भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोट का नई अर्थव्यवस्था में दबदबा रहेगा

By भरत झुनझुनवाला | Updated: June 11, 2020 17:24 IST2020-06-11T17:24:17+5:302020-06-11T17:24:17+5:30

अमेरिका ने 1960 के दशक में पीस कोर नाम का एक कार्यक्र म बनाया था. उसमें अमेरिकी युवाओं को कुछ समय के लिए विकासशील देशों में सेवा करने के लिए भेजा जाता था. इसी प्रकार का कार्यक्रम लेकर भारत दूसरे देशों को शिक्षा सप्लाई कर सकता है. ऐसा करने से भारी संख्या में अपने देश में रोजगार बनेंगे. 

Bharat Jhunjhunwala's blog: Artificial intelligence and robots will dominate the new economy | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोट का नई अर्थव्यवस्था में दबदबा रहेगा

प्रतीकात्मक तस्वीर

अर्थव्यवस्था के अगले चरण में रोबोट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दबदबा रहेगा. मैनुफेक्चरिंग यानी भौतिक माल के उत्पादन में रोबोट का उपयोग बढ़ेगा. चीन में ऐसी फैक्टरियां स्थापित हो चुकी हैं जिनमें एक भी श्रमिक काम नहीं करता है. संपूर्ण काम जैसे कच्चे माल को ट्रक से उतारना, उसे मशीन में डालना और फिर तैयार माल को बाहर जाने वाले ट्रक में लोड करना इत्यादि सभी काम रोबोट द्वारा किए जाते हैं.

इसी प्रकार बौद्धिक कार्य भी कम्प्यूटर द्वारा किए जाने लगेंगे चूंकि आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का विकास हो चुका है. आर्टिफिशियल  इंटेलिजेंस में कम्प्यूटर द्वारा किसी विषय पर बहुत अधिक मात्रा में डाटा को खंगाला जाता है और उसके आधार पर वह कम्प्यूटर आपको सारांश बताता है.

जैसे यदि डॉक्टर को मरीज का परीक्षण करना है तो आर्टिफिशियल  इंटेलिजेंस द्वारा मरीज के इतिहास, ब्लड रिपोर्ट, ब्लडप्रेशर इत्यादि तमाम सूचना को खंगाला जाएगा, उसको डाइजेस्ट किया जाएगा और उसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डॉक्टर को सलाह देगा कि कम्प्यूटर के गणित के अनुसार उस मरीज को क्या बीमारी होने की संभावना है और उसके उपचार के लिए क्या सुझाव है. डॉक्टर का कार्य सिर्फ इतना होगा कि उस मरीज की परिस्थिति को समझते हुए वह कम्प्यूटर द्वारा बताए गए विकल्पों में जो उसे उपयुक्त लगे, उसका चयन करे. लेकिन पूरी सूचना जैसे ब्लड रिपोर्ट और ब्लडप्रेशर इन सबको सोचने-समझने की डॉक्टर को जरूरत नहीं पड़ेगी.

एक ही डॉक्टर आर्टिफिशियल  इंटेलिजेंस की सहायता से बहुत अधिक संख्या में रोगियों का उपचार कर सकेगा. इस परिस्थिति में हमारे सामने संकट है. हमें विशाल जनसंख्या को रोजगार उपलब्ध करना है जो कि फैक्टरियों और दफ्तरों दोनों में ही कम होता चला जाएगा. इस परिस्थिति में एक उपाय यह है कि हम भी स्वयं रोबोट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बनाने की तरफ बढ़ें. इन कार्यों में रोजगार बनाएं जैसे रोबोट बनाने की फैक्टरियां स्थापित करें जिससे हम पूरे विश्व को रोबोट सप्लाई कर सकें अथवा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रोग्राम बनाएं जिससे डॉक्टर को सही सुझाव देने की हमारे प्रोग्राम की क्षमता हो. यह सही दिशा है लेकिन मेरे आकलन में हमारी विशाल जनसंख्या के लिए इस कार्य में बहुत रोजगार उत्पन्न नहीं हो सकेंगे. हमें दूसरे उपाय भी ढूंढने पड़ेंगे.

इस समय हमारे नागरिक विशेषकर युवा स्मार्टफोन से परिचित हो चुके हैं. आज स्मार्टफोन में शेयर मार्केट में खरीद-बेच करना, आॅनलाइन ट्यूटोरियल देना, दस्तावेज का ट्रांसलेशन करना, वीडियो को एडिट करना इत्यादि सारे कार्य किए जा रहे हैं. आनेवाले समय में इस प्रकार के कार्यों की मांग विशेषत: बढ़ेगी. जापानी दस्तावेज को जर्मन में ट्रांसलेशन करने की समाज को अधिकाधिक जरूरत पड़ेगी क्योंकि वैश्वीकरण हो ही रहा है और हर देश का नागरिक जानकारी चाहता है कि दूसरे देश में क्या हो रहा है. इस प्रकार के कार्यों को हमारे युवा स्मार्टफोन पर आसानी से कर सकते हैं. इसलिए हमको रोजगार उत्पन्न करने के लिए स्मार्टफोन आधारित सेवाएं जैसा आॅनलाइन ट्यूटोरियल देना, ट्रांसलेशन, वीडियो एडिट करना इत्यादि पर विशेष ध्यान देना चाहिए. इस रास्ते रोजगार बनाने का एक विशेष लाभ यह है कि इससे हम अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सीधे अपने माल को बेच सकते हैं.  

तीसरा उपाय यह है कि दूसरे देशों की तुलना में भारत में अंग्रेजी ज्यादा अच्छी है. भारत सरकार एक कार्यक्रम ले सकती है जिसमें हम अपने युवाओं की अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के दूसरे विकासशील देशों को मुफ्त सेवाएं उपलब्ध कराएं. इसके कई लाभ होंगे. पहला यह कि हमारे युवाओं को रोजगार मिलेगा. दूसरा यह कि हमारी वैश्विक पहुंच बनेगी.

वर्तमान में चीन संपूर्ण विश्व में अपनी पैठ बनाने की ओर बढ़ रहा है. चीन अपने धनबल के आधार पर दूसरे देशों में प्रवेश करने का प्रयास कर रहा है. हमारे पास चीन के बराबर धनबल नहीं है. लेकिन हमारे पास शिक्षा बल है इसलिए हम अपने युवाओं को एक कार्यक्रम के अंतर्गत संपूर्ण विश्व के विकासशील देशों में सेवा देने के लिए भेज सकते हैं. अमेरिका ने 1960 के दशक में पीस कोर नाम का एक कार्यक्र म बनाया था. उसमें अमेरिकी युवाओं को कुछ समय के लिए विकासशील देशों में सेवा करने के लिए भेजा जाता था. इसी प्रकार का कार्यक्रम लेकर भारत दूसरे देशों को शिक्षा सप्लाई कर सकता है. ऐसा करने से भारी संख्या में अपने देश में रोजगार बनेंगे. 

Web Title: Bharat Jhunjhunwala's blog: Artificial intelligence and robots will dominate the new economy

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे