जीतन राम मांझी बोले -युवाओं नौकरी मत करना, अभी उनकी छोटी भूमिका, लेकिन चुनाव के बाद बदल भी सकती है!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: November 4, 2020 08:52 PM2020-11-04T20:52:01+5:302020-11-04T20:53:36+5:30
बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण का मतदान पूरा हो चुका है और इस बार रोजगार बहुत बड़ा मुद्दा बन कर उभरा है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपने संबोधन में युवाओं से नौकरी नहीं करने की अजीब अपील की है.
बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण का मतदान पूरा हो चुका है और इस बार रोजगार बहुत बड़ा मुद्दा बन कर उभरा है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपने संबोधन में युवाओं से नौकरी नहीं करने की अजीब अपील की है.
अपने जीवन के अनुभव के आधार पर उनका कहना है कि- मैंने 13 साल नौकरी की है. यह पुरानी बात है, नौकरी की तरफ किसी भी सूरत में नहीं जाना चाहिए. जो लोग नौकरी देने का लालच देते हैं, वह गलत करते हैं. वह युवाओं को बरगला रहे हैं. हम आप लोगों को वास्तविक रास्ते पर ले जाना चाहते है. लोगों को अपना छोटा-छोटा काम करना चाहिए. उद्योग चलाना चाहिए.
यही नहीं, दस लाख सरकारी नौकरियों का मुद्दा उछालने वाले तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए जीतन राम मांझी ने कहा कि- यह प्रजातंत्र है, राजतंत्र नहीं कि मुख्यमंत्री का बेटा मुख्यमंत्री ही होगा, वे अभी से ही जीभ लपलपा रहे हैं कि हम मुख्यमंत्री बन ही गए. उन्होंने पूछा कि तेजस्वी ने कौन सी समाज सेवा की है. वे कौनसे स्वतंत्रता सेनानी हैं?
उनका तो यह कहना है कि- अगर तेजस्वी आम लोगों की समस्या को लेकर पांच साल के लिए जेल गए होते तो समझ में आता. इतना ही नहीं, तेजस्वी पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि- वेे अनुभवहीनता की भावना से ग्रसित हैं. केवल समाज के एक तबके को लेकर चलते हैं.
याद रहे, मांझी ने नौकरी छोड़ने के बाद राजनीति में कदम रखा था और 1980 में विधायक बने. इसके बाद वे 1990 और 1996 में भी एमएलए बने, तो 2005 में बाराचट्टी से बिहार विधानसभा के लिए चुने गये. वे 1983 से 1985 तक बिहार सरकार में उप मंत्री रहे, तो 1985 से 1988 और 1998 से 2000 तक राज्य मंत्री भी रहे. वर्ष 2008 में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया.
वर्ष 2014 में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन करीब दस महीनों के बाद पार्टी ने उनसे नीतीश कुमार के लिये पद छोड़ने को कहा, परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया, जिसके कारण वे पार्टी से बाहर कर दिए गए. उसके बाद 20 फरवरी 2015 को बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से उन्होनें इस्तीफा दे दिया. सियासत में उन्होंने कई बार रास्ते बदले, किन्तु वे अपने लिए बड़ी और वास्तविक राजनीतिक भूमिका नहीं प्राप्त कर सके.
अभी भी बिहार चुनाव में वे छोटी सियासी भूमिका में जरूर हैं, लेकिन जिस तरह से बिहार का सियासी समीकरण बिगड़ा है, हो सकता है वे किसी बड़ी और निर्णायक भूमिका में आ जाएं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि जीतन राम मांझी अपनी सियासी क्षमता से अधिक की चाहत में अपने सियासी बदलाव के निर्णय लेते रहे, तो उन्हें राजनीतिक तौर पर नुकसान भी हो सकता है!