्व ठीक से समझते हैं। इसके पहले गुजरात के विभिन्न विभागों में उनका ट्रैक रिकॉर्ड और क्षमता परखी जा चुकी थी। गुजरात सरकार में कई मंत्रालय का कार्यभार संभाल चुके थे।  उनके लिए उपयुक्त होता।

नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उस समय भी अमित शाह बहुआयामी, सुनियोजित चुनावी रणनीति के जरिए कार्यान्वयन की रूपरेखा तैयार करने वाले रणनीतिकार की भूमिका बखूबी निभा चुके थे।2014 में जब प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली थी, तब भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन केवल आठ राज्यों में सत्ता में था।

लेकिन जब अमित शाह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में बीजेपी की कमान संभाली, तो 2018 आते आते एनडीए ने 21 राज्यों पर अपना दावा जमा लिया। यह अमित शाह ही थे, जिन्होंने बीजेपी की सदस्यता अभियान आक्रामक तरीके से चलाते हुए 18 करोड़ लोगों को सीधे पार्टी से जोड़ दिया। भाजपा को दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन होने का गौरव प्राप्त हुआ। 

अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा ने पश्चिम बंगाल में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की और ओडिशा में तो सरकार भी बना ली। उसके पहले भाजपा के लिए ये दो सबसे कठिन राज्य थे। अमित शाह 1989 से राजनीति में हैं। अब तक वे लगभग 30 चुनाव लड़ चुके हैं, और वे आज तक कोई चुनाव हारे नहीं हैं। उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि वह कभी भी विषय से हटकर नहीं बोलते।

उनकी राजनीतिक समझ और रणनीति की कुशलता ने उन्हें चाणक्य का नाम दिया है। लोग बताते हैं कि जब 1991 में, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के गांधीनगर से चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया, तब अमित शाह को तब के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी थी।

अमित शाह ने उस जिम्मेदारी को संभालते हुए कहा था कि यदि आडवाणी जी प्रचार के लिए नहीं भी आते हैं, तो भी वे जीत जाएँगे और हुआ यही आडवाणी जी चुनाव भारी मतों से जीत गए। अपनी सटीक रणनीति और कार्यशैली से अमित शाह ने सबको हैरत किया है। 

अमित शाह की तुलना लोग अक्सर भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल से करते हैं, लेकिन खुद शाह इस मामले में अलग विचार रखते हैं। उन्होंने एक साक्षात्कार में जो देकर कहा था, कि किसी को भी उनकी तुलना सरदार पटेल से नहीं करनी चाहिए, क्योंकि सरदार पटेल ने भारत के लिए कई बड़े काम किए हैं और वे उनकी बराबरी करने में बिल्कुल भी सक्षम नहीं हैं।

अमित शाह की नजर देश की आंतरिक सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने पर है। उनका दृष्टिकोण राष्ट्रवादी है। वे केवल डंडे के बल पर शांति के प्रयास के हामी नहीं है, बल्कि वे सुधारों के समर्थक हैं। देश के उन सैकड़ों कानूनों को उन्होंने समाप्त करवा दिया, जिनका अब उपयोग नहीं है। वह देश में दंड संहिता की जगह न्याय संहिता और नागरिक सुरक्षा संहिता लेकर आए हैं, ताकि लोगों को त्वरित न्याय मिल सके और एजेंसियाँ जवाबदेह बन सके।

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