बिहार में क्या फिर से अमित शाह की रणनीति कामयाब होगी!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 3, 2025 18:44 IST2025-10-03T18:42:17+5:302025-10-03T18:44:33+5:30

Bihar Politics News: 243 सीटों वाली बिहार विधान सभा में भाजपा, एनडीए के लिए 160 से ज़्यादा सीटें जीतने पर काम कर रही है।

bihar polls chunav bjp pm narendra modi Amit Shah strategy successful again in Bihar blog Vikram Upadhyay | बिहार में क्या फिर से अमित शाह की रणनीति कामयाब होगी!

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HighlightsBihar Politics News: चुनाव की तरह बिहार में भी बीजेपी ने 40 पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी हैं।Bihar Politics News: धर्मेंद्र प्रधान हैं, जिन्हें हरियाणा चुनाव में भी विशेष जिम्मेदारी दी गई थी।Bihar Politics News: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी साथ हैं।

विक्रम उपाध्याय 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) लिए नई दो-तिहाई सीटों का लक्ष्य निर्धारित कर दिया है। और उसके लिए भाजपा कार्यकर्ताओं को टास्क भी दे दिया है। गृह मंत्री यह दावा भी कर रहे हैं कि एक तरफ बिहार में पूर्ण बहुमत के साथ राजग की सरकार बनेगी और दूसरी तरफ से घुसपैठियों को बिहार की पवित्र धरती से एक-एक करके बाहर निकाल दिया जाएगा। अमित शाह इन दिनों सीमांचल (पूर्वोत्तर बिहार) के नौ जिलों पर विशेष ध्यांन दे रहे हैं और इसी इलाके में भाजपा कार्यकर्ताओं की एक बड़ी फौज लगा भी रहे हैं।

यह अमित शाह की नई रणनीति है, वह इस बार सबसे अधिक कमल राजद और एमआइएम के गढ़ में खिलाना चाहते हैं। 243 सीटों वाली बिहार विधान सभा में भाजपा, एनडीए के लिए 160 से ज़्यादा सीटें जीतने पर काम कर रही है। कहते हैं कि अमित शाह के लिए हर चुनाव एक नई चुनौती होती है और वे उसकी तैयारी भी नए तरीके से ही करते हैं।

वह सीमांचल से उस बार सघन अभियान चलाने के पक्ष में है, और वहाँ विदेशी घुसपैठियों को मुख्य मुद्दा बनाना चाहते हैं। इस इलाके में मुस्लिमों की संख्या अच्छी खासी है और वहाँ वाकई घुसपैठ हिंदुओं के लिए समस्या बनी हुई है। पिछले कुछ सालों में इस क्षेत्र में हर हिंदू पर्व और त्योहार पर पथराव और बलवा किये गए और हिंदुओं को प्रताड़ित भी किया गया।

अमित शाह के घुसपैठ वाले मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी साथ हैं और उन्होंने भी बाहरी लोगों के वोट बनाने को लेकर सख्त रुख अख्तियार किया है। पीएम मोदी ने तो दिल्ली के लाल किले से अपने भाषण में भी इस विषय का उल्लेख किया था। पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मतदाता अधिकार यात्रा की काट के रूप में काँग्रेस द्वारा घुसपैठियों के मताधिकार को सुरक्षित को ही मुद्दा बना दिया है। चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद लगभग 45 लाख पुराने मतदाताओं के नाम हटा भी दिए गए हैं।

वैसे बीजेपी के तरकश में केवल घुसपैठ के मुद्दे वाले तीर नहीं हैं, बल्कि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के बाद बिहार में मां जानकी मंदिर, मुख्यमंत्री महिला रोजगार के तहत राज्य की 75 लाख महिलाओं को 10-10 हज़ार रुपये का वितरण और अगली पीढ़ी के जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) सुधार से जुड़े मुद्दे भी शामिल हैं।

पीएम मोदी और अमित शाह के लिए यह बिहार में एक सामान्य चुनाव भर नहीं है, इसका महत्व बीजेपी और खास कर पीएम मोदी के लिए बहुत ज्यादा है। इस चुनाव के परिणाम की व्याख्या भी इस बार अलग से होगी। घरेलू और बाहरी मोर्चे पर जिस तरह की चुनौतियाँ सामने हैं और जिस तरह से विपक्ष एनडीए को घेरने की कोशिश कर रहा है, उसमें से यह चुनाव निकालना बहुत बड़ी चुनौती होगी।

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और अमेरिका के दवाब से लड़ने की सरकार की जिजीविषा पर दुनिया भारत की ओर गर्व से देख रही है। पर क्या प्रधानमंत्री बिहार के मतदाताओं पर भी जादू चलाने में कामयाब होंगे? यह सबसे बड़ा सवाल है। बिहार में चुनाव भले ही एनडीए के बैनर पर बीजेपी लड़ रही है, लेकिन सब जानते हैं कि यह चुनाव भी पिछले 10 साल की तरह मोदी और शाह का ही चुनाव माना जा रहा है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि 2014 से लेकर अभी तक का बीजेपी का सफर मोदी युग के नाम से ही जाना जा रहा है। केवल इसलिए नहीं कि बीजेपी इस दौर में केंद की सरकार का नेतृत्व करने वाली पार्टी है, बल्कि इसलिए भी इस दौर में पूरी दुनिया भी भारत को मोदी के भारत के रूप देखने की आदि हो चुकी है।

पीएम मोदी के रूप में ऐसे विशाल व्यक्तित्व का निर्माण किसी जादूगरी का परिणाम नहीं है, बल्कि मेहनत, योग्य लोगों से बनी टीम का गठन और श्रेष्ठ परिणाम हासिल करने के लिए ठोस नियोजन के भी इसमें बराबर के योगदान हैं। पीएम मोदी इसी के लिए जाने भी जाते हैं। अपनी 75 साल की उम्र में वह 50 साल से भी अधिक समय से इन्हीं तत्वों को सींच, संवार और उनका उपयोग भी कर रहे हैं। 

पीएम मोदी ने राजनीतिक जीवन में विश्वास बहाली का एक दुर्लभ प्रयोग किया। वह अपने विश्वासपात्र बनाने और अपने प्रति लोगों में विश्वास जगाने का अद्भुत कौशल रखते हैं। 1985 से 1990 के बीच जब गुजरात में संघ और भाजपा नरेंद्र मोदी का पहला कौशल परीक्षण किया, तब गुजरात में तीसरे नंबर की पार्टी थी बीजेपी।

आपदा में अवसर खोज निकालने की कला का पहली बार उपयोग उन्होंने यहीं किया और यहीं पहली बार अमित शाह मोदी के हमवार बने। तब से लगातार नरेंद्र मोदी के लिए हर चुनाव जीतने के शिल्पकार बन गए हैं अमित शाह। बिहार में फिर से अमित शाह की परीक्षा हैं। बिहार में एनडीए को भी नरेन्द्र मोदी की रणनीतिक समझ और अमित शाह की संगठनात्मक क्षमता पर पूरा विश्वास है।

इसके पहले हरियाणा और महाराष्ट्र विधान सभा के चुनाव परिणाम को भी पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के कौशल की देन माना गया था। तो क्या फिर से बिहार में हरियाणा दोहराया जा सकेगा? कोई इस बात से अब इनकार नहीं करता कि संगठन की कमजोरियों को पहचानने और उन्हें दूर करने का काम गृहमंत्री अमित शाह से बेहतर कोई नहीं कर सकता।

अमित शाह यह काम कई वर्षों से अनवरत कर रहे हैं। गुजरात में उन्होंने बीजेपी की जो मजबूत आधारशिला रखी, उसके बदौलत पार्टी आज दो दशक से अधिक समय से सरकार में बनी हुईं है। यही काम उन्होंने 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में भी पार्टी के लिए किया।

तब उन्होंने गुजरात में नरेंद्र मोदी की 12 साल की सरकार के काम काज को गुजरात मॉडेल के रूप में स्थापित किया और पूरे देश में उसके शेयर चुनाव परिणाम पार्टी के पक्ष में किया। अमित शाह का इस समय सारा जोर सोशल इंजीनियरिंग, यानि जातिगत समीकरण पर है। रोजाना ही अब नए नए लोग, जिनका जातिगत वजूद हैं, बीजेपी से जुड़ रहे हैं।

बिहार चुनाव के लिए मुद्दे और नारे अमित शाह की टीम ने पक्के कर लिए हैं। ऑपरेशन सिंदूर चलाने और पाकिस्तान को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करने के मुद्दे दे साथ बीजेपी देशव्यापी जाति सर्वेक्षण को भी चुनाव में जोर शोर से उठाएगी। हर चुनाव की तरह बिहार में भी बीजेपी ने 40 पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी हैं।

प्रभारी के रूप में धर्मेंद्र प्रधान हैं, जिन्हे हरियाणा चुनाव में भी विशेष जिम्मेदारी दी गई थी। अबकि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी साथ हैं। मंदिर और मंडल दोनों मुद्दों को साथ ले कर चलने और अमित शाह के विश्वसनीय होने का उन्हें श्रेय प्राप्त है।

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